नई दिल्ली : त्योहारी सीजन से पहले केंद्र सरकार ने यात्रियों और वाहन मालिकों को राहत का बड़ा तोहफा दिया है। अब अगर आपकी गाड़ी में फास्टैग (FASTag) नहीं है, या उसमें पर्याप्त बैलेंस नहीं है, तो आपको टोल प्लाजा पर अब दोगुना नहीं बल्कि सिर्फ सवा गुना शुल्क देना होगा लेकिन शर्त ये है कि भुगतान यूपीआई (UPI) के जरिए करना होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में नई अधिसूचना जारी की, जो देशभर के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू होगी।
पुराना नियम क्या था?
आपको बता दें कि अब तक का नियम यह था कि अगर कोई वाहन बिना फास्टैग के या फास्टैग में बैलेंस खत्म होने की स्थिति में टोल प्लाजा पर पहुंचता था, तो उसे दोगुनी टोल राशि चुकानी पड़ती थी। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी वाहन की सामान्य टोल फीस ₹100 है, तो बिना फास्टैग के उसे ₹200 देने पड़ते थे।
नया नियम क्या कहता है?
गौरतलब है कि अब मंत्रालय ने इसमें बदलाव करते हुए कहा है कि अगर वाहन चालक यूपीआई (Unified Payments Interface) के जरिए पेमेंट करता है, तो उसे केवल सवा गुना (1.25 गुना) रकम ही देनी होगी। उदाहरणस्वरूप -
सामान्य टोल शुल्क — ₹100
फास्टैग न होने पर नकद — ₹200
यूपीआई से भुगतान करने पर — ₹125
यानी यात्रियों को 75 रुपये की राहत सीधे मिलेगी।
कब और क्यों लागू हुआ ये बदलाव?
आपको बता दें कि मंत्रालय के मुताबिक, यह निर्णय दिवाली यात्रा सीजन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। त्योहारों पर लाखों लोग सफर करते हैं, और फास्टैग में बैलेंस खत्म हो जाने या डिवाइस खराब होने पर यात्रियों को भारी परेशानी होती है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने और नकद लेनदेन को घटाने के मकसद से यह नई व्यवस्था शुरू की गई है।
सिस्टम खराब है तो मिलेगी “फ्री एंट्री” :
गौरतलब है कि एक और बड़ा बदलाव यह है कि अगर किसी टोल प्लाजा पर इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम (ETC) खराब है या तकनीकी दिक्कत से फास्टैग स्कैन नहीं हो पा रहा, तो वाहन मालिक को कोई टोल नहीं देना होगा। उसे “शून्य लेनदेन (Zero Transaction)” की रसीद दी जाएगी और वह बिना भुगतान के आगे जा सकेगा।
सरकार का उद्देश्य — डिजिटल इंडिया और सुविधा दोनों :
विदित है कि मंत्रालय ने कहा कि “यह निर्णय डिजिटल इंडिया के विज़न को आगे बढ़ाने के साथ-साथ आम जनता को राहत देने के लिए लिया गया है। नकद लेनदेन की झंझट घटेगी, और टोल पर जाम की स्थिति में भी कमी आएगी।”
फास्टैग और यूपीआई; भारत की डिजिटल क्रांति का हिस्सा :
आपको बता दें कि भारत में फिलहाल लगभग 7.5 करोड़ से अधिक वाहनों में FASTag लगे हैं, जो देश के 97% टोल भुगतान को कवर करते हैं। लेकिन अब भी कई वाहन, खासकर ग्रामीण या पुराने वाहन मालिक फास्टैग नहीं लगवाते। यूपीआई के जरिए टोल पेमेंट का यह विकल्प, भारत के डिजिटल ट्रांजेक्शन मॉडल को एक और स्तर पर ले जाएगा।
नकद भुगतान करने वालों के लिए नियम वही रहेगा :
विदित है कि अगर कोई ड्राइवर न तो फास्टैग का उपयोग करता है और न ही यूपीआई से भुगतान करना चाहता है, तो उसे अब भी दोगुना टोल शुल्क देना होगा। यानी यह रियायत सिर्फ डिजिटल भुगतान करने वालों के लिए है।
निष्कर्ष:
केंद्र सरकार का यह कदम आम जनता के लिए एक स्मार्ट और राहत भरा फैसला है। अब ड्राइवरों को नकद झंझट से मुक्ति मिलेगी, ट्रैफिक कम होगा और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा। त्योहारों की भीड़ और लंबी यात्राओं के बीच यह कदम सच में देशभर के यात्रियों के लिए “टोल पर राहत का दिवाली गिफ्ट” साबित हो रहा है।