शिक्षा निदेशालय का नया सर्कुलर; दिल्ली में बच्चों की फर्स्ट क्लास में दाखिले को लेकर बड़ा बदलाव!: अब 5 साल के बच्चे...जानें क्या और क्यों हुआ हैं नया बदलाव?
शिक्षा निदेशालय का नया सर्कुलर; दिल्ली में बच्चों की फर्स्ट क्लास में दाखिले को लेकर बड़ा बदलाव!

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत दिल्ली के स्कूलों में एडमिशन सिस्टम में ज़बरदस्त बदलाव कर दिया गया है। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से पहली कक्षा में दाखिला सिर्फ उन बच्चों को मिलेगा, जिनकी उम्र 6 वर्ष से अधिक हो अभी तक 5+ साल का बच्चा पहली कक्षा में जाता था, लेकिन अब 1 साल और इंतज़ार करना होगा। सरकार का कहना है यह बदलाव बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास के लिए ज़रूरी है।

क्या-क्या बदल गया? — नई एडमिशन एज लिमिट

कक्षा - अब दाखिला किस उम्र में?

नर्सरी (बालवाटिका-1) - 3+ से 4 साल तक

लोअर KG (बालवाटिका-2) - 4+ से 5 साल तक

अपर KG (बालवाटिका-3) - 5+ से 6 साल तक

पहली कक्षा - 6+ से 7 साल तक

मतलब फाउंडेशनल स्टेज में 2 नहीं, अब 3 साल की पढ़ाई होगी तभी बच्चा पहली में पहुँचेगा। स्कूलों को अभिभावकों को यह नियम तुरंत बताने के निर्देश दिए गए हैं।

कौन से बच्चों पर लागू नहीं होगा यह नियम?

आपको बता दें कि 2025-26 में जो बच्चे नर्सरी से पहली में पढ़ रहे होंगे उन पर उम्र की नई पाबंदी नहीं लागू होगी। दाख़िले में 1 महीने की उम्र छूट भी दी जा सकती है जिसने पिछली कक्षा वैध मार्कशीट के साथ पास की है उसे रोका नहीं जाएगा

सरकार का दावा :

गौरतलब है कि सरकार का दावा है कि बच्चा पहली में जाने से पहले भावनात्मक रूप से और परिपक्व होगा। सीखने की नींव (Foundation Stage) और मजबूत होगी। भरत अरोड़ा, अध्यक्ष- एक्शन कमेटी ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ने कहा: “6+ की आयु पहली कक्षा के लिए वैज्ञानिक रूप से बेहतर है, यह बदलाव स्वागत योग्य है।”

अभिभावकों की चिंता :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार इसे बच्चों के भविष्य के लिए कदम कह रही लेकिन अभिभावकों की चिंता भी जायज़ है कि क्या बच्चों को स्कूल देर से भेजने से करियर पीछे रह जाएगा? या उन्हें भविष्य में दिक्कत नहीं होगी। अब यह भी डर है कि क्या सरकारी स्कूल इस बदलाव के लिए अभी तैयार होंगे। वहीं नर्सरी और KG स्तर की फीस कहीं विद्यालय वाले न बढ़ा दे इसकी भी चिंता अभिभावकों को परेशान कर रही है।

दिल्ली के लाखों परिवारों के लिए यह बदलाव सबसे बड़ी शैक्षणिक खबर है। लेकिन सरकार को अभिभावकों की चिंता और बच्चे की शारीरिक मानसिक विकास को साथ मे रखकर शिक्षा में बदलाव के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।

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