नई दिल्ली : दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार को हुए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम के पूर्णतः विफल होने ने पूरे देश की उड़ान सेवाओं को ठप्प कर दिया। लेकिन यह कोई अचानक आई तकनीकी समस्या नहीं थी बल्कि महीनों पहले मिल चुकी चेतावनियों को नज़रअंदाज करने का भयानक नतीजा था।
वो चेतावनी जिसे किया गया था नजरअंदाज :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जुलाई 2024 में ही एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने संसदीय स्थायी समिति को पत्र लिखकर आगाह किया था कि:
●दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट्स के ऑटोमेशन सिस्टम लगातार स्लो परफॉर्मेंस दे रहे हैं
●सिस्टम में लैग की समस्या आ रही है
●ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है लेकिन सिस्टम अपग्रेड नहीं हो रहे
●भारत को अब ग्लोबल स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने की जरूरत है
इसका क्या हुआ परिणाम?
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह एयर ट्रैफिक कंट्रोल के ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (एएमएसएस) के पूरी तरह क्रैश होने के कारण 800 से अधिक उड़ानें देरी से संचालित हुईं, इसके साथ ही 20 उड़ानों को रद्द करना पड़ा, हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रहे। और पूरे देश के हवाई अड्डों पर असर देखने को मिला।
एएमएसएस क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
AMMS वह नेटवर्क सिस्टम है जो पायलट और ग्राउंड स्टाफ के बीच टेक्स्ट मैसेज के जरिए संचार स्थापित करता है, यह उड़ान मार्ग, ईंधन की जानकारी, ऊंचाई और मौसम अपडेट शेयर करता है साथ ही लैंडिंग से जुड़ी सभी जानकारियों का आदान-प्रदान करता है। सिस्टम फेल होने पर सभी काम मैन्युअल होते हैं, जिसमें काफी समय लगता है।
जानें कैसे काम करता ATC :
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि हवाई यातायात नियंत्रण यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) वह प्रणाली है जो हवा में उड़ रहे सैकड़ों विमानों के आवागमन को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संचालित करती है। यह हवाई जहाज़ों के लिए एक अदृश्य ट्रैफिक पुलिस की भूमिका निभाती है।
ATC के बिना विमानों का हो सकता आपस मे टकराव :
ATC के बिना, आकाश में विमानों का भारी जाम लग सकता है और सारे विमानों का आपसी टकराव का गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह प्रणाली ही तय करती है कि किस विमान को कब उड़ान भरनी है, किस रास्ते से जाना है, किस हाईट पर उड़ना है और कब और कहाँ लैंड करना है। जिस तरह सड़क पर गाड़ियों को हरी या लाल बत्ती मिलती है, ठीक वैसे ही एटीसी विमानों को उनकी आगे की हरकत के लिए निर्देश देता है। पायलटों को उड़ान से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी और मंजूरी इसी के जरिए मिलती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सिर्फ तकनीकी खराबी नहीं बल्कि व्यवस्थागत लापरवाही है। गिल्ड ने यूरोकंट्रोल और अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के एआई-बेस्ड सिस्टम का उदाहरण देते हुए भारत में भी ऐसी ही उन्नत प्रणाली अपनाने की सिफारिश की थी।
सिस्टम अब हुआ ठीक, लेकिन सवाल बाकी :
हालांकि तकनीकी दल ने 12 घंटे के अंदर सिस्टम को ठीक कर दिया है और उड़ान सेवाएं धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं, लेकिन कुछ सवाल अब भी बने हुए हैं कि चेतावनियों के बावजूद सिस्टम अपग्रेड क्यों नहीं किया गया? क्या एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जानबूझकर इस खतरे को नजरअंदाज किया? इसके साथ ही सवाल यह भी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
यह घटना न केवल भारतीय विमानन क्षेत्र की नाजुक स्थिति को उजागर करती है, बल्कि सवाल खड़ा करती है कि क्या हम अपने नागरिकों की सुरक्षा को गंभीरता से ले रहे हैं? यह हादसा एक चेतावनी का सच उजागर करता है: जब सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ी डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चेतावनी आती है, तो उसकी अनदेखी महंगी पड़ सकती है।