इतिहास रचेगी दिल्ली-विधानसभा!: बनेगी सौर ऊर्जा संचालित देश की पहली विधानसभा, हर महीने होगी इतनी बचत वही?
इतिहास रचेगी दिल्ली-विधानसभा!

नई दिल्ली: भारत की राजधानी अब ऊर्जा क्रांति की अगुवाई करेगी! 12 मई को इतिहास रचने जा रहा है दिल्ली विधानसभा परिसर, जहाँ देश की पहली पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाली विधानसभा भवन की नींव रखी जाएगी। इसे केवल बिजली बचत की पहल कहना इसकी महत्ता को कम आंकना होगा—यह है "ग्रीन संसद मिशन" की शुरुआत, जो आने वाले वर्षों में भारत के हर सरकारी संस्थान की ऊर्जा-नीति को बदल सकता है।इस ऐतिहासिक परियोजना की आधारशिला उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना और विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता मिलकर रखेंगे, जबकि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहेंगी। इस कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के शीर्ष मंत्रीगण भी शिरकत करेंगे।

बिजली बिल शून्य, पर्यावरण पर भार भी खत्म!

गौरतलब है कि इस योजना के तहत विधानसभा भवन में मौजूदा 200 किलोवाट की रूफटॉप सोलर प्रणाली को हटाकर एक नई और अधिक उन्नत 500 किलोवाट क्षमता वाली इकाई लगाई जाएगी। इस परियोजना से विधानसभा न केवल ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगी, बल्कि प्रति महीने ₹15 लाख तक की बिजली की बचत भी होगी।

मतलब यह कि साल भर में लगभग ₹1.8 करोड़ का खर्चा बचाया जाएगा, और इससे उत्पन्न ऊर्जा पूरी तरह स्वच्छ और अक्षय होगी — कोई कोयला नहीं, कोई धुंआ नहीं, कोई प्रदूषण नहीं!
"सूरज के उजाले से चलने वाला लोकतंत्र" अब सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बन रहा है।

क्यों है यह इतना खास?

आइए जानते हैं की यह योजना क्यूँ इतनी खास होने वाली है।

●यह भारत की पहली पूर्णतः सौर संचालित विधानसभा होगी।

●इस परियोजना से कार्बन उत्सर्जन में भारी गिरावट होगी।

●इस परियोजना से सीधे तौर पर प्रति वर्ष 1.8 करोड़ रुपये की बचत होगी।

●शून्य बिजली बिल होने से शासन में आत्मनिर्भरता आएगी।

● पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ठोस कार्रवाई।

●यह योजना आने वाली सरकारों के लिए प्रेरणादायक मॉडल बनकर उभरेगी।

सीएम रेखा गुप्ता का कहना-'शासन अब प्रकृति के साथ चलेगा'

आपको बता दें कि इस पहल को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने "ग्रीन गवर्नेंस की क्रांति" करार दिया। उन्होंने कहा: "दिल्ली विधानसभा अब एक उदाहरण बनेगी ,सिर्फ सरकारों के लिए नहीं, जनता के लिए भी। हर सरकारी संस्थान को अब स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना होगा। ये हमारी जिम्मेदारी है, प्रकृति के प्रति और देश के भविष्य के प्रति।"

मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि आने वाले दिनों में अन्य मंत्रालयों और विभागों में भी इसी तरह की ग्रीन पहलें लागू की जाएंगी।

60 दिन की समयसीमा, लेकिन लक्ष्य 45 दिन में पूरा करने का!

विदित है कि विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि इसका काम LOA (लेटर ऑफ अवार्ड) जारी होते ही शुरू होगा और 45 दिन में इसे पूरा करने की योजना है, हालांकि समयसीमा औपचारिक रूप से 60 दिन तय की गई है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

ऊर्जा मामलों के जानकारों के मुताबिक यह परियोजना न केवल राजधानी बल्कि पूरे देश के लिए "शासन और सस्टेनेबिलिटी का मिलन" है। जब लोकतंत्र का सर्वोच्च प्रतीक – विधानसभा – खुद ग्रीन ऊर्जा का नेतृत्व करेगा, तो इसका संदेश हर विभाग, हर विद्यालय, हर ऑफिस तक जाएगा।

 "यह केवल ऊर्जा उत्पादन नहीं है, यह भारत के ग्रीन फ्यूचर की आधारशिला है।" – डॉ. आर.के. त्रिपाठी, ऊर्जा विशेषज्ञ


यह परियोजना सिर्फ एक आधारशिला नहीं है – यह एक वैचारिक परिवर्तन है। यह बताती है कि लोकतंत्र का असली मतलब केवल चुनाव नहीं, बल्कि जिम्मेदार और टिकाऊ शासन है।
दिल्ली विधानसभा अब प्रकृति के साथ रहकर नीतियाँ बनायेगी।

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