नोएडा में सेवानिवृत्त एयरफोर्स-कर्मी से 3.22 करोड़ की ठगी!: 36 दिन तक परिवार रहा डिजिटल अरेस्ट, जानें पूरा मामला और कैसे करें बचाव?
नोएडा में सेवानिवृत्त एयरफोर्स-कर्मी से 3.22 करोड़ की ठगी!

नोएडा : साइबर ठगों ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए ठगी का ऐसा जाल बुना कि एक रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी और उनका परिवार पूरे 36 दिन तक डिजिटल कैद में फंसा रहा। इस दौरान उन्हें लगातार डर और दबाव में रखकर ठगों ने उनकी जमा-पूंजी हड़प ली। कुल मिलाकर तीन करोड़ 22 लाख रुपए छह किश्तों में ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिए गए।

जानें कैसे शुरू हुआ खेल?

आपको बता दें कि 18 जुलाई को सेक्टर-25 निवासी सुबीर मित्रा, जो रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी हैं, के पास एक फोन आया। कॉल करने वाला खुद को TRAI का कर्मचारी बता रहा था। उसने दावा किया कि सुबीर के आधार कार्ड से जुड़ी सिम का इस्तेमाल अवैध विज्ञापन भेजने, अश्लील तस्वीरें शेयर करने और लोगों को परेशान करने वाले मैसेज भेजने में किया जा रहा है। ठग ने उन्हें डराया कि इस मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच में केस दर्ज है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है।

मुंबई पुलिस और “फर्जी मजिस्ट्रेट” :

गौरतलब है कि इसके बाद ठगों ने वीडियो कॉल पर उन्हें कथित “मुंबई क्राइम ब्रांच अधिकारियों” और “ऑनलाइन मजिस्ट्रेट” से भी जोड़ा। वहीं से खेल शुरू हुआ, उनसे कहा गया कि उनके नाम पर बैंक खाते खोले गए हैं। इन खातों का इस्तेमाल जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुआ है। गिरफ्तारी से बचने और क्लीनचिट पाने के लिए उन्हें अपनी पूरी जमा पूंजी का सत्यापन कराना होगा।

कैसे गई 3.22 करोड़ की रकम?

विदित है कि डरे-सहमे सुबीर मित्रा ने 22 जुलाई से 22 अगस्त तक छह बार में कुल 3 करोड़ 22 लाख रुपए ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। परिवार को लगातार कॉल, धमकी और “डिजिटल पेशी” के नाम पर व्यस्त रखा गया। इस वजह से वे बाहर किसी से बात भी नहीं कर पाया यानी पूरा परिवार “डिजिटल अरेस्ट” में था।

आखिर जब टूटा भ्रम…

आपको बता दें कि 22 अगस्त को जब सुबीर ने ठगों से अपनी रकम वापस करने की बात कही, तो अचानक सभी संपर्क टूट गए। तब जाकर उन्हें समझ आया कि वे साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं।

FIR और जांच हुई शुरू

गौरतलब है कि इसके बाद उनकी बेटी मलोबिका मित्रा की शिकायत पर मामला नोएडा साइबर थाने में दर्ज किया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ठगों तक पहुंचने के लिए कॉल डिटेल, बैंक ट्रांजैक्शन और फर्जी वीडियो कॉल लिंक की जांच की जा रही है।

जानें साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह “डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड” का ताज़ा मामला है। इसमें ठग-

 1. सरकारी अधिकारी या पुलिस बनकर डराते हैं,

 2. ऑनलाइन वीडियो कोर्ट बनाकर पेशी कराते हैं,

 3. और क्लीनचिट के नाम पर जमा पूंजी ट्रांसफर करवा लेते हैं।

एक्सपर्ट्स का साफ कहना है कि-

●किसी भी अनजान कॉल पर घबराकर पैसे ट्रांसफर न करें।

●असली पुलिस या कोर्ट कभी फोन/वीडियो कॉल पर केस सुलझाने का आदेश नहीं देते।

लेकिन अब भी है बड़ा सवाल

गौरतलब है कि नोएडा जैसी हाई-टेक सिटी में अगर एक रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी इस तरह फंस सकते हैं, तो आम आदमी कितना सुरक्षित है? यह केस बताता है कि साइबर ठग अब घर बैठे परिवारों को महीनों तक डर और कैद में रख सकते हैं।

अब पूरा मामला साइबर सेल की जांच में है, लेकिन इस हाई-प्रोफाइल ठगी ने सिस्टम और सुरक्षा एजेंसियों पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आम लोगों को ऐसे साइबर फ्राड से बचने की जरूरत हैं नही तो उनकी सारी कमाई ऐसे ही ठगों के हाथों में चली जायेगी।

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