नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने 21 जजों की संपत्ति का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है। यह फैसला कोर्ट की "फुल कोर्ट" ने 1 अप्रैल 2025 को लिया था। अभी 33 में से 21 जजों की डिटेल अपलोड की गई है, बाकी ने केवल सुप्रीम कोर्ट को जानकारी सौंपी है जिसे समयानुसार वेबसाइट पर डाला जाएगा।
इस कदम का उद्देश्य न्यायपालिका में पारदर्शिता लाना और जनता का विश्वास बहाल करना है, खासकर हाल ही में सामने आए न्यायिक भ्रष्टाचार से जुड़े विवादों के बाद आये विश्वास की कमी को पूरा करना।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस: वजह बना विवाद:
आपको बता दें कि 14 मार्च 2025 को दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की सूचना मिली। जब फायर ब्रिगेड पहुंची तो स्टोररूम में अधजले नोटों का ढेर मिला। इससे कोर्ट और जनता में हड़कंप मच गया। इसके बाद सिलसिलेवार निम्नलिखित घटनाक्रम हुए।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस: वजह बना विवाद
14 मार्च 2025 को दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की सूचना मिली। जब फायर ब्रिगेड पहुंची तो स्टोररूम में अधजले नोटों का ढेर मिला। इससे कोर्ट और जनता में हड़कंप मच गया।
23 मार्च: दिल्ली हाईकोर्ट ने उनसे कार्यभार वापस लिया।
24 मार्च: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद ट्रांसफर करने की सिफारिश की।
28 मार्च: केंद्र सरकार ने ट्रांसफर की अधिसूचना जारी की।
5 अप्रैल: उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथ ली।
3 मई: तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने CJI को रिपोर्ट सौंपी।
अब: अंतिम निर्णय CJI संजीव खन्ना के पास सुरक्षित है।
वेबसाइट पर क्या-क्या जानकारी डाली गई?
गौरतलब है कि सिर्फ संपत्ति ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया भी सार्वजनिक की है,
इसके साथ ही :
●303 प्रस्तावों पर विचार, जिनमें से 170 की नियुक्ति की सिफारिश।
हर नियुक्त जज की जानकारी में शामिल:
●नाम, हाईकोर्ट, सोर्स (बार या सर्विस)
●कॉलेजियम की सिफारिश, अधिसूचना और शपथ की तारीख
●विशेष वर्ग (SC/ST/OBC/महिला/अल्पसंख्यक) से हो तो?
●क्या किसी वर्तमान या पूर्व जज का संबंधी है?
कुल जातिगत आँकड़े भी आये:
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी बताया कि 9 नवम्बर 2022 से 5 मई 2025 तक कि 170 नियुक्तियों में से
SC: 7, ST: 5, OBC: 21, EBC: 7
महिलाएं: 28, अल्पसंख्यक: 23 हैं,
इसके साथ ही 12 उम्मीदवार ऐसे, जो किसी पूर्व/वर्तमान जज के परिजन हैं। इनमें से 11 नियुक्त हो चुके हैं।
पारदर्शिता के पिछले प्रयास:
आपको बता दे कि ये पहली दफा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट पहले भी अपनी पारदर्शिता दिखाने के लिए प्रयास कर चुका है।
1997: CJI जे.एस. वर्मा ने जजों से संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन सार्वजनिक करने की बाध्यता नहीं थी।
2009: जज संपत्ति विधेयक संसद में लाया गया, लेकिन 'घोषणाएं सार्वजनिक नहीं होंगी' प्रावधान के कारण विरोध हुआ।
2009: RTI दबाव के कारण कुछ जजों ने स्वेच्छा से संपत्ति घोषित की।
अब आगे क्या:
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, जिन जजों की जानकारी अभी अपलोड नहीं हुई है, वह भी मिलते ही वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाएगी।
वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में जांच रिपोर्ट CJI को सौंप दी गई है, और अब अगला फैसला उनका होगा।
यह कदम न केवल सुप्रीम कोर्ट की जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाता है, बल्कि न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ा संदेश भी देता है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या बाकी जज भी सार्वजनिक रूप से अपनी संपत्ति घोषित करेंगे और क्या भविष्य में यह परंपरा बनी रहेगी।