धर्म : श्रावण मास यानी महादेव का महीना… और जब यह महीना आए, तो भोलेनाथ के रुद्राभिषेक की चर्चा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता! वर्ष 2025 में 11 जुलाई से 9 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा और इसी दौरान रुद्राभिषेक करने वाले भक्तों पर शिव कृपा की वर्षा होगी। विशेषज्ञों और धर्मशास्त्रों की मानें, तो सावन के हर सोमवार और खास तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से वह फल मिलता है, जो हजारों व्रत और दान करने से भी नहीं मिलता!
सावन 2025 की सबसे शुभ तिथियां – कब करें रुद्राभिषेक? :
आपको बता दें कि धर्मशास्त्रियों के अनुसार ये तिथियां सिर्फ तारीख नही भाग्य बदलने की घड़ी हैं।
●पहला सावन सोमवार: 14 जुलाई 2025
●दूसरा सावन सोमवार: 21 जुलाई 2025
●तीसरा सावन सोमवार: 28 जुलाई 2025
●चौथा सावन सोमवार: 4 अगस्त 2025
●सावन शिवरात्रि: 23 जुलाई 2025
●नाग पंचमी: 29 जुलाई 2025
इन दिनों सुबह 4 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक जल, दूध, शहद, दही और बेलपत्र से रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
रुद्राभिषेक क्या है और क्यों है इतना शक्तिशाली? :
रुद्राभिषेक एक वैदिक प्रक्रिया है जिसमें भगवान शिव के रुद्र रूप का अभिषेक किया जाता है। इस प्रक्रिया में दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित किए जाते हैं। कहते हैं: "जिस पर भोलेनाथ की दृष्टि पड़ जाए, उसका भाग्य स्वयं ब्रह्मांड बदल देता है!"
रुद्राभिषेक के चमत्कारी लाभ – बदल सकता है जीवन!
धर्मशास्त्रियों के अनुसार रुद्राभिषेक से पाप मुक्ति हो जाती है जिससे पूर्व जन्म के कर्म दोष तक मिट जाते हैं। धन वृद्धि होती जिससे जीवन में लक्ष्मी का वास होता है। इससे रोग नाश होता है जिससे कैंसर, असाध्य रोगों में भी मानसिक राहत रहता है। शांति कालसर्प, मंगल दोष जैसे ग्रह दोष खत्म होते है। नि:संतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है। सच्चे भाव से पूजा करें, भोलेनाथ सब मनोकामना पूर्ण कर देते। नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और तंत्र-मंत्र, बाधाएं समाप्त हो जाती है। करियर और शिक्षा में सफलता मिलता यानी विद्यार्थी और नौकरीपेशा दोनों को फायदा होता है।
क्या कहती है काशी की परंपरा?
काशी के विख्यात विद्वान पं. राघवेंद्र शास्त्री का कहना है कि : “सावन में जो रुद्राभिषेक करता है, उस पर भगवान शिव की अमोघ कृपा होती है। रुद्राभिषेक से व्यक्ति के जीवन का अंधकार मिटता है और सौभाग्य का सूरज उदय होता है।”
कैसे करें रुद्राभिषेक? (घर पर भी)
1. शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।
2. दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
3. ऊँ नम: शिवाय या रुद्राष्टक का जप करें।
4. बेलपत्र, धतूरा, आक आदि अर्पित करें।
5. भस्म और चंदन से तिलक लगाएं।
सावन के प्रत्येक सोमवार को उपवास करें, व्रत में सात्विक भोजन करें और शाम को शिव की आरती करें। इस सावन रुद्राभिषेक करें और पाएं वो फल, जो सौ जन्मों की तपस्या से भी दुर्लभ है।