ऑपरेशन सिंदूर के बाद, आतंकियों में बढ़ता खौफ!: बदल रहे हैं ठिकाने, खैबर पख्तूनख्वा बनी नई पनाहगाह वही पाक सरकार...
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, आतंकियों में बढ़ता खौफ!

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: मई 2025 में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ढांचे को गंभीर क्षति पहुंचाई। यह कार्रवाई جنوب कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रमण के रूप में की गई थी, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस अभियान में भारतीय सेना ने बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद जैसे स्थानों पर आतंकियों के अड्डों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया।

जैश और हिजबुल ने बदले ठिकाने

इस अभियान के बाद, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन ने पीओके को असुरक्षित मानते हुए अपने ठिकानों को खैबर पख्तूनख्वा में स्थानांतरित करना आरंभ कर दिया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, ये संगठन अब अफगान सीमा से लगे क्षेत्रों को अपेक्षाकृत सुरक्षित मानते हैं, जो भारत की सीधी कार्रवाई से दूर हैं।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त रिपोर्टों में बताया गया है कि आतंकवादी संगठनों ने रणनीति में बड़ा परिवर्तन किया है। अब वे अपने केंद्रों को दूरदराज़ और दुर्गम स्थानों में स्थापित कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी संकेत मिले हैं कि यह कार्यवाही पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की जानकारी और संभवतः उनके सहयोग से की जा रही है।

मनसेहरा में हुआ जैश का भर्ती अभियान

खैबर पख्तूनख्वा के मनसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह क्षेत्र में 14 सितम्बर को, भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मुकाबले से कुछ घंटे पूर्व, जैश-ए-मोहम्मद द्वारा एक सार्वजनिक भर्ती अभियान चलाया गया। यह आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम और जैश के संयुक्त प्रयासों का हिस्सा था, जिसमें भारत द्वारा वांछित आतंकी इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद की उपस्थिति भी दर्ज की गई।

बदली रणनीति : छोटे और छिपे हुए ठिकानों पर जोर

ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकियों ने अपने अड्डों की प्रकृति में भी बदलाव किया है। अब वे बड़े और स्थायी शिविरों की जगह छोटे, चलायमान और गुप्त अड्डे बना रहे हैं, जिन्हें आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है और जो हवाई हमलों या विशेष अभियानों की पकड़ में नहीं आते। यह बदलाव आतंक के ढांचे को "बिखरे लेकिन सक्रिय" पद्धति की ओर ले जा रहा है।

भारत का रुख स्पष्ट : पीओके भारत का अभिन्न अंग

भारत सरकार ने एक बार पुनः यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न और अविभाज्य भाग है। विदेश राज्य मंत्री कृति वर्धन सिंह ने हाल ही में संसद में बताया कि भारत के सभी आधिकारिक मानचित्रों में पीओके को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का भाग दिखाया जाता है, जो 1994 में संसद द्वारा पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव के अनुरूप है।

पाकिस्तान की नई साजिश : पुनर्निर्माण की कोशिशें

सूचनाओं में यह संकेत भी हैं कि पाकिस्तान अब पीओके में नष्ट किए गए आतंकी केंद्रों को दोबारा स्थापित करने की योजना बना रहा है। इसमें नए प्रशिक्षण स्थल, शस्त्र भंडार और संपर्क तंत्र का विकास शामिल है। कहा जा रहा है कि इस प्रक्रिया में पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था और कुछ राजनीतिक-धार्मिक संगठनों की भूमिका स्पष्ट रूप से देखी गई है।

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण : पीओके बना संवेदनशील क्षेत्र

ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पीओके एक बार फिर विश्व मंच पर चर्चा का विषय बन गया है। जहां भारत इसे अपने अधिकार क्षेत्र में मानता है, वहीं पाकिस्तान इसे "आज़ाद कश्मीर" कहता है। किंतु भारत की निर्णायक कार्रवाई और स्पष्ट नीति ने पीओके पर पाकिस्तान की पकड़ को चुनौती दी है।

पीओके से खैबर पख्तूनख्वा तक फैल रहा आतंक

ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकियों के अड्डों को ध्वस्त किया, बल्कि उनकी कार्यपद्धति को भी बदलने पर मजबूर किया है। अब आतंकवाद पीओके से निकलकर खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, भारत की दृष्टि इन नए अड्डों पर भी है, और यदि आवश्यकता हुई, तो अगली निर्णायक कार्रवाई के लिए वह पूर्णतः तैयार है।

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