सावन में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से खुलते हैं स्वर्ग के द्वार!: जानें इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का महत्व और उनसे जुड़ी कथाएं
सावन में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से खुलते हैं स्वर्ग के द्वार!

धर्म : सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस समय लोग शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाते हैं और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। माना जाता है कि इससे जीवन के दुख, पाप और परेशानियाँ दूर होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर इस महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक के भी दर्शन कर लिए जाएं, तो उसका फल सौगुना होता है? आइए जानते हैं 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में सरल भाषा में।

 1. सोमनाथ (गुजरात) 

यह पहला ज्योतिर्लिंग है। मान्यता है कि चंद्र देव ने यहां शिव की पूजा करके श्राप से मुक्ति पाई थी। यहां पूजा करने से मन के रोग दूर होते हैं।

 2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश) 

यहां शिव और पार्वती दोनों के मंदिर एक साथ हैं। यहां आने से मन को शांति और पारिवारिक सुख मिलता है।

 3. महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्यप्रदेश) 

यहां शिव को महाकाल के रूप में पूजा जाता है। यहां सुबह की भस्म आरती बहुत प्रसिद्ध है। यहां दर्शन करने से मृत्यु का डर दूर होता है।

 4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश) 

यह शिवलिंग नर्मदा नदी के बीच स्थित है और उसका आकार "ॐ" जैसा है। यहां आने से मन की एकाग्रता और अध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

 5. केदारनाथ (उत्तराखंड) 

यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की गोद में स्थित है। इसे पांडवों ने खोजा था। यात्रा कठिन जरूर है, पर बहुत पुण्यदायक है।

 6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र) 

यह घने जंगलों में सह्याद्रि पहाड़ियों में है। इसे मोटेश्वर महादेव भी कहते हैं। यहां आने से स्वास्थ्य लाभ होता है।

 7. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, यूपी)

यह शिव का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। कहा जाता है कि काशी कभी खत्म नहीं होगी, क्योंकि यह शिव के त्रिशूल पर टिकी है।

 8. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) 

यहां तीन शिवलिंग हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक हैं। यहां विशेष रूप से कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा होती है।

 9. वैद्यनाथ (झारखंड) 

यहां रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर चढ़ाए थे। यहां आकर लोग बीमारियों से छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं।

 10. नागेश्वर (गुजरात) 

यह शिव का नागेश्वर रूप है। यहां पूजा करने से डर, भय और शत्रु बाधा दूर होती है।

 11. रामेश्वरम (तमिलनाडु) 

भगवान राम ने लंका युद्ध के बाद यहां शिवलिंग बनाया था। यह शिव और राम दोनों की भक्ति का प्रतीक है।

 12. घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) 

यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। यहां की कथा एक महिला भक्त घुश्मा से जुड़ी है, जिसने बेटे की मृत्यु के बाद भी शिव की भक्ति नहीं छोड़ी। शिव प्रसन्न होकर उसके बेटे को वापस जीवित कर दिए।

सावन में ज्योतिर्लिंग दर्शन क्यों है खास?

विदित है कि शिव स्वयं इस महीने में अधिक कृपालु होते हैं। एक भी ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से हजारों जन्मों का पुण्य मिलता है। जलाभिषेक, जाप, पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

अगर आप सावन में भगवान शिव की सच्ची श्रद्धा से पूजा करते हैं और ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हैं, भले ही मन में ही क्यों न करें, तो आपको मानसिक शांति के साथ सुख समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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