विश्व भर में मुस्लिम आबादी में ज़बरदस्त बढोतरी!: ईसाई घटे, नास्तिकों में वृद्धि तो वहीं हिन्दू.... पढ़िए प्यू रिसर्च की सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट
विश्व भर में मुस्लिम आबादी में ज़बरदस्त बढोतरी!

वॉशिंगटन/नई दिल्ली : धर्म अब सिर्फ आस्था का विषय नहीं रहा, यह आंकड़ों और वैश्विक शक्ति संतुलन का पैमाना बनता जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बीते 10 वर्षों में दुनिया की धार्मिक जनसंख्या में भारी उलटफेर हुआ है। यह रिपोर्ट 2010 से 2020 तक के आंकड़ों का विश्लेषण करती है और जो नतीजे सामने आए हैं, वे आने वाले दशक के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समीकरणों को हिला देने वाले हैं।

सबसे तेज़ी से बढ़ा इस्लाम, हर चौथा व्यक्ति अब मुस्लिम :

गौरतलब है कि मुस्लिम जनसंख्या 2010 में 23.9% थी, जो 2020 में बढ़कर 25.6% हो गई है। यानी कुल 34.7 करोड़ मुसलमान बढ़े, और यह वृद्धि दुनिया में सबसे तेज रही। बढ़ती जनसंख्या, उच्च जन्म दर और युवा औसत आयु इस विस्फोटक वृद्धि के पीछे की मुख्य वजहें मानी जा रही हैं।

ईसाई धर्म अब भी सबसे बड़ा समुदाय, लेकिन हिस्सेदारी घटी :

आपको बता दें कि ईसाई अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह है जिसकी संख्या 229 करोड़ है। लेकिन अब वर्तमान वैश्विक हिस्सेदारी 30% से घटकर 28% हो गई। इसका मुख्य कारण है पश्चिमी देशों में धर्म से विमुखता और धर्म परिवर्तन है।

हिंदू धर्म में वृद्धि के बावजूद स्थिर हिस्सेदारी :

विदित है कि हिंदुओं की आबादी 2010 में 103.2 करोड़ से बढ़कर 2020 में 115.8 करोड़ हो गयी है। यानी 12.6 करोड़ की बढ़त हुई है लेकिन वैश्विक प्रतिशत 15% पर ही स्थिर है। यह दर्शाता है कि हिंदू धर्म की वृद्धि आंतरिक है, बाहरी विस्तार या धर्मांतरण का प्रभाव नहीं है।

बौद्ध धर्म की गिरावट की ओर, बड़ा सवाल? :

गौरतलब है कि 2010 में बौद्ध आबादी 34.3 करोड़ थी लेकिन 2020 में घटकर 32.4 करोड़ हो गयी है। यानी वैश्विक हिस्सेदारी 5% से गिरकर 4.2% ही गयी है। जनसंख्या में गिरावट और युवा पीढ़ी की उदासीनता जिम्मेदार मानी जा रही है।

नास्तिकों में जबरदस्त वृद्धि अब हर चौथा इंसान आस्थाहीन :

रिपोर्ट के अनुसार नास्तिक/अग्नोस्टिक/नो-रिलिजन वाले 2010 में 113 करोड़ थे जो कि अब 140 करोड़ हो गए हैं। यानी 27 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है जो वैश्विक हिस्सेदारी 18.2% से बढ़कर 24.2% हो गया है। ये लोग अब कई देशों में तीसरे सबसे बड़े समुदाय बन चुके हैं।

यहूदी, सिख, जैन जैसे अल्पसंख्यक स्थिर, लेकिन सीमित :

गौरतलब है कि यहूदी आबादी 1.4 करोड़ से 1.5 करोड़ हो गयी है लेकिन वैश्विक हिस्सेदारी सिर्फ 0.2% है। वहीं अन्य धर्म (सिख, जैन, बहाई आदि) की आबादी 1.8 करोड़ से बढ़कर 17.2 करोड़ हो गयी है। यह वैश्विक हिस्सेदारी में अब भी 2.2% पर बनी हुई है।

सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि भविष्य पटकथा :

रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम आबादी की तेज़ रफ्तार कई देशों में सामाजिक और राजनीतिक संतुलन को बदल सकती है। ईसाई धर्म की घटती पकड़ पश्चिमी देशों में चर्च और धार्मिक संस्थाओं के लिए बड़ी चुनौती है। हिंदू और यहूदी जैसे समुदाय स्थायित्व तो दिखा रहे हैं, लेकिन इनका वैश्विक प्रभाव सीमित है। वहीं नास्तिकों की बढ़ती जनसंख्या हमें बताती है कि धार्मिक संस्थाओं से लोगों का भरोसा तेजी से हट रहा है।

ये आंकड़े सिर्फ जनगणना नहीं हैं, ये समाज की सोच, नीति और सत्ता की दिशा को तय करने वाले हैं। एक ओर धर्म से जुड़ी पहचानें और विवाद गहराते जा रहे हैं, दूसरी ओर लाखों-करोड़ों लोग अब खुद को 'अविश्वासी' कहने में गर्व महसूस करते हैं।

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