हरियाणा: देश की सरहदों पर शहादत देने वाले वीर जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए हरियाणा सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रदेश के 509 सरकारी स्कूलों का नाम अब शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा जाएगा। यह फैसला केवल नामकरण भर नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम और सेवा-भावना से जोड़ने की एक बड़ी पहल है।
जिलों में बांटी गई सूची:
शिक्षा विभाग और जिला सैनिक कल्याण बोर्ड मिलकर स्कूलों की सूची तैयार करेंगे। सबसे अधिक नामकरण रेवाड़ी (94 स्कूल) और भिवानी (85 स्कूल) जिलों में होगा। वहीं जींद (61), पलवल (38), रोहतक (36), चरखी दादरी (28), झज्जर (28) और गुरुग्राम (25) भी सूची में शामिल हैं।
छोटे जिलों जैसे नूंह (1), करनाल (2) और सिरसा (4) में भी नामकरण किया जाएगा।
इस पहल में 358 हाई/सीनियर सेकेंडरी और 151 मिडिल/प्राइमरी स्कूल शामिल हैं।
कॉलेजों का नामकरण भी हुआ:
केवल स्कूल ही नहीं, बल्कि तीन सरकारी कॉलेजों का नाम भी शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखने का निर्णय हुआ है।
बवानी खेड़ा महिला कॉलेज – स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर शंभू सिंह के नाम पर।
खरक कॉलेज (भिवानी) – शहीद गजेन्द्र सिंह के नाम पर, जिन्होंने 2018 में नक्सली हमले में शहादत दी थी।
सम्पला कॉलेज (रोहतक) – शहीद राय सिंह के नाम पर, जिन्होंने 2016 में जम्मू-राजौरी सेक्टर में प्राण न्यौछावर किए।
सरकार का उद्देश्य और संदेश:
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यह कदम शहीदों के अदम्य साहस और बलिदान को याद रखने का माध्यम बनेगा। उन्होंने ज़ोर दिया कि बच्चों को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि सेवा और राष्ट्रभक्ति का महत्व भी समझना चाहिए।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने उच्चस्तरीय बैठक कर अधिकारियों को नामकरण की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के निर्देश दिए।
केवल नाम बदलना नहीं, बल्कि नई सोच:
शिक्षाविदों का मानना है कि यह पहल तब और अधिक सार्थक होगी जब स्कूलों में शहीदों पर आधारित कहानियाँ, प्रतियोगिताएं, स्वच्छता अभियान और नशामुक्ति शपथ जैसे कार्यक्रम भी चलाए जाएँ। इससे बच्चों में देश के प्रति जिम्मेदारी और जागरूकता और गहरी होगी।
प्रेरणा बनेगा यह कदम:
हरियाणा सरकार का यह निर्णय शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को स्थायी श्रद्धांजलि देने वाला है। जब बच्चे शहीदों के नाम वाले स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ेंगे, तो वे केवल किताबों से नहीं, बल्कि असली बलिदान और गाथाओं से भी प्रेरणा लेंगे। यह कदम आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और सेवा-भावना का पाठ पढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।