नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के लिए ₹35,440 करोड़ की दो ऐतिहासिक योजनाओं की शुरुआत की है, जो आने वाले वर्षों में भारत की कृषि प्रणाली का चेहरा बदलने वाली हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित समारोह में पीएम मोदी ने दोनों योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा “अब हमारा लक्ष्य है बीज से बाज़ार तक किसानों को सशक्त बनाना और भारत को दालों व अनाज में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना।”
इस अवसर पर उन्होंने किसानों से सीधा संवाद किया और कहा कि “भारत अब फूड आत्मनिर्भरता से आगे बढ़कर कृषि निर्यात बढ़ाने की दिशा में भी काम करेगा।”
कौन-सी हैं ये योजनाएँ?
1️⃣ प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM-DDKY)
बजट: ₹24,000 करोड़
• इसका लक्ष्य है देश के 100 ऐसे जिलों को विकसित करना जहां कृषि उत्पादकता अब तक कम रही है।
• इन जिलों में फसल विविधीकरण, जल प्रबंधन, सिंचाई, भंडारण और ऋण सहायता जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
• इस योजना के तहत केंद्र सरकार 36 अलग-अलग कृषि योजनाओं का समन्वय (convergence) करेगी, ताकि एक ही मंच पर किसानों को हर सुविधा मिल सके।
• इसके जरिए खेती में तकनीक का इस्तेमाल, आधुनिक उपकरणों की पहुंच और ‘फार्म टू मार्केट’ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा।
2️⃣ दाल आत्मनिर्भरता मिशन (Mission for Aatmanirbharta in Pulses)
बजट: ₹11,440 करोड़
भारत दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बने, यही इसका लक्ष्य है। सरकार ने 2030-31 तक दाल उत्पादन को 252 लाख टन से बढ़ाकर 350 लाख टन तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। दाल की खेती का रकबा 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा और प्रति हेक्टेयर उत्पादन को 1,130 किलोग्राम तक पहुँचाने का लक्ष्य है।
किसानों को बीज, तकनीकी प्रशिक्षण, प्रोसेसिंग और भंडारण की बेहतर सुविधाएँ दी जाएँगी ताकि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके। इससे भारत को दाल आयात पर निर्भरता घटाने और निर्यातक बनने का अवसर मिलेगा।
साथ में उद्घाटन और आधारशिला कार्यक्रम भी:
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़ी ₹5,450 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया और ₹815 करोड़ की नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
इनमें शामिल हैं–
बेंगलुरु और जम्मू-कश्मीर में Artificial Insemination Centres, असम में IVF लैब, मछली आहार संयंत्र, कोल्ड चेन नेटवर्क, कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर और वेल्यू एडिशन हब।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
“हमारी सरकार किसानों को सिर्फ ‘उपज बढ़ाने’ तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि उन्हें वैल्यू एडिशन और ग्लोबल मार्केट से जोड़ने पर फोकस कर रही है।”
“पिछली सरकारों ने कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज किया था, लेकिन अब कृषि भारत की विकास यात्रा का केंद्र है।”
“कृषि उपकरणों पर GST घटाने से किसानों को भारी राहत मिली है और आधुनिक तकनीक तक उनकी पहुंच आसान हुई है।”
“भारत अब दुनिया में दाल उत्पादन का हब बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।”
कैसे मिलेगा किसानों को फायदा?:
उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी: 100 जिलों में फसल गुणवत्ता सुधार और ऋण उपलब्धता से किसानों की आय बढ़ेगी।
भंडारण और प्रसंस्करण में सुधार: पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस (फसल क्षति) घटेगी और दाम स्थिर रहेंगे।
तकनीकी सशक्तिकरण: किसान आधुनिक तकनीक, स्मार्ट सिंचाई और बेहतर बीजों से जुड़ सकेंगे।
रोजगार सृजन: कृषि और allied sectors में लाखों नए रोजगार के अवसर बनेंगे।
लंबे समय का लक्ष्य: 2030 तक भारत को कृषि आत्मनिर्भर और निर्यातक राष्ट्र बनाना।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं:
• हर जिले की मिट्टी, जलवायु और संसाधन अलग हैं, योजनाओं को लोकल जरूरतों के अनुसार ढालना होगा।
• समय पर बजट आवंटन और निगरानी जरूरी होगी ताकि भ्रष्टाचार या देरी न हो।
• किसानों तक योजनाओं की जानकारी और प्रशिक्षण प्रभावी रूप से पहुँचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
निष्कर्ष:
इन दोनों योजनाओं के जरिए मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि आने वाले दशक में भारत का लक्ष्य सिर्फ ‘अनाज उत्पादन बढ़ाना’ नहीं बल्कि ‘कृषि अर्थव्यवस्था को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाना’ है। अगर ये योजनाएँ जमीन पर सही तरीके से लागू हुईं, तो आने वाले वर्षों में भारत सिर्फ खुद के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी “फूड सप्लाई हब” बन सकता है।