नई दिल्ली: पहलगाम हमले का बदला "ऑपरेशन सिंदूर" के जरिए लेकर पाकिस्तान को सैन्य स्तर पर करारा जवाब देने के बाद भारत अब एक और बड़ा वार करने जा रहा है, लेकिन इस बार जंग का मैदान कूटनीतिक गलियारा होगा। केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जनमत तैयार करने के लिए 40 सांसदों की एक महाब्रिगेड तैयार की है, जिसमें सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के सांसदों को भी शामिल किया गया है।
सात प्रमुख राजनीतिक दलों के दिग्गज होंगें शामिल:
जानकारी के अनुसार सरकार ने देश के सात प्रमुख राजनीतिक दलों के दिग्गज सांसदों को चुना है जो सात अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करेंगे। इन प्रतिनिधिमंडलों का मकसद साफ है,दुनियाभर में जाकर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के सबूतों के साथ सच को सामने लाना। इस ऐतिहासिक और आक्रामक रणनीति की कमान खुद विपक्ष के जाने-माने सांसद शशि थरूर के हाथों में भी सौंपी गई है।
कौन-कौन होंगें प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा:
आपको बता दें कि 23 मई से शुरू होने वाले इस वैश्विक मिशन में कांग्रेस के शशि थरूर, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे जैसे दिग्गज सांसदों को शामिल किया गया है। इनके अलावा भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा भी इस विशेष मिशन का नेतृत्व करेंगे।
कहां जाएंगे ये प्रतिनिधिमंडल? :
गौरतलब है कि 23 मई से शुरू हो रही ये राजनयिक यात्रा अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, फ्रांस और ब्राजील जैसे देशों में होगी। ये सभी प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों तथा भारत के रणनीतिक साझेदारों से मिलकर पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्री की पोल खोलेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर – जब भारत से थर्राया पाकिस्तान:
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोषों की मौत ने भारत को झकझोर दिया। इसके बाद 7 मई को भारत ने गुप्त रूप से "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया। भारत की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में की गई जवाबी कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकियों को ढेर कर दिया गया। अब भारत इस ऑपरेशन की सच्चाई को दस्तावेज़ों और सैटेलाइट तस्वीरों सहित दुनिया के सामने रखेगा।
भारत की नई विदेश नीति – एकजुट विपक्ष और सरकार का कूटनीतिक हमला:
आपको बता दें कि इस अभियान को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समन्वित कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों ने उन दस्तावेज़ों को तैयार किया है, जिनसे यह साबित किया जाएगा कि पाकिस्तान न केवल आतंक को पालता है, बल्कि उसकी सरकारी संरचनाएं भी इसमें शामिल हैं।
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में एक वरिष्ठ राजनयिक अधिकारी भी साथ रहेगा, जो इन सांसदों को कूटनीतिक स्तर पर मार्गदर्शन देगा।
कांग्रेस का तंज,सरकार को अब हमारी जरूरत पड़ी:
गौरतलब है कि केरल कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया, लेकिन तंज कसना भी नहीं भूली। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि -
“जब मोदी और जयशंकर की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता गिर रही है, तब भारत को एक सम्मानित आवाज़ की जरूरत है – और वह है शशि थरूर।”
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने बताया कि राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और राजा वडिंग के नाम भी भेजे गए हैं, जो अन्य समितियों में भाग लेंगे।
शशि थरूर की प्रतिक्रिया – "भारत को चाहिए एकजुट आवाज़" :
इस मसले पर कांगेस संसद शशि थरूर ने कहा कि :
“मैं सरकार के आमंत्रण से सम्मानित महसूस करता हूं। मुझे विश्वास है कि मैं भारत के दृष्टिकोण को मजबूती से रखूंगा और पाकिस्तान के झूठ को पूरी दुनिया के सामने नंगा करूंगा।”
वहीं सुप्रिया सुले जो NCP से सांसद हैं उन्होनें कहा कि :
“जब देश की बात आती है तो हम सभी एक हैं। यह लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि भारत की है।”
यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के खिलाफ बनेगा कूटनीतिक हथियार :
विदित है कि यह पहली बार है जब भारत ने सात अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमियों के सांसदों को एकसाथ विदेश भेजने का फैसला किया है। इससे भारत की “एकजुटता” और “आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” नीति का संदेश जाएगा।
यदि यह अभियान सफल होता है, तो पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा और उसे FATF की ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है।
भारत अब कूटनीतिक लड़ाई को उसी तेवर में लड़ने को तैयार है, जैसे उसने पहलगाम हमले के बाद सैन्य मोर्चे पर पाकिस्तान को सबक सिखाया। अब बारी है दुनिया को पाकिस्तान की सच्चाई दिखाने की और भारत यह काम अपने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों से करने जा रहा है।