गाजियाबाद : उत्तर-प्रदेश में सावन के शुरुआत होने से पहले ही प्रशासन हाई-एलर्ट मोड पर चला गया है। 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा का आगाज होते ही हरिद्वार से लेकर दिल्ली की सीमा तक शिवभक्तों का सैलाब उमड़ने वाला है। गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने कांवड़ यात्रा के मद्देनजर 11 जुलाई रात 10 बजे से 25 जुलाई तक भारी वाहनों के लिए डायवर्जन प्लान लागू करने की घोषणा की है। एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक सच्चिदानंद के अनुसार, ज़रूरत पड़ने पर इसमें संशोधन भी किया जा सकता है।
कहां-कहां रहेगा भारी वाहनों पर प्रतिबंध:
गौरतलब है कि दिल्ली से गाजियाबाद आने वाले भारी वाहन (लोनी, सीमापुरी, आनंद विहार बॉर्डर) प्रतिबंधित रहेंगे। ऐसे वाहन यूपी गेट होकर NH-9 और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से आगे बढ़ें। वहीं हापुड़/बुलंदशहर से गाजियाबाद शहर की ओर भारी वाहन नहीं जा सकेंगे।
NH-58 पर वन वे ट्रैफिक :
आपको बता दें कि गाजियाबाद के एडिशनल पुलिस कमिश्नर आलोक प्रियदर्शी ने ऐलान किया कि 11 जुलाई से NH-58 यानी दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भारी वाहनों का डायवर्जन लागू होगा। कांवड़ियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए हाईवे को "वन वे" किया जाएगा, यानी कांवड़िए तो चलेंगे, लेकिन भारी वाहन सड़कों से हटाए जाएंगे। गंगनहर पटरी मार्ग और NH-58 पर स्पेशल सुरक्षा इंतजाम होंगे। रोडवेज बसों के लिए अलग व्यवस्था की जा रही है और दुर्घटनाओं से बचाव के लिए अस्थायी स्पीड ब्रेकर लगाए जाएंगे।
ट्रांसपोर्ट यूनियनों से मीटिंग :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डायवर्जन को सख्ती से लागू कराने को लेकर पुलिस लाइन में ट्रांसपोर्ट यूनियन के साथ बैठक की गई जिसमें एसीपी ट्रैफिक, सभी टीआई और यूनियन पदाधिकारी मौजूद रहे। उन्हें निर्देश दिया गया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात नियमों का पालन करें और वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें।
300 ट्रैफिक कर्मी सड़क पर तैनात :
गौरतलब है कि गाजियाबाद ट्रैफिक के एडिशनल डीसीपी सच्चिदानंद ने बताया कि 300 ट्रैफिक पुलिसकर्मी खासतौर पर NH-58 पर, शहर के व्यस्त चौराहों और गंग नहर पटरी पर तैनात रहेंगे। कंट्रोल रूम से हर पल की निगरानी होगी ट्रैफिक मूवमेंट से लेकर डाक कांवड़ की तेज़ रफ्तार तक पर पुलिस की नज़र रहेगी।
बिजली के खंभे ढंके जा रहे हैं, गड्ढे भरवाने का आदेश :
आपको बता दें कि ज़िलाधिकारी दीपक मीणा ने शहर की सड़कों का दौरा कर अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन सड़कों पर गड्ढे हैं, उन्हें तीन दिन में दुरुस्त किया जाए। बिजली के पोल्स को पॉलिथीन से कवर किया जाए ताकि कांवड़िए करंट की चपेट में न आएं। कांवड़ शिविर सड़क से तय दूरी पर ही लगें, ताकि यातायात बाधित न हो।
मेरठ से बागपत तक बढ़ी चौकसी :
इस बार सावन में अत्यधिक भीड़ की आशंका जताई गई है। डाक कांवड़िए, जो तेजी से दौड़ते हैं, उनके लिए स्पीड नियंत्रण विशेष चुनौती होगी। ऐसे में सभी ज़िलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हर जिले के पुलिस प्रमुखों को कहा गया है कि वे अपने यहां कंट्रोल रूम 24x7 एक्टिव रखें और ट्रैफिक व कांवड़ रूट की लगातार मॉनिटरिंग करें। CCTV कैमरे, पुलिस पेट्रोलिंग, फायर ब्रिगेड और मेडिकल यूनिट को भी तैनात करने का प्लान तैयार है।
क्यों है यह तैयारी जरूरी?
विदित है कि हर साल सावन में करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार से जल लेकर पैदल चलते हैं, कई बाइक, ट्रक या ट्रैक्टर से चलते हैं जिसे डाक कांवड़ कहते हैं। ऐसे में छोटी सी लापरवाही भी बड़े हादसे का कारण बन जाती है। पिछले वर्षों में तेज रफ्तार, रोड पर सोते कांवड़ियों से कई दुर्घटनाएं, झगड़े और तनाव के मामले सामने आए हैं।
2025 की सावन कांवड़ यात्रा भले ही श्रद्धा और आस्था का सबसे बड़ा मेला हो, लेकिन प्रशासन के लिए यह एक कठिन टेस्ट भी बनने जा रहा है। ट्रैफिक नियंत्रण से लेकर सुरक्षा तक हर कदम पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। देखना होगा कि इस बार प्रशासन की यह एडवांस प्लानिंग कांवड़ियों की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बना पाती है या नहीं।