पिता की कृषि भूमि में मिलेगा शादीशुदा लड़कियों को भी हिस्सा!: ड्राफ्ट तैयार, यूपी सरकार लेगी जल्द फ़ैसला?
पिता की कृषि भूमि में मिलेगा शादीशुदा लड़कियों को भी हिस्सा!

 लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा फैसला आने वाला है। अब शादीशुदा बेटियों को भी पिता की कृषि भूमि में अधिकार मिल सकता है। योगी सरकार इसे लागू करने की तैयारी में है और अगर यह कानून बना, तो राज्य की सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ चुनावी समीकरण भी बदल सकते हैं।

अब तक बेटा ही वारिस,शादीशुदा बेटी को हक़ नही : 

आपको बता दें कि अभी यूपी में कृषि भूमि पर वारिस का हक राजस्व संहिता की धारा 108 के तहत सिर्फ बेटे, पत्नी और अविवाहित बेटियों को मिलता है। शादीशुदा बेटियों को तभी हक मिलता है जब न बेटा हो, न पत्नी और न कोई अविवाहित बेटी। लेकिन अब ये नियम इतिहास बनने वाला है!

राजस्व परिषद ने बना लिया मसौदा, कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव:

सूत्रों के मुताबिक राजस्व परिषद ने इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैबिनेट में मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव विधानमंडल में जाएगा और फिर राज्यपाल की मुहर के साथ यह कानून का रूप ले लेगा। इसके लागू होते ही यूपी की लाखों विवाहित बेटियों को कृषि भूमि में भी कानूनी अधिकार मिल सकेगा।

क्यों उठाया जा रहा यह कदम?

गौरतलब है कि शादी के बाद अगर बेटी विधवा हो जाए या तलाकशुदा हो, तो उसे पिता की भूमि में कोई हक नहीं मिलता, ऐसे मामलों की बाढ़ राजस्व परिषद के सामने आई है।

अधिकारियों के पास भी कोई विकल्प नहीं होता , वे ‘कानून नहीं है’ कहकर हाथ खड़े कर देते हैं।
अब इस लाचारी पर बेटी को कानूनी सहारा मिलेगा।

कितना मिलेगा हिस्सा? फैसला योगी पर टिका :

जानकारी के अनुसार हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि विवाहित बेटी को भूमि में कितना हिस्सा मिलेगा। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तय करेंगे। लेकिन इतना तय है कि अगर यह कानून आया, तो पैतृक कृषि भूमि के मालिकाना हक का पूरा गणित बदल जाएगा।

हो सकता राजनीतिक धमाका, 2027 की आधी आबादी पर दांव :

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2027 के चुनाव में महिलाओं को साधने के लिए यह कदम गेमचेंजर साबित हो सकता है।
पहले ही सरकार ने महिलाओं के नाम रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी में भारी छूट दी है। अब अगर बेटी को भूमि में हक भी मिल गया, तो महिलाएं BJP के साथ और मजबूती से खड़ी हो सकती हैं।

कानून के विरोध के भी स्वर तेज: 

राजस्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी ने कहा कि –

 “यह फैसला विवादों की जड़ बन जाएगा। भाई-बहन के रिश्तों में तनाव आएगा। बहनें अब जमीन मांगेंगी, तो भाई बहनों से कटने लगेंगे।”

कई किसान संगठनों ने भी चिंता जताई है कि इससे जमीनी झगड़े और मुकदमेबाज़ी बढ़ेगी। कई जगह पहले से ही भाई-बहनों के बीच पैतृक भूमि को लेकर विवाद चल रहे हैं,अब यह दिक्कतें और बढ़ेंगी।

जानिए, कितना बड़ा होगा असर:

गौरतलब है कि यूपी में 188 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है,
देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 20% यूपी में होता है
वहीं अगर यह कानून पास होता है, तो लाखों परिवारों की ज़मीन पर बेटी का नाम भी दर्ज होगा!

राजस्व परिषद की बड़ी रणनीति – दो और प्रस्ताव भी तैयार:

 1. स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग को राजस्व परिषद के अधीन करने का प्रस्ताव

 2. चकबंदी लेखपालों को परिषद के नियंत्रण में लाने की योजना।

इससे नामांतरण और रजिस्ट्री में चल रही गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी। राजस्व रिकॉर्ड की पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

BJP प्रवक्ता बोले – बेटी को पूरा हक चाहिए:

वहीं इस मुद्दे पर BJP प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि :

 “बेटी हो या बेटा, दोनों को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए। यह केवल कानून नहीं, न्याय और सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम है।”

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