दिल्ली: शहर में एक ऐसी ऐतिहासिक और इंसानियत भरी पहल शुरू होने जा रही है, जो राजधानी में भूख और महंगाई से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संजय बस्ती, तिमारपुर में दिल्ली की पहली अटल कैंटीन का शिलान्यास कर दिया है, जहाँ सिर्फ ₹5 में ताज़ा, पौष्टिक और भरपेट भोजन मिलेगा। यह कदम दिल्ली की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
क्यों खास है अटल कैंटीन? सरकार का ‘Zero Hunger Delhi 2030’ लक्ष्य
दिल्ली में भूख, महंगाई और आर्थिक असमानता लंबे समय से बड़ी चुनौती रही है। दिल्ली सरकार ने ऐलान किया कि वर्ष 2030 तक राजधानी में ‘Zero Hunger’ लक्ष्य हासिल करने के लिए अटल कैंटीन एक अहम हथियार होंगी।
इन कैंटीनों को दक्षिण भारत की प्रसिद्ध अम्मा कैंटीन, राजस्थान की इंदिरा रसोई और अन्य राज्यों की जन-रसोई योजनाओं की तर्ज पर तैयार किया गया है, लेकिन दिल्ली मॉडल टेक्नोलॉजी और पारदर्शिता के मामले में एक कदम आगे माना जा रहा है।
दिल्ली में कहाँ-कहाँ खुलेंगी अटल कैंटीन? 100 लोकेशन तय
दिल्ली सरकार ने पहले चरण में 100 कैंटीनें शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इनमें से कई स्थान पहले ही चिन्हित किए जा चुके हैं:
•तिमारपुर
•आज़ादपुर
•कश्मीरी गेट ISBT
•आनंद विहार बस टर्मिनल
•AIIMS-सफदरजंग
•साकेत
•रोहिणी
•उत्तम नगर
•द्वारका
•ओखला
•नरेला
•शाहदरा
इन जगहों को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां दैनिक वेतनभोगी, मजदूर, रिक्शा चालक, छात्र और जरूरतमंद लोगों की संख्या अधिक है।
क्यों रखा गया ‘अटल कैंटीन’ नाम? नामकरण का इतिहास
ये कैंटीन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की गरीब-कल्याण नीतियों और ‘अंत्योदय’ दर्शन से प्रेरित हैं।
योजना की शुरुआत 25 दिसंबर को होगी, अटल जी की जयंती पर। सरकार का कहना है कि यह गरीबों के लिए उनके विज़न को सच्ची श्रद्धांजलि है।
कितनी थालियां परोसी जाएंगी? आंकड़े चौंकाने वाले हैं
हर कैंटीन: 1000 भोजन प्रतिदिन (500 दोपहर + 500 रात)
100 कैंटीन: 1 लाख थालियां हर दिन, साल भर में 3.5 करोड़ से ज्यादा भोजन
यह आंकड़ा दिखाता है कि यह योजना न सिर्फ गरीबों के लिए राहत है बल्कि भूख के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की शुरुआत भी है।
मेन्यू में रोज क्या मिलेगा? पूरी तरह पोषण आधारित भोजन
दिल्ली सरकार ने साफ कहा है कि “थाली सस्ती जरूर होगी, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं।”
हर दिन का मेन्यू इस प्रकार हो सकता है:
सोमवार: दाल-चावल + रोटी
मंगलवार: राजमा-चावल
बुधवार: खिचड़ी + सब्जी
गुरुवार: दाल-रोटी + हल्की सब्जी
शुक्रवार: वेज पुलाव
शनिवार-रविवार: प्रोटीन रिच 'स्पेशल थाली'
यह सब सिर्फ ₹5 में मिलेगा, जबकि वास्तविक लागत ₹25-₹30 तक होती है।
टेक्नोलॉजी वाला डिजिटल मॉडल, यह दिल्ली को अलग बनाता है
अटल कैंटीन सिर्फ खाने की जगह नहीं, बल्कि एक डिजिटल पब्लिक सर्विस मॉडल है
QR कोड आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोकन, Atal Canteen Mobile App, भोजन की लाइव मॉनिटरिंग, स्टॉक ट्रैकिंग, शिकायत निवारण पोर्टल, सभी कैंटीनों में HD CCTV कैमरे, यह मॉडल सुनिश्चित करेगा कि थाली सही व्यक्ति तक पहुंचे और किचन की स्वच्छता से लेकर मेन्यू तक सबकुछ पारदर्शी रहे।
सुरक्षा और स्वच्छता के कड़े मानक
•FSSAI सर्टिफाइड किचन
•RO पानी
•एलपीजी आधारित आधुनिक किचन
•हफ्ते में एक बार भोजन का फूड टेस्ट
•ग्लव्स, हेयरनेट और मास्क अनिवार्य
•सफाई कर्मचारियों की अलग टीम
सरकार का दावा है कि अटल कैंटीन "सस्ती जरूर है, लेकिन सुरक्षित और पौष्टिकता में किसी 5-स्टार के किचन से कम नहीं होगी।"
लोगों की प्रतिक्रियाएँ, मजदूर, महिलाएँ और विद्यार्थी सबसे खुश
सामान्य लोगों की प्रतिक्रियाएँ बेहद भावुक हैं, मजदूर बोले “5 रुपये में इतना अच्छा खाना कहीं नहीं मिलता।” महिलाओं ने कहा “बच्चों के लिए बड़ी राहत है।” बुजुर्गों ने कहा “रोज दाल-सब्जी मिलना हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं।” यह प्रतिक्रियाएँ इस योजना की सामाजिक जरूरत और प्रभाव को स्पष्ट करती हैं।
राजनीतिक और विशेषज्ञों की राय
कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि “यह योजना महंगाई से लड़ने और गरीबों की खाद्य सुरक्षा का सबसे प्रभावी तरीका है, लेकिन फंडिंग का पारदर्शी मॉडल जरूरी होगा।”
विपक्ष ने कहा कि यह योजना अच्छी है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि “सब्सिडी का दुरुपयोग न हो और टोकन सिस्टम पारदर्शी रहे।”
दिल्ली को रोजगार भी मिलेगा: हर कैंटीन में 10–15 नौकरियाँ
100 कैंटीनों में करीब 1500 लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसमें शामिल हैं:
•रसोइया
•सहायक स्टाफ
•सफाई कर्मचारी
•मैनेजर
•सुरक्षा कर्मी
•IT/टेक सपोर्ट स्टाफ
100 नहीं, भविष्य में 500 अटल कैंटीन तक विस्तार की तैयारी
अगर पहले चरण में योजना सफल रहती है, तो सरकार इसे विस्तारित कर के मेट्रो स्टेशनों, हॉस्पिटल परिसर, औद्योगिक क्षेत्रों, निर्माण स्थलों पर और 400 नई कैंटीनें शुरू करने की तैयारी में है।
सामाजिक असर, दिल्ली में भूख से लड़ने का सबसे बड़ा कदम
यह योजना सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और समानता का संदेश देती है। जब कोई मजदूर, महिला या बुजुर्ग व्यक्ति सिर्फ ₹5 देकर गरिमा के साथ भोजन कर सके तो यह सिर्फ स्कीम नहीं, बल्कि समाज सुधार की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।
निष्कर्ष
दिल्ली की 100 अटल कैंटीनें न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए राहत बनेंगी, बल्कि देशभर में सोशल वेलफेयर मॉडल का नया मानक भी स्थापित करेंगी। 25 दिसंबर को इस योजना की शुरुआत का इंतजार पूरा देश कर रहा है।