यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत!: न्यूनतम वेतनमान तय, वही...
यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार नेआउटसोर्स कर्मचारियों के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि अब राज्य के सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान मिलेगा। यह कदम कर्मचारियों के लिए न केवल आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि उनके काम के सम्मान और मनोबल को भी बढ़ाएगा। लंबे समय से आउटसोर्स कर्मचारियों को कम वेतन और असमान वेतन की समस्या झेलनी पड़ रही थी। कई चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को मात्र 7-8 हजार रुपये में दिन-रात काम करना पड़ता था, जबकि नर्स और तकनीकी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को भी उनकी योग्यता और मेहनत के अनुसार वेतन नहीं मिल पा रहा था।

वेतनमान की चार श्रेणियां:

सरकार ने कर्मचारियों को चार श्रेणियों में बांटते हुए न्यूनतम मासिक वेतन तय किया है। पहली श्रेणी में पेशेवर पदों को रखा गया है, जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, लेक्चरर, प्रोजेक्ट ऑफिसर और एकाउंट ऑफिसर, जिन्हें अब न्यूनतम 40,000 रुपये मासिक वेतन मिलेगा। दूसरी श्रेणी में नर्सिंग और तकनीकी कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जैसे स्टाफ नर्स, जूनियर इंजीनियर, टीजीटी शिक्षक, ट्रांसलेटर और फार्मासिस्ट, जिनका न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये होगा। तीसरी श्रेणी में प्रशासनिक सहायकों जैसे जूनियर असिस्टेंट, डाटा एंट्री ऑपरेटर, मैकेनिक, सुपरवाइज़र और लैब असिस्टेंट को रखा गया है, जिनका न्यूनतम वेतन 22,000 रुपये होगा। चतुर्थ श्रेणी में चपरासी, चौकीदार, माली, कुक, स्वीपर, हेल्पर और वार्ड अटेंडेंट जैसे 97 पद शामिल हैं, जिन्हें न्यूनतम 20,000 रुपये मासिक वेतन मिलेगा।

कर्मचारियों को लाभ:

इस फैसले से प्रदेशभर के लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा। विशेष रूप से चौथी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह पहली बार आय की गारंटी है। न्यूनतम 20,000 रुपये की मासिक आय से उनका जीवन स्तर सुधरेगा, परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को पूरा करना आसान होगा। इससे कर्मचारियों का आत्मविश्वास और काम के प्रति उत्साह भी बढ़ेगा।

विशेषज्ञों की राय:

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और काम की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही, आउटसोर्स एजेंसियों की मनमानी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। न्यूनतम वेतन सुनिश्चित होने से रोजगार प्रक्रिया और वेतन वितरण में पारदर्शिता आएगी, और कर्मचारियों को समय पर भुगतान की गारंटी मिलेगी।

योगी सरकार का मील का पत्थर

योगी सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा, सम्मान और स्थिरता देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस कदम से प्रदेश की कार्यसंस्कृति में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है। कर्मचारियों को उनके मेहनत के अनुसार वेतन मिलने से न केवल उनका जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि पूरे कार्यबल का मनोबल और कार्यक्षमता भी बढ़ेगी।

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