उत्तराखंड के इन गांवों की शादी में चाऊमीन-डीजे, महंगे-गिफ्ट बैन!: नियम तोड़े तो लगेगा इतने रूपये का भारी भरकम जुर्माना, वजह जान चौंक जाएँगे आप?
उत्तराखंड के इन गांवों की शादी में चाऊमीन-डीजे, महंगे-गिफ्ट बैन!

उत्तरकाशी/उत्तराखंड : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में शादी-ब्याह का रंग-ढंग अब बदलने वाला है। जौनसार-बाबर क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों ने मिलकर शादी समारोहों पर कड़े ‘संस्कारिक नियम’ लागू कर दिए हैं। चकराता ब्लॉक के इन गांवों ने फास्ट फूड, डीजे, महंगे गिफ्ट और दिखावे वाली सारी रस्मों पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। गांवों का कहना है कि “शादी समारोह अब बोझ नहीं, परंपरा का उत्सव बने।” और अगर कोई इन नए नियमों को तोड़ता दिखा, तो सीधा ₹1 लाख जुर्माना लगाया जाएगा।

क्या-क्या हुआ पूरी तरह बैन?

आपको बता दें कि इन गाँवों में शादी समारोह में निम्नलिखित चीजें पूरी तरह से बैन हो गयी हैं।

●शादी में चाऊमीन, मोमोज, नूडल्स और बाकी ‘शहरिया फास्ट फूड’
●डीजे और हाई-वॉल्यूम साउंड
●शराब की बोतलें और नशे का कोई सामान
●महंगे गिफ्ट, लक्ज़री तोहफे और दिखावा
●दूल्हा-दुल्हन के परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ाने वाली रस्में

क्या होगा अब? केवल ‘गढ़वाली परंपरा’ की वापसी :

गौरतलब है कि गांवों ने निर्णय लिया है कि शादी में सिर्फ स्थानीय व्यंजन परोसे जाएंगे यानी — मंडुवा, झंगोरा, गहत, भटकी दाल, चांसू, स्थानीय सब्जियां… यानी असली पहाड़ी थाली।
वहीं डीजे की जगह अब- ढोल-दमाऊ, रणसिंघा, मुरली और गढ़वाली लोकगीत गूंजेंगे।
यानि पूरी शादी बिल्कुल पारंपरिक अंदाज़ में होगी।

गांवों की दलील - “शादियां अब दौड़ नहीं, संस्कार होंगी” :

विदित है कि दोहा गांव समूह के प्रमुख राजेंद्र तोमर ने साफ कहा कि “महंगे तोहफों और फास्ट फूड की वजह से शादियां एक प्रतियोगिता बन गई थीं। परिवार कर्ज में डूबने लगा था। अब फिर से शादी को उसके असली रूप में लाना जरूरी था।”
क्यावा गांव के बुजुर्ग कर्मू पाल ने भावुक होकर कहा कि “हम अपनी नई पीढ़ी को याद दिलाना चाहते हैं कि हमारी पहचान क्या है। ढोल-दमाऊ की थाप पर शादी करना हमारी संस्कृति है, डीजे की धुन पर नहीं।”

पड़ोसी जिलों में भी असर; डीजे और शराब पर पाबंदी :

विदित है कि उत्तरकाशी के नौगांव क्षेत्र के कोटी थाकराल और कोटी बनाल गांवों ने भी नियम लागू करते हुए। डीजे और शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। सभी रंगारंग कार्यक्रम अब केवल लोकधुनों पर ही होंगे।

क्यों उठाया गया यह कदम?

गौरतलब है कि इन कदमों की उठाने की वजह निम्नलिखित है।

●दिखावे की होड़ रोकने के लिए
●परिवारों पर बढ़ते आर्थिक बोझ से राहत के लिए
●स्थानीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए
●युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने के लिए
●नशे की बढ़ती आदत पर रोक के लिए।

उत्तराखंड के इन गांवों का संकल्प है कि शादी सरल भी हो और संस्कारी भी। इन गांवों की सामूहिक घोषणा साफ है कि “शादी-ब्याह खुशी का मौका है, कर्ज और दिखावा साबित न हो।” इस पहल को पूरे राज्य में सराहना मिल रही है और कई गांव इसी मॉडल को अपनाने की तैयारी में हैं।

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