नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए CBDT यानि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म-2 (ITR-2) को जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि ITR-2 ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए बेहद जरूरी होता है, खासकर सैलरी पाने वाले कर्मचारियों तथा पेंशनरों के लिए। यह फॉर्म इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही यानि 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो गया है।
क्या है इस फॉर्म (ITR-2) की खास बात:
आपको बता दें कि इसमें खास बात यह है कि जिन भी लोगों को सैलरी अथवा पेंशन के माध्यम से इनकम होती है, अथवा जिनकी एक से अधिक प्रॉपर्टी से इनकम होती है, वह ITR-2 का इस्तेमाल करके अपना पूरा इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इसके लिए यह भी बेहद जरूरी है कि प्रॉपर्टी निवेशक अथवा दूसरे अन्य सभी निवेशों को बेचने के पश्चात होने वाले कैपिटल गेन या कोई अनु नुकसान, चाहे वह लॉन्ग-टर्म हों अथवा शॉर्ट-टर्म के, उन सभी को भी इस ITR फॉर्म में बताना होगा।
सैलरी पाने वाले लोगों के लिए भी जरूरी है फॉर्म ITR-2:
इसके साथ ही ITR-2 फॉर्म उन सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए भी है जो इक्विटी शेयर अथवा म्यूचुअल फंड में भी निवेश करते हैं। साथ ही सैलरी पाने वाले लोगों को भी ITR-1 की जगह ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल करना होता है। वहीं अगर आपके पास एक से अधिक घर हैं, अगर आपकी कोई संपत्ति भारत से बाहर स्थित है अथवा आपकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है, तो भी आपको यह फॉर्म भरने की जरूरत पड़ती है।
इस बार हुए हैं कई प्रमुख बदलाव:
आपको बता दें कि पहले एसेट तथा लायबिलिटी के बारे में फॉर्म में जानकारी तभी देनी होती थी जब किसी भी व्यक्ति की कुल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक होती थी, लेकिन इस बार नए ITR-2 में यह नियम तभी लागू होगा जब आपकी कुल इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि इस बदलाव से उन लोगों को काफी राहत मिलेगी जिनकी सालाना इनकम 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये के बीच में है, क्योंकि उन्हें अपनी संपत्ति तथा देनदारियों का हिसाब अब नहीं देना पड़ेगा।
कैपिटल गेन टैक्स में किए गए 2 बड़े बदलाव:
दरअसल पहले सिर्फ TDS काटने वाली कंपनी तथा काटी गई रकम की जानकारी ही देनी होती थी। लेकिन, अब यह नियम भी बदल गया है। इसमें अब यह बताना जरूरी होगा कि TDS किस सेक्शन के अंतर्गत काटा गया है, जैसे कि 194C, 194J अथवा कोई अन्य सेक्शन है।
इसके अतिरिक्त कैपिटल गेन (CGT) शेड्यूल में भी 2 बड़े बदलाव किए गए हैं। दरअसल कैपिटल गेन से जुड़े लेनदेन की जानकारी शेड्यूल कैप्टल गेन में भरी जाती है, जो कि ITR-2 फॉर्म के पार्ट A में होता है। लेकिन अब टैक्सपेयर्स को यह भी बताना होगा कि संपत्ति का ट्रांसफर, जिससे लॉन्ग-टर्म अतः a शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन अथवा कोई नुकसान हुआ, वह 23 जुलाई, 2024 कि तारीख से पहले हुआ था अथवा बाद में।
विदेशी संपत्ति की भी देनी होगी जानकारी:
गौरतलब है कि अब आपको नए ITR-2 फॉर्म में विदेशी संपत्ति के बारे में भी अधिक जानकारी देने की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए शेड्यूल FA (विदेशी संपत्ति) तथा FSI (विदेशी स्रोत से इनकम) भी भरने होंगे। इसके अतिरिक्त शेड्यूल VDA में वर्चुअल डिजिटल एसेट के लेनदेन की पूरी जानकारी भी देनी होगी, जिस पर सेक्शन 115BBH के अंतर्गत 30% टैक्स लगता है। वहीं कुछ खास हाई-वैल्यू लेनदेन के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर यानि LEI का खुलासा भी करना पड़ेगा।