नई दिल्ली/इस्लामाबाद: चार दिन की भीषण गोलाबारी, सर्जिकल प्रहार और सामरिक दबाव के बाद आखिरकार पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चौथे दिन भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बन गई, लेकिन इस बार तस्वीर पूरी तरह अलग है।भारत ने इस बार न केवल अपनी शर्तों पर संघर्ष विराम कराया, बल्कि स्पष्ट कर दिया है – सिंधु जल संधि का निलंबन अभी भी बरकरार रहेगा।
22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जोषणपूर्ण सैन्य संघर्ष शुरू हो गया था। हालांकि अब, भारत ने 10 मई शाम 5 बजे से संघर्ष विराम का ऐलान कर दिया है।
संघर्ष विराम किसने मांगा?
गौरतलब है कि भारत सरकार के अनुसार, संघर्ष विराम का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से आया था। यह कदम पाकिस्तान ने तब उठाया जब लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की आक्रामक जवाबी कार्रवाइयों से उसकी स्थिति कमजोर हो चुकी थी।
सिंधु जल संधि अब भी स्थगित:
आपको बता दें कि भारत ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन छोड़ने की विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय गारंटी नहीं देता, 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी। यह संधि पाकिस्तान की कृषि और जलापूर्ति की रीढ़ है – करीब 70% कृषि इसी पर निर्भर है।
ट्रंप की मध्यस्थता और अमेरिका की भूमिका:
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता में भारत-पाक बातचीत हुई और दोनों संघर्ष विराम पर राजी हुए।
उन्होंने कहा कि “रातभर की बातचीत के बाद दोनों देश हमले रोकने पर सहमत हुए। यह समझदारी भरा फैसला है, मैं दोनों को बधाई देता हूं।”
यह बयान भारतीय विदेश सचिव के आधिकारिक बयान से ठीक 30 मिनट पहले आया, जिससे इस मध्यस्थता की पुष्टि मजबूत होती है।
भारत-पाक DGMO की सीधी बातचीत:
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि शनिवार दोपहर 3:35 बजे पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय DGMO को फोन किया, और दोनों ने 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति दी। अगली बात 12 मई को दोपहर 12 बजे तय हुई है।
पाकिस्तान का बयान – शांति की कोशिश का दावा:
आपको बता दें कि पाक विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि “पाकिस्तान संप्रभुता से समझौता किए बिना क्षेत्र में शांति चाहता है।”
लेकिन भारत ने किसी पूर्व या पश्चात शर्त को स्वीकार नहीं किया है।"
अमेरिकी विदेश मंत्री की अहम बातचीत:
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाक पीएम शहबाज शरीफ से अलग-अलग बात की थी।
●उन्होंने आतंकवाद की निंदा की
●भारत से संयम बरतने को कहा
●पाकिस्तान से आतंकी जांच में सहयोग की अपील की
युद्ध की आशंका टली, लेकिन भरोसे की दरार बाकी:
भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक हुआ यह युद्धविराम एक राहत तो जरूर है, लेकिन लोगों का मानना है कि:
●ना तो पहलगाम हमले का बदला मिला,
●ना आतंकवाद पर ठोस एक्शन का भरोसा है,
●और ना ही दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल हुआ है।
भारत नें अब किसी प्रकार के आतंकी हमले को 'एक्ट ऑफ वॉर' मानने की घोषणा की है ,ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि ये संघर्षविराम कब तक लागू रहेगा।