चंडीगढ़/हरियाणा : हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने नशे और तंबाकू के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा एक्शन लिया है। प्रदेश में गुटखा, पान मसाला और सुगंधित तंबाकू के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर पूरे एक साल के लिए बैन लगा दिया गया है। आदेश का पालन न करने वालों पर सरकार ने कड़ा शिकंजा कसने की चेतावनी भी दी है।
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
आपको बता दें कि राज्य में कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हरियाणा में हर महीने करीब 2,916 नए कैंसर मरीज सामने आते हैं और सालाना आंकड़ा 35,000 तक पहुंच जाता है। इतना ही नहीं, हर महीने औसतन 1,500 मरीज कैंसर से अपनी जान गंवाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गुटखा और पान मसाला में मौजूद निकोटिन, भारी धातुएं और जहरीले रसायन मुंह, गले, फेफड़े और दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बनते हैं। यही वजह है कि सरकार ने इन्हें सीधे जनता की सेहत से जुड़ा खतरा मानते हुए सख्त कदम उठाया है।
अब लागू होंगे ये सख्त नियम :
गौरतलब है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त मनोज कुमार ने आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में गुटखा, पान मसाला और सुगंधित तंबाकू का निर्माण, स्टोर, बिक्री और वितरण पूरी तरह बैन रहेगा। वहीं आदेश का उल्लंघन करने वालों पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई होगी। साथ ही निरीक्षण और जब्ती की कार्रवाई लगातार चलेगी। दुकानों और गोदामों की तलाशी ली जाएगी। पकड़े जाने पर ₹10 लाख तक का जुर्माना, FIR और कोर्ट में पेशी होगी। वहीं अगर किसी की मौत इन उत्पादों की वजह से होती है तो 7 साल से उम्रकैद तक की सजा और कम से कम ₹10 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।
नूंह में सबसे ज्यादा खपत, सरकार सतर्क :
विदित है कि अधिकारियों के मुताबिक, हरियाणा के नूंह जिले में इन उत्पादों की खपत सबसे ज्यादा है। ऐसे में सरकार ने पुलिस अधीक्षक, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी और सीएमओ को कड़े निर्देश दिए हैं कि बैन को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
जनता को जागरूक करने की योजना :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार सिर्फ कानूनी कार्रवाई पर नहीं, बल्कि जागरूकता अभियान पर भी फोकस कर रही है। जनता को बताया जाएगा कि गुटखा और तंबाकू से सिर्फ मुंह का कैंसर ही नहीं, बल्कि आनुवंशिक नुकसान तक हो सकता है, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों तक जाता है।
हरियाणा सरकार का यह कदम न केवल तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री पर लगाम लगाने वाला है, बल्कि इसे “सेहत बचाओ अभियान” के रूप में देखा जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह सख्ती वाकई गुटखा और पान मसाले की खपत को रोक पाएगी या फिर यह प्रतिबंध भी सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगा।