सावन में शिव भक्ति से खुलते हैं भाग्य के द्वार!: प्रेमानंद महाराज बोले – थोड़े जल चढ़ाने भर से भी प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ
सावन में शिव भक्ति से खुलते हैं भाग्य के द्वार!

धर्म : सावन का महीना शुरू होते ही शिवालयों में हर-हर महादेव के जयकारे गूंजने लगे हैं। श्रद्धालु बेलपत्र, गंगाजल, दूध और पंचामृत लेकर शिवलिंग पर अर्पण करने निकल पड़े हैं, लेकिन इसी बीच संत प्रेमानंद महाराज का एक बयान शिव भक्तों के बीच गूंज बनकर फैल गया है। प्रेमानंद महाराज जी का दावा है कि शिव भक्ति में कोई दिखावा नहीं चाहिए, केवल थोड़े से जल चढ़ाने और सच्चे दिल से लिया गया नाम ही भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए काफी है।

भोलेनाथ नहीं चाहते तामझाम, वो चाहते हैं बस सच्चा भाव" - प्रेमानंद महाराज

आपको बता दें कि संत प्रेमानंद जी ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान शिव ‘आशुतोष’ हैं— यानी जो थोड़ी-सी भी श्रद्धा से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि महादेव की पूजा के लिए फूलों की माला, सोने का कलश या महंगे भोग की आवश्यकता नहीं। अगर आपका मन शुद्ध है, तो थोड़े से जल चढ़ाने से की गई आराधना भी भोलेनाथ को खींच लाती है।"

श्रीराम भी शिव कृपा के बिना अधूरे :

प्रेमानंद महाराज ने श्रीरामचरितमानस का संदर्भ देते हुए बताया कि भगवान श्रीराम ने स्वयं अयोध्यावासियों से कहा था— "जो मेरी भक्ति करना चाहता है, वह पहले शिव कृपा प्राप्त करे!" यानी राम भी खुद को शिव कृपा के बिना पूर्ण नहीं मानते थे। यह प्रसंग भक्तों को झकझोरता है कि भगवानों के भगवान शिव की कृपा के बिना कोई भी साधना सफल नहीं हो सकती।

हरि और हर एक ही ब्रह्म के दो रूप :

आपको बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज ने धर्म-समन्वय की अद्भुत व्याख्या करते हुए कहा: 'हरि’ (विष्णु) और ‘हर’ (शंकर) वास्तव में एक ही ब्रह्म के दो रूप हैं। कोई भेद नहीं है। जीवन के हर क्षण में अपने आराध्य का स्मरण करना ही सच्ची साधना है, फिर वह हर हो या हरि।"

महादेव की कृपा से खुलते हैं आत्मा के द्वार :

प्रेमानंद जी के अनुसार यदि कोई भक्त एकाग्र मन और पूर्ण समर्पण के साथ शिव आराधना करता है, तो महादेव उसके 'अंतरमन के द्वार' खोल देते हैं। उनका मानना है कि सच्चे भाव से की गई शिव उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती।

क्या है संदेश भक्तों के लिए?

आपको बता दें कि प्रेमानंद जी ने बताया कि शिव कृपा पाने के लिए पांडित्य, विशेष सामग्री या धन की आवश्यकता नहीं होती बल्कि भाव प्रधान भक्ति को ही महादेव स्वीकार करते हैं। सावन का महीना आत्मशुद्धि और शिव ध्यान का विशेष अवसर है। दिखावे की बजाय सच्चे मन से ओंकार और महामृत्युंजय जाप करें।
प्रेमानंद जी का संदेश है कि शिव आराधना में दिखावे से दूर रहें। प्रेमानंद जी महाराज का यह संदेश उन लोगों के लिए गहरी सीख है जो पूजा को केवल बाहरी रिवाज मानते हैं। उनका कहना है— "अगर आप केवल भगवान को दिखावा करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, तो वो पूजा नहीं, केवल कर्मकांड है। शिव को दिखावा नहीं, समर्पण चाहिए।" 

सावन में शिव भक्ति करने वालों के लिए प्रेमानंद जी महाराज की यह सलाह एक दिव्य मार्गदर्शन है। जब प्रभु स्वयं कहते हैं कि ‘मैं चंद्र की तरह शांत हूं, गंगा की तरह शुद्ध और श्मशान की तरह निस्संग’, तो उनकी पूजा भी उतनी ही सहज होनी चाहिए। तो इस सावन थोड़े से जल से शिवलिंग का अभिषेक करें और देखें कैसे महादेव आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।

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