अब उत्तराखंड में बाहरी लोगों को जमीन खरीदना हुआ मुश्किल!: करना होगा इन कड़ी शर्तों का पालन अन्यथा जब्त हो जाएगी भूमि, जानिए क्या कहता है नया भू-कानून?
अब उत्तराखंड में बाहरी लोगों को जमीन खरीदना हुआ मुश्किल!

देहरादूनः उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) के द्वारा उत्तराखंड यूपी जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि प्रबंधन अधिनियम 1950 (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी गई है। वहीं इस विधेयक के लागू होने के पश्चात अब राज्यों के लोग उत्‍तराखंड के 13 में से कुल 11 जिलों में कृषि भूमि नहीं खरीद सकते हैं। बता दें कि हरिद्वार तथा उधम सिंह नगर 2 ऐसे जिले हैं जो इस कानून के दायरे में फिलहाल नहीं आते हैं।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी जानकारी:

गौरतलब है कि बीते गुरुवार को सीएम पुष्कर धामी के द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करके इस विधेयक की मंजूरी के बारे में बताया गया था। वहीं इस कानून के अंतर्गत भूमि खरीदने की योजना बनाने वाले किसी भी अन्य राज्य के व्यक्ति को उप-पंजीयक को एक हलफनामा प्रस्तुत करना पड़ेगा।

जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि न तो उसने अथवा न ही उसके परिवार के द्वारा आवासीय उद्देश्यों के लिए उत्तराखंड राज्य में कहीं तथा 250 वर्ग मीटर से अधिक की भूमि खरीदी है। वहीं यदि कोई खरीदार स्वीकृत उद्देश्य के लिए अपनी भूमि का उपयोग करने में विफल रहता है, अथवा बिना प्राधिकरण के इसे उपहार अथवा स्थानांतरित करने में विफल रहता है, तो उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

निवेशक को जमीन मिलेगी लेकिन पूरी करनी होगी शर्तें:

आपको बता दें कि उत्तराखंड में संशोधित भू-कानून के लागू होते ही हरिद्वार तथा यूएसनगर को छोड़कर बाकी अन्य सभी 11 जिलों में कृषि तथा उद्यान के लिए जमीन खरीदना अब प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके साथ ही राज्य में व्यावसायिक निवेश के लिए जमीन तो खरीद सकेंगे, लेकिन इसके लिए कड़ी शर्तें पूरी करनी पड़ेगी।

शपथ पत्र का उल्लंघन करने पर जब्त हो जाएगी जमीन:

इसके अतिरिक्त इसमें यह प्रावधान भी किया गए है कि नगर निकाय सीमा से बाहर अर्थात दूसरे राज्य के लोग अब केवल 250 वर्ग मीटर ही जमीन खरीद सकेंगे। वहीं रजिस्ट्री कराते वक्त खरीदार को एक शपथ पत्र जमा कराना होगा। वहीं यदि इस शपथ पत्र का उल्लंघन किया जाता है तो जमीन को सीधे जब्त कर लिया जाएगा।

इस संशोधन से अनियंत्रित बिक्री पर लग सकेगी रोक:

दरअसल सरकार के द्वारा यह कहा गया है कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।

यह अधिनियम राज्य के निवासियों की भावना के अनुरूप यानि उत्तराखंड में कृषि तथा बागवानी भूमि की अनियंत्रित बिक्री को पूरी तरह से रोकने में सक्षम होगा।

वहीं आवासीय, शैक्षणिक, अस्पताल, होटल तथा औद्योगिक जरूरतों के लिए अब अन्य राज्यों के लोग काफी कड़ी प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात ही यहां जमीन खरीद सकेंगे।

सख्त भू-कानून रोकेगा डेमोग्राफी चेंज को: सीएम धामी

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह भी कहना है कि उत्तराखंड (यूपी जमींदारी विनाश तथा भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) संशोधन विधेयक, 2025 पर राज्यपाल की मुहर लगने के पश्चात अब प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि यह कानून हमारे राज्य में डेमोग्राफी चेंज की कोशिशें को भी रोके सकेगा।

क्रीड़ा विवि विधेयक को राजभवन से नहीं मिली मंजूरी:

हालांकि राजभवन के द्वारा सरकार के महत्वाकांक्षी क्रीड़ा विश्वविद्यालय को फिलहाल अभी मंजूरी नहीं दी गई है। एक बार पहले राजभवन के द्वारा क्रीडा विवि के मानकों पर आपत्ति जताते हुए बिना मंजूरी दिए ही लौटा दिया गया था। इसलिए सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा था। वहीं बजट सत्र में पेश किए गए विधेयक में राजभवन की आपत्तियों का समाधान करते हुए पुनः संशोधन कर दिए गए थे।

यह विधेयक भी किए गए पारित:

1) उत्तराखंड नगर तथा ग्राम नियोजन एवं विकास (संशोधन) विधेयक, 2025

2) उत्तराखंड (लोक सेवा कुशल खिलाड़ियों हेतु क्षैतिज आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2025

3) उत्तराखंड निरसन विधेयक, 2025

4) उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025

5) उत्तराखंड माल तथा सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025

6) उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) संशोधन विधेयक, 2025

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