नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली की नौकरशाही में बड़ा फेरबदल हुआ है। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव वर्मा को दिल्ली का अगला मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया है। गृह मंत्रालय ने रविवार को आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया कि वे 1 अक्टूबर 2025 से पदभार संभालेंगे। मौजूदा मुख्य सचिव धर्मेंद्र 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।
कौन हैं राजीव वर्मा?
आपको बता दें कि राजीव वर्मा 1992 बैच के AGMUT कैडर के अधिकारी हैं। यूपी में जन्मे और IIT रुड़की से कंप्यूटर साइंस में स्नातक व परास्नातक करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा ज्वॉइन की। वे 2017-18 में डीडीए में प्रधान आयुक्त (आवास और शहरी मामले) रहे, वहीं 2018-22 में दिल्ली में वित्त व राजस्व विभाग के प्रधान सचिव रहे। इसके पहले वे केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों में भी अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं। यानी, दिल्ली की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक ढांचे से वे पहले से ही भलीभांति परिचित हैं।
चंडीगढ़ से दिल्ली – डेढ़ साल में ट्रांसफर!
विदित है कि वर्मा ने 7 फरवरी 2024 को चंडीगढ़ में पदभार संभाला था। तब वहां "एडवाइजर टू एडमिनिस्ट्रेटर" का पद था, जिसे उन्होंने जनवरी 2025 में मुख्य सचिव में बदलवाया। डेढ़ साल के कार्यकाल में वे बड़े फैसलों में सावधानी बरतने वाले अधिकारी माने गए। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2500 करोड़ रुपये की जमीन से अतिक्रमण हटाना मानी जाती है। हालांकि, कार्यक्रमों में कम जाना, जनता से सीमित मुलाकात और फैसले लेने में देरी को लेकर वे चर्चा में भी रहे।
दिल्ली को क्यों चाहिए था नया मुख्य सचिव?
गौरतलब है कि मौजूदा मुख्य सचिव धर्मेंद्र (1989 बैच IAS) 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को नए प्रशासनिक कप्तान की तलाश थी। दिल्ली की राजनीतिक जटिलताओं और प्रशासनिक चुनौतियों को देखते हुए, राजीव वर्मा जैसे अनुभवी अफसर को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया।
दिल्ली में उनकी चुनौतियां :
आपको बता दें कि राजीव वर्मा का कार्यकाल आसान नहीं होने वाला। उनके सामने दिल्ली में कई चुनौतियां रहने वाली हैं:
राजनीतिक खींचतान: दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच अक्सर टकराव देखने को मिलता है। उनको यहाँ सामंजस्य बैठाना होगा।
जनता से जुड़े मुद्दे: बिजली-पानी, प्रदूषण और ट्रैफिक पर काम करना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि ये मुद्दे सीधे तौर पर आम जनता से जुड़े हैं।
विकास परियोजनाएं: दिल्ली में नई योजनाओं की मॉनिटरिंग और समय पर पूरा कराना एक बड़ी जिम्मेदारी होगी।
पारदर्शिता: जनता से दूरी रखने वाली उनकी छवि को बदलना पड़ेगा। जनता से संवाद स्थापित करना होगा जिससे शासन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
चंडीगढ़ में अब कौन?
विदित है कि राजीव वर्मा के दिल्ली ट्रांसफर के बाद गृह सचिव मनदीप सिंह बराड़ को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। बराड़ पहले भी डीसी और कार्यकारी मुख्य सचिव रह चुके हैं।
निष्कर्ष :
कुल मिलाकर चंडीगढ़ के शांत माहौल से निकलकर दिल्ली की उथल-पुथल भरी राजनीति और प्रशासनिक दबाव में राजीव वर्मा का सफर आसान नहीं होगा। 1 अक्टूबर से उनकी असली परीक्षा शुरू होगी।