लखनऊ : देशभर के शिक्षक अब सड़क पर उतरने को तैयार हैं। टीईटी (Teacher Eligibility Test) को अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर लाखों शिक्षकों का इकट्ठा होना तय माना जा रहा है। यह आंदोलन अब एक महाजन-संग्राम का रूप ले चुका है, शिक्षक संगठनों की चेतावनी साफ है कि “अगर हमारी नौकरी और भविष्य को चोट पहुंची… तो दिल्ली की सड़कें हमारी आवाज़ सुनेंगी!”
जानें क्या है विवाद?
आपको केंद्र सरकार द्वारा टीईटी अनिवार्य करने के आदेश से, उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख शिक्षक और पूरे देश में करीब 10 लाख शिक्षक सीधे प्रभावित हो रहे हैं। लंबे समय से पढ़ा रहे शिक्षकों का कहना है कि “हमने वर्षों की सेवा और अनुभव से खुद को साबित किया है, फिर भी हमें परीक्षा के नाम पर असुरक्षा क्यों?”
आंदोलन की तैयारी शुरू :
गौरतलब अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का नेतृत्व करते हुए राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने एलान किया कि “दिवाली के बाद शिक्षक अब संघर्ष की राह पर है। 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर महासंग्राम होगा!” इसके लिए 25 से 31 अक्टूबर तक सभी जिलों में जनसंपर्क अभियान चालू किया गया है। 10 नवंबर तक हर राज्य में शिक्षकों का केंद्रीय रिपोर्ट की तैयारी है। स्कूलों में जाकर शिक्षकों की लामबंदी की जा रही है। कई राज्यों में सोशल मीडिया और रैलियों के जरिए माहौल गरमा चुका है।
संयुक्त मोर्चा की मुख्य मांगें :
गौरतलब है कि संयुक्त मोर्चा की मुख्य मांगों में टीईटी अनिवार्यता में संशोधन की मांग की गई है। जिसका उद्देश्य अनुभव और सेवा को सम्मान देना है। साथ ही सेवा सुरक्षा के ठोस प्रावधान करने की भी मांग है जिससे अस्थिरता और छंटनी से बचाव किया जा सके वहीं संसद में अध्यादेश लाने की मांग की जा रही है जिससे शिक्षकों के हितों की कानूनी रक्षा की जा सके।
शिक्षक बोले — “हम पढ़ाना जानते हैं, लड़ना भी!”
विदित है कि शिक्षक नेताओं का साफ कहना है है कि “अगर हमारी पीढ़ियों का भविष्य दांव पर लगाया गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। अब संघर्ष अंतिम होगा।”
24 नवंबर को देश सबसे बड़ा अध्यापक आंदोलन देखने जा रहा है। जंतर-मंतर एक बार फिर शिक्षा की लड़ाई का साक्षी बनने जा रहा है। शिक्षक अब सिर्फ पढ़ा नहीं रहे… अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ भी रहे हैं।