गुरुग्राम में चालानों की सुनामी!: 5 महीने 8 लाख लोग...पिछले हफ्ते 2.5 करोड़ ₹ के चालान...ट्रैफिक नियम तोड़ने में देश का 'नंबर वन' शहर?
गुरुग्राम में चालानों की सुनामी!

गुरुग्राम : देश के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाने वाला गुरुग्राम आजकल एक और वजह से सुर्खियों में है और वो है धड़ाधड़ कटते चालान की वजह से। जनवरी से मई 2025 के बीच ट्रैफिक पुलिस ने रिकॉर्ड 8,31,782 चालान किए हैं। यानी हर दिन औसतन 5,500 से ज्यादा लोगों पर कार्रवाई हुई है। सवाल यह है कि इतने चालानों के बाद भी नियम तोड़ने की आदतें क्यों नहीं बदलीं? क्या गुरुग्राम भारत का ट्रैफिक नियम तोड़ने वाला राजधानी बनता जा रहा है?

चौंकाने वाले हैं आंकड़े :

आपको बता दें कि पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इस साल ट्रैफिक उल्लंघन का प्रकार और चालान निम्नलिखित सारणी अनुसार है।

(जनवरी–मई 2025)

 उल्लंघन का प्रकार   -       चालान

●रॉन्ग साइड ड्राइविंग   -  1,00,500
●गलत साइड पार्किंग      -    85,400
●बिना हेलमेट       -    1,34,295
●बाइक पर डबल सवारी (बिना हेलमेट)     - 1,75,885
●बिना सीट बेल्ट   -       8,687
●ड्रिंक एंड ड्राइव      -   10,773
●ओवर स्पीडिंग   -       34,896
●रेड लाइट जंप      -  5,876
●मोबाइल फोन इस्तेमाल  -  2,398
●अंडर एज ड्राइविंग     -   88

कुल चालान (जनवरी–मई) तक 8,31,782 रहा।

ट्रैफिक पुलिस की नयी जागरूकता पहल :

12 जून से ट्रैफिक पुलिस ने नया जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत सड़क पर हेलमेट पहनने वालों को ट्रैफिक पुलिस फूल और सलाम देती है। इस दौरान "सेफ्टी रथ" चलाए गए जिनमें LED डिस्प्ले से नियम समझाए गए। आपको बता दें कि 16 से 22 जून के बीच 19,353 चालान और ₹2.5 करोड़ जुर्माना वसूला गया। DCP ट्रैफिक डॉ. राजेश मोहन का कहना है कि : "हमारे लिए चालान कटना उद्देश्य नहीं है। हम चाहते हैं कि लोग सड़क सुरक्षा को समझें। अगर आप हेलमेट पहनते हैं, सीट बेल्ट लगाते हैं, तो पुलिस आपका स्वागत करेगी, चालान नहीं।”

सड़क हादसे के आंकड़े डराने वाले :

 साल:सड़क-हादसे-घायल    -मौतें 

2017:  800    -     200     - 461
2018:  850       - 193     - 465
2019:  960       - 792      - 405
2020:  250    - 171      - 169
2021:  944    -     845    -  377
2022:  1,040 -  886    -  404
2023:  1,172    - 874     -  494
2024:  1019    - 750  -     448

आपको बता दें कि इस आंकड़े के अनुसार हर साल औसतन 400 से ज़्यादा लोग गुरुग्राम की सड़कों पर मर रहे हैं।

लोग सुधर क्यों नहीं रहे? :

विशेषज्ञों का मानना है कि चालान का डर लंबे समय तक असर नहीं करता जब तक कि सड़क सुरक्षा व्यक्तिगत जिम्मेदारी न बन जाए। “लोग हेलमेट सिर्फ चालान से बचने के लिए पहनते हैं, जान बचाने के लिए नहीं।” “ड्रिंक एंड ड्राइव, ओवरस्पीडिंग अभी भी शहर में 'स्टेटस सिंबल' मानी जाती है।”

क्या “चालान नहीं, सलाम मिलेगा” अभियान से होगा बदलाव :

विदित है कि अभियान का उद्देश्य आर्थिक दंड की जगह सामाजिक सम्मान को केंद्र में लाना है। पुलिस उम्मीद कर रही है कि ये मानवीय अपील काम करेगी और लोग नियमों को डर से नहीं, समझ से मानेंगे।

ट्रैफिक पुलिस का यह अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि गुरुग्राम के ड्राइवर अब भी जागेंगे, या अगली रिपोर्ट में मौतों की संख्या और बढ़ेगी? क्योंकि अब मामला सिर्फ चालान का नहीं, जिंदगी और मौत का है।

अन्य खबरे