CBSE की नई गाइडलाइन!: सभी स्कूलों में लगेंगे CCTV कैमरे; क्लास से लेकर कैंटीन तक...वहीं इतने दिनों की रिकॉर्डिंग?
CBSE की नई गाइडलाइन!

नई दिल्ली : देशभर के CBSE स्कूलों में अब छात्रों की हर हरकत पर CCTV कैमरों की पैनी नजर होगी। बोर्ड ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए अनिवार्य कर दिया है कि स्कूल परिसर के हर जरूरी हिस्से में हाई-डेफिनिशन (HD) कैमरे लगाए जाएं। इसमें क्लासरूम, कॉरिडोर, लैब, कैंटीन और एंट्री-एग्जिट प्वाइंट शामिल हैं। हालांकि टॉयलेट और वॉशरूम को निजता के मद्देनज़र इससे बाहर रखा गया है।

बुलिंग और छेड़छाड़ पर लगेगी रोक :

गौरतलब है कि इस ऐतिहासिक फैसले पर CBSE का कहना है कि यह फैसला स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा, अनुशासन और निगरानी बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। बुलिंग, छेड़छाड़, दुर्व्यवहार और आपात घटनाओं पर काबू पाने में यह कदम कारगर साबित हो सकता है।

हर कैमरे में होगी 15 दिन की रिकॉर्डिंग, HD वीडियो के साथ ऑडियो की भी सुविधा अनिवार्य :

आपको बता दें CBSE ने साफ निर्देश दिए हैं कि हर स्कूल में CCTV कैमरे काम की स्थिति में होने चाहिए एवं सभी फुटेज कम से कम 15 दिनों तक स्टोर होनी चाहिए। कैमरे HD क्वालिटी के हों और ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी होनी चाहिए। स्कूल प्रशासन को नियमित रूप से फुटेज चेक करने का भी आदेश है ताकि किसी भी घटना पर तत्काल एक्शन लिया जा सके।

ये एरियाज आएंगे सर्विलांस के दायरे में :

गौरतलब है कि सर्विलांस के एरिया में सभी क्लासरूम्स, लैब्स और लाइब्रेरी, कैंटीन, कॉरिडोर, स्कूल एंट्री और एग्जिट प्वाइंट, कॉमन एरियाज शामिल होंगे। टॉयलेट और वॉशरूम में कैमरे नहीं लगेंगे, ताकि बच्चों की प्राइवेसी बनी रहे।

CBSE ने सभी स्कूलों को दिए निर्देश, लेकिन समयसीमा तय नहीं :

आपको बता दें कि CBSE ने बताया कि ये दिशा-निर्देश देशभर के सभी CBSE संबद्ध स्कूलों पर लागू होंगे, लेकिन अभी तक कैमरे लगाने की कोई अंतिम समयसीमा तय नहीं की गई है। स्कूलों को जल्द ही इस पर अमल शुरू करने को कहा गया है। अन्यथा मान्यता रद्द की जा सकती है।

क्यों जरूरी हो गया CCTV निगरानी तंत्र?

गौरतलब है कि हाल के वर्षों में स्कूल परिसरों में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, बुलिंग और अनुशासनहीनता के कई मामले सामने आए हैं। CCTV निगरानी से ऐसे मामलों की सुनवाई और जांच तेजी से हो सकेगी। साथ ही गलत आरोपों या झूठे दावों से मासूम छात्रों या टीचर्स को भी बचाया जा सकेगा। वहीं इससे स्कूलों की जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।

CBSE का यह फैसला एक तरफ जहां बच्चों की सुरक्षा को एक नई तकनीकी ढाल देने जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ निगरानी और निजता के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी पेश कर रहा है। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि स्कूल प्रशासन इस दिशा-निर्देश को कितनी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से लागू करता है। अब स्कूल सिर्फ पढ़ाई का नहीं, निगरानी और सुरक्षा का भी नया केंद्र बनने जा रहे हैं । हर छात्र अब कैमरे की नजर में होंगें।

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