नई दिल्ली : रसोई की सबसे ज़रूरी चीज़ गैस सिलेंडर के कनेक्शन में अब तक ग्राहक जिस कंपनी का सिलेंडर लेते थे, उसी से बंधे रहते थे। लेकिन अब ये बंधन टूटने वाला है। पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (PNGRB) ने बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर ली है, उन्होनें फैसला किया कि अब LPG कनेक्शन को भी मोबाइल नंबर की तरह पोर्ट किया जा सकेगा। यानि अगर आप इंडेन से परेशान हैं तो HP गैस में शिफ्ट हो जाएंगे, अगर HP गैस से तंग हैं तो सीधे भारत गैस पकड़ लेंगे। और यह सब होगा बिना नया कनेक्शन लिए और बिना किसी झंझट के।
अभी तक की क्या थी व्यवस्था :
आपको बता दें कि अभी LPG कनेक्शन में सिर्फ डीलर बदलने की सुविधा है। अगर आपके पास इंडेन का कनेक्शन है, तो आपको हर बार उसी कंपनी से सिलेंडर लेना पड़ेगा। भले ही पड़ोस में HP या भारत गैस की एजेंसी हो, आप वहां से गैस नहीं ले सकते। 2013-14 में सरकार ने “डीलर लेवल पोर्टेबिलिटी” शुरू की थी, लेकिन “कंपनी बदलने” का अधिकार नहीं दिया। नतीजतन ग्राहक को जबरन एक ही कंपनी और उसके डिस्ट्रीब्यूटर पर निर्भर रहना पड़ता था।
अब क्या नया होगा?
गौरतलब है कि अब यह निम्नलिखित बदलाव होंगे -
● इंटर-कंपनी पोर्टेबिलिटी लाई जाएगी।
● अब आप किसी भी कंपनी में स्विच कर पाएंगे।
● सिलेंडर की कीमत तीनों कंपनियों (इंडेन, HP, भारत गैस) में लगभग समान है, तो ग्राहक को चॉइस मिलेगी।
● अगर एक डीलर हफ्तों तक गैस नहीं दे रहा, तो आप दूसरी कंपनी से तुरंत रिफिल ले सकेंगे।
LPG कंपनियों की ताकत :
इंडेन (IOCL) → 14 करोड़+ ग्राहक
HP गैस (HPCL) → 9.5 करोड़+ ग्राहक
भारत गैस (BPCL) → 8 करोड़+ ग्राहक
मतलब, देश के 30 करोड़ से ज्यादा ग्राहक इस फैसले से सीधे प्रभावित होंगे।
कब से लागू होगा?
विदित है कि PNGRB ने स्टेकहोल्डर्स, ग्राहकों और सिविल सोसाइटी से फीडबैक मांगा है। मिड-अक्टूबर तक सुझाव भेजने का समय है। इसके बाद नियम और गाइडलाइंस बनेंगी। पूरे देश में रोलआउट की डेट तभी तय होगी।
ग्राहक क्यों परेशान हैं?
आपको बता दें कि ग्राहकों की असली परेशानी का कारण लोकल डिस्ट्रीब्यूटर की मनमानी है। हफ्तों तक सिलेंडर की डिलेवरी नहीं मिलना, शिकायत करने पर कोई असर नहीं होना साथ ही मजबूरी में ग्राहकों को लम्बा इंतजार करना आम लोगों के लिये बड़ी समस्या है। PNGRB का कहना है कि जब सिलेंडर का दाम हर जगह एक जैसा है तो ग्राहक को चॉइस की आज़ादी क्यों न मिले?
जानें क्या होगा इसका असर?
ग्राहक को आज़ादी – अब एक कंपनी की मनमानी सहनी नहीं पड़ेगी।
कंपनियों में प्रतिस्पर्धा – बेहतर सेवा देने की होड़ बढ़ेगी।
डिलेवरी में सुधार – ग्राहक खोने के डर से डिस्ट्रीब्यूटर समय पर गैस पहुंचाएंगे।
टेक्नोलॉजी अपडेट – कंपनियों को पोर्टेबिलिटी के लिए सिस्टम अपग्रेड करना होगा।
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी ने जिस तरह टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर बदल दी थी, उसी तरह गैस कनेक्शन पोर्टेबिलिटी LPG सेक्टर में क्रांति ला सकती है। अब ग्राहक यह कह सकेगा कि सिलेंडर मेरा है तो कंपनी की चॉइस भी मेरी होगी।