लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय 1 किलोमीटर नहीं, बल्कि 3 किलोमीटर के दायरे में किया जाएगा। शासन ने इसके लिए सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं।
जानें क्या है नया आदेश?
आपको बता दें कि अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने 16 जून, 2020 को जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इसी आदेश को आगे बढ़ाते हुए जिन स्कूलों में छात्र संख्या बेहद कम है, उन्हें नजदीक के विद्यालय में मर्ज किया जाएगा। इसके तहत अब नए नियमानुसार:
प्राथमिक विद्यालय → 1 किमी के भीतर विलय होंगे
वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय → 3 किमी के भीतर विलय होंगे।
यानि अब तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले छोटे और कम संसाधन वाले विद्यालयों को बड़े विद्यालयों में जोड़ा जाएगा।
किस स्कूल पर लागू होगा आदेश?
गौरतलब है कि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र नामांकन है, उन्हीं की पेयरिंग की जाएगी। इस दौरान स्थानीय परिस्थितियों और बच्चों की सुविधाओं का ध्यान में रखा जाना जरूरी होगा, जिससे उनकी शिक्षा में कोई रोकटोक न आए।
जानें क्या कहा महानिदेशक ने?
विदित है कि महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर साफ कहा है कि शासनादेश का पालन हर हाल में किया जाए। उनका कहना है कि छोटे स्कूलों को बड़े और बेहतर संसाधनों वाले विद्यालयों से जोड़ने से न सिर्फ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, बल्कि शिक्षकों और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी बेहतर उपयोग होगा।
क्यों लिया गया ये फैसला?
आपको बता दें कि प्रदेश में हजारों ऐसे विद्यालय हैं जहाँ नामांकन 50 से भी कम है। इससे न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी, बल्कि संसाधन भी बर्बाद हो रहे थे। सरकार का दावा है कि इस नए फैसले से:
बच्चों को बेहतर माहौल और संसाधन मिलेंगे।
शिक्षकों की तैनाती अधिक प्रभावी होगी।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और मजबूती आएगी।
लोगों पर क्या असर होगा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गांव-कस्बों में रहने वाले बच्चों को अब बड़े विद्यालयों तक जाने में थोड़ा ज्यादा सफर तय करना पड़ सकता है, लेकिन सरकार का कहना है कि बच्चों की सुविधा और दूरी को देखते हुए ही पेयरिंग की जाएगी।
कुल मिलाकर, योगी सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा प्रशासनिक सुधार माना जा रहा है। छोटे-छोटे विद्यालयों के विलय से शिक्षा व्यवस्था पर नज़र रखने में आसानी होगी और बच्चों को बेहतर संसाधन भी मिल पाएंगे।