बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन, जल्द खत्म होगा सस्पेंस!: संघ-भाजपा के रिश्ते...अब कभी भी हो सकता बड़ा ऐलान; देखें रेस में संभावित प्रबल दावेदार
बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन, जल्द खत्म होगा सस्पेंस!

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (BJP) का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल महीनों से पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच गूंज रहा है। लंबे समय तक खिंचते इस सस्पेंस की सबसे बड़ी वजह थी बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच की खटास। लेकिन अब हालात तेजी से बदलते दिख रहे हैं। संकेत साफ हैं कि दोनों के बीच की दूरियां पिघल रही हैं और इसी के साथ बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान का रास्ता साफ हो गया है।

क्यों टल रहा था ऐलान?
आपको बता दें कि 2014 के चुनाव के वक्त से ही संघ और भाजपा नेतृत्व के बीच बयानबाजी को लेकर मतभेद गहराए। उस समय बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि अब पार्टी को संघ की ज़रूरत नहीं है। नतीजतन कार्यकर्ताओं में नाराजगी से चुनाव पर असर हुआ जब भाजपा 400 पार का सपना देखते-देखते 240 सीटों पर सिमट गई।

अब क्यों बदल रहा है माहौल?
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कई मंचों से RSS की तारीफ कर माहौल बदलने की कोशिश की। मोदी ने लाल किले से संघ को “दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ” बताया। अमित शाह ने कहा कि “स्वयंसेवक होना गर्व की बात है, यह कभी भी निगेटिव नहीं हो सकता।” संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी संकेत दिए कि राजनीति हो या समाज सेवा इसमें रिटायरमेंट जैसी कोई चीज़ नहीं होती। इन बयानों से यह साफ हो गया कि दोनों पक्ष अपने रिश्तों में आई खटास को पीछे छोड़ने का मन बना चुके हैं।

अध्यक्ष की रेस में कौन-कौन?
गौरतलब है कि अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी किसके पास जाएगी? सूत्रों के मुताबिक 4 बड़े नाम सबसे आगे चल रहे हैं:

  1. शिवराज सिंह चौहान – जनता से सीधा जुड़ाव, संघ से पुराने रिश्ते।

  2. नितिन गडकरी – संगठन में पकड़ और काम करने की अलग शैली।

  3. मनोहर लाल खट्टर – संघ पृष्ठभूमि, संगठन के साथ मजबूत तालमेल।

  4. धर्मेंद्र प्रधान – शिक्षा और राजनीति दोनों में सक्रिय, संगठनात्मक अनुभव।

क्यों अहम है ये चुनाव?
विदित है कि भाजपा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी सिर्फ औपचारिक पद नहीं, बल्कि 2029 की चुनावी तैयारियों का मास्टरमाइंड भी यही होगा। संघ की भूमिका और पार्टी की दिशा तय करने में नया अध्यक्ष निर्णायक साबित होगा।

संघ और भाजपा के रिश्तों में आई गर्माहट से साफ है कि इंतजार अब ज्यादा लंबा नहीं होगा। पार्टी किसी भी वक्त बड़ा धमाका कर सकती है और अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष सामने आ सकता है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या भाजपा इस बार भी सबको चौंकाएगी या वही नाम सामने आएगा जिसकी चर्चा पहले से हो रही है?

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