स्वास्थ्य: देश में हर दिन आत्महत्या की खबरें आना आम हो गया है। कोई छात्र फेल होने के डर से जान दे देता है, कोई कारोबारी कर्ज़ में डूबकर, कोई युवा प्यार में असफल होकर तो कोई पिता परिवारिक कलह से टूटकर। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हर दिन खुदकुशी करने वालों में सबसे बड़ी संख्या पुरुषों की है।
हर दिन औसतन 338 पुरुष करते आत्महत्या :
गौरतलब है कि नेशनल क्राइम-रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि साल भर में 1.70 लाख लोगों ने आत्महत्या की, इनमें से 1.2 लाख यानी लगभग 72.0% पुरुष थे। मतलब, हर दिन औसतन 338 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। यह आंकड़ा वाकई चिंता बढ़ाने वाला है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा सुसाइड? :
आपको बता दें कि सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले इन राज्यों से सामने आए:
महाराष्ट्र - 22,746
तमिलनाडु - 19,834
मध्य प्रदेश - 15,386
कर्नाटक - 13,606
उत्तर प्रदेश - 8,176
छोटे राज्यों जैसे सिक्किम, अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी में प्रति लाख आबादी पर आत्महत्या दर सबसे अधिक है।
पुरुषों में सुसाइड के क्या कारण? :
एनसीआरबी के अनुसार, आत्महत्या के सबसे बड़े कारण पारिवारिक समस्याएं (31.7%) और बीमारियां (18.4%) हैं। लेकिन जब हम पुरुषों के मामलों को अलग से देखते हैं, तो इन वजहों के अलावा कई और सामाजिक और मानसिक कारण सामने आते हैं, जैसे नौकरी से निकाले जाना, व्यापार में भारी घाटा, कर्ज़ में डूबना, प्यार में असफलता, झूठे केसों का डर, संपत्ति विवाद, समाजिक तिरस्कार इन आत्महत्याओं की वजह बनती हैं। डॉ. ज्योति कपूर, सीनियर साइकेट्रिस्ट, कहती हैं, “हमारे समाज में पुरुषों को बचपन से सिखाया जाता है कि वे कमजोर न दिखें, न रोएं, अपनी समस्या खुद सुलझाएं। इसका परिणाम यह होता है कि जब वे अंदर से टूट जाते हैं तो किसी से मदद नहीं मांगते और चुपचाप मौत को गले लगा लेते हैं।”
झूठे आरोप और उत्पीड़न भी बड़ी वजह :
रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में हरियाणा में एक अध्ययन में सामने आया कि 52% विवाहित पुरुष लिंग आधारित हिंसा के शिकार होते हैं, लेकिन उन्हें न तो क़ानूनी मदद मिलती है, न मानसिक सहयोग। डॉ. श्वेता शर्मा, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, बताती हैं कि “झूठे आरोप, ब्लैकमेलिंग, घरेलू हिंसा और कानूनी परेशानियां पुरुषों को मानसिक रूप से तोड़ देती हैं। चूंकि उन्हें समाज से भी सहानुभूति नहीं मिलती, वे खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं।” 2013-14 के एक सर्वे में यह भी सामने आया कि 53% रेप केस झूठे पाए गए थे। इन मामलों में फंसे पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा।
क्या करें अगर ऐसे विचार आएं? :
किसी भरोसेमंद मित्र, परिवार-सदस्य या काउंसलर से बात करें।
नियमित एक्सरसाइज करें, संतुलित आहार लें और नींद पूरी करें।
जरूरत पड़े तो तुरंत हेल्पलाइन पर संपर्क करें:
किरण हेल्पलाइन: 1800-599-0019 (24x7)
मनोदर्पण हेल्पलाइन: 844-844-0632
आज के दौर में पुरुषों की मानसिक सेहत पर खुलकर बात करने की जरूरत है। पुरुष भी इंसान हैं, उन्हें भी दुख, तनाव और हार का सामना करना पड़ता है। समाज को चाहिए कि उनकी आवाज सुने, बिना जज किए मदद करे। डॉ. प्रीति सिंह का कहना है कि “अब समय आ गया है कि हम पुरुषों को भी खुलकर अपनी समस्याएं कहने का मौका दें। उन्हें यह महसूस कराएं कि मदद मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है।” अगर हम सब मिलकर यह माहौल बनाएंगे, तो न जाने कितनी कीमती जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।