राजस्थान सरकार द्वारा कोचिंग-सेंटर्स पर सख्ती!: बिना रजिस्ट्रेशन के कोचिंग सेंटर्स होंगे बंद; हर क्लास में होंगें मनोवैज्ञानिक गाइड वही नियम तोड़ने पर लगेगा इतना जुर्माना?
राजस्थान सरकार द्वारा कोचिंग-सेंटर्स पर सख्ती!

जयपुर : राजस्थान में कोचिंग सेंटरों का युग अब बदलने जा रहा है। विधानसभा ने बुधवार को “कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025” को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसका असर सीधे तौर पर लाखों विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों पर पड़ेगा। अब राज्य में कोई भी कोचिंग सेंटर बिना पंजीकरण नहीं चल सकेगा। साथ ही, हर संस्थान में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता (Counsellor) रखना अनिवार्य होगा, ताकि छात्रों की मानसिक सेहत को नज़रअंदाज़ न किया जा सके।

अब कोचिंग सेंटरों पर लगाम :

आपको बता दें कि कोचिंग सेंटर्स पर अब न्यूनतम विद्यार्थियों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 कर दी गयी है। नियम तोड़े तो पहली बार ₹50,000 और दूसरी बार ₹2 लाख का जुर्माना लगेगा। उल्लंघन जारी रहा तो पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। मतलब अब छोटे स्तर पर बिना अनुमति चलने वाले कोचिंग सेंटरों का दौर खत्म हो गया है।

हर कोचिंग में “मनोवैज्ञानिक गाइड” :

गौरतलब है कि विद्यार्थियों की आत्महत्या और तनाव जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। हर कोचिंग संस्थान में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता की नियुक्ति होगी। जिससे तनाव प्रबंधन और काउंसलिंग सेशन अनिवार्य होंगे। साथ ही परिजनों से सीधा संवाद और हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था होगी। जिससे शिक्षा के साथ-साथ अब बच्चों की मानसिक सेहत को भी समान महत्व मिलेगा।

पारदर्शी होगी व्यवस्था :

विदित है कि सभी कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण एक वेब पोर्टल के जरिए होगा। पब्लिक के लिए सभी संस्थानों की जानकारी खुली रहेगी। इससे फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी पर लगेगी रोक।

उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा का बयान :

गौरतलब है कि विधानसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने कहा: "यह केवल कानून नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक निर्णय है। हमारा लक्ष्य है कि कोचिंग संस्थान सिर्फ रैंकिंग मशीन न बनें, बल्कि संस्कार और संवेदनशीलता के केंद्र बनें।"
उन्होंने साफ किया कि भविष्य में जरुरत के मुताबिक इसमें बदलाव भी किए जा सकते हैं।

क्यों अहम है यह विधेयक?

आपको बता दें कि राजस्थान कोचिंग हब माना जाता है - खासकर कोटा। हर साल लाखों छात्र IIT, NEET और सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए आते हैं। मानसिक दबाव, आत्महत्या और अवसाद की घटनाएं चिंता का कारण रही हैं। इस विधेयक से उम्मीद है कि बच्चों की पढ़ाई का माहौल और सुरक्षित तथा मानवीय बनेगा।

राजस्थान सरकार का यह कानून सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि विद्यार्थियों और अभिभावकों के भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश है। अब कोचिंग इंडस्ट्री केवल “पैसे कमाने की फैक्ट्री” नहीं रहेगी, बल्कि संवेदनशील शिक्षा का केंद्र बनने की ओर बढ़ेगी।

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