नोएडा में फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन न करनें पर होगी कड़ी कार्रवाई!: 9700 कार्यरत फैक्ट्रियों में केवल इतनी हैं रजिस्टर्ड, 1 ट्रिलियन इकोनॉमी की राह में बना रोड़ा?
नोएडा में फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन न करनें पर होगी कड़ी कार्रवाई!

नोएडा : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन एक बड़ी चूक सामने आई है यहां की हजारों फैक्ट्रियां सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं हैं। सरकारी कागज़ों में जो फैक्ट्रियां नहीं दिखतीं, उनका उत्पादन, रोजगार और टैक्स योगदान जीडीपी में नहीं गिना जाता। यानी ज़मीन पर विकास है, लेकिन आंकड़ों में ग़ायब है।

क्या है मामला?

जानकारी के अनुसार नोएडा में लगभग 11,100 इंडस्ट्रीज हैं, जिनमें से 9700 फंक्शनल (चालू) हैं। लेकिन इनमें से 3500 फैक्ट्रियों ने फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है। यानी ये यूनिट्स उत्पादन तो कर रही हैं, लेकिन उनका डाटा राज्य सरकार के पास नहीं है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र – तीनों यूपी की आर्थिक विकास की रीढ़ माने जाते हैं, ऐसे में इनका योगदान GDP (सकल घरेलू उत्पाद) में शामिल ही नहीं हो पा रहा।

क्यों जरूरी है रजिस्ट्रेशन?

गौरतलब है कि फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन होने से सरकार को फैक्ट्री की जानकारी मिलती है। इससे उत्पादन और रोजगार का रिकॉर्ड बनता है और ये GDP का हिस्सा बनती हैं। इससे फैक्ट्री भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकती है। साथ ही श्रमिक सुरक्षा और श्रम कानूनों का पालन भी सुनिश्चित होता है।

जमीन अलॉट, यूनिट चालू,फिर रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं? :

आपको बता दें कि अभी तक करीब 1400 यूनिट्स अभी निर्माणाधीन या टीएम के लिए अप्लाई कर चुकी हैं इन्हें एक साल का वक्त मिला है। साथ ही 350 नई यूनिट्स का अलॉटमेंट हुआ है इन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए 3 से 5 साल का समय है। लेकिन जो 9,700 यूनिट्स चालू हैं, उनमें से 3,500 बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही हैं, जो कानूनी, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से बड़ी चूक है।

क्या कर रही है सरकार? :

आपको बता दें कि अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की टीमें एक-एक फैक्ट्री का सर्वे कर रही हैं। प्राधिकरण की टीमें फैक्ट्री जाकर मालिकों को रजिस्ट्रेशन के लिए समझा रही हैं और जरूरी दस्तावेज ले रही हैं। एक सप्ताह में यह सर्वे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

कितनी फैक्ट्रियां हैं रजिस्टर्ड? :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नोएडा में अभी 7500 फैक्ट्रियां ही रजिस्टर्ड हैं, जबकि 20,000 से ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं। अधिकारियों का मानना है कि अगर सभी यूनिट्स का रजिस्ट्रेशन हो जाए तो गौतमबुद्ध नगर का GDP में योगदान कई गुना बढ़ सकता है।

क्या होगा आगे?

गौरतलब है कि सरकार ने सभी औद्योगिक क्षेत्रों को रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की योजना बनाई है। भविष्य में रजिस्ट्रेशन न कराने वाली यूनिट्स को पेनल्टी या नोटिस भी मिल सकते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना जैसे हब GDP में दिखेंगे तभी देश की तस्वीर साफ होगी।

क्या है विशेषज्ञों की राय :

विशेषज्ञों का कहना है कि “अगर ये फैक्ट्रियां रजिस्टर नहीं होंगी तो उनकी उत्पादन, रोजगार और टैक्स जैसी चीज़ें सरकारी आंकड़ों में नहीं दिखेंगी। इससे राज्य की विकास दर पर भी असर पड़ेगा।”

नोएडा जैसे औद्योगिक शहरों में जहां हजारों यूनिट्स लाखों लोगों को रोज़गार दे रही हैं, अगर उनका नाम ही GDP में न हो तो ये सिर्फ आर्थिक नहीं, प्रशासनिक चूक भी है। सरकार का सपना है कि उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए, लेकिन जब तक हर फैक्ट्री रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगी, तब तक ये लक्ष्य अधूरा ही रहेगा। अब देखना ये है कि 3500 बिना रजिस्टर्ड फैक्ट्रियां कब तक जागती हैं।

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