झुलसती गर्मी के बीच मानसून की धमाकेदार एंट्री!: समय से पहले मानसून के आने...जानें IMD का भयावह पूर्वानुमान; केरल से लेकर झारखण्ड तक?
झुलसती गर्मी के बीच मानसून की धमाकेदार एंट्री!

नई दिल्ली: भीषण गर्मी से जूझ रहे देशवासियों के लिए राहत की बड़ी खबर है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा है कि मानसून ने बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से, अंडमान सागर, निकोबार द्वीप और इसके आसपास के क्षेत्रों में दस्तक दे दी है। इसका मतलब है कि इस बार मानसून समय से पहले दस्तक दे रहा है और देश के कई हिस्सों में मई में ही झमाझम बारिश का सिलसिला शुरू हो सकता है।

कहां पहुंचा मानसून?

आईएमडी के मुताबिक, मानसून ने दक्षिणी बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह के उत्तरी हिस्से को कवर कर लिया है। इसी जगह से भारत में मानसून का आगमन होता है। बीते हुए 2 दिनों से अंडमान-निकोबार द्वीप में बारिश हो रही है, जो मानसून की सक्रिय होनें का पहला चिह्न है।

अगले 3-4 दिन होंगे निर्णायक:

आपको बता दें कि IMD का कहना है कि आने वाले 3 से 4 दिनों में मानसून तेज़ी से आगे बढ़ेगा। इसके चलते दक्षिण अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बाकी हिस्सों के साथ-साथ मध्य बंगाल की खाड़ी भी इसकी चपेट में आ जाएगा। यानी भारत के दक्षिण-पूर्वी कोनों से लेकर मध्यवर्ती समुद्री इलाकों तक मानसून पूरी ताकत से सक्रिय हो जाएगा।

हवाओं की स्पीड बढ़ी, बादल भी बनने शुरू:

जानकारी के लिए बता दें कि मौसम विभाग ने बताया कि बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और निकोबार द्वीप क्षेत्र में पछुआ हवाएं 20 समुद्री मील (करीब 37 किमी/घंटा) की रफ्तार से चल रही हैं, जो समुद्र तल से 4.5 किमी तक सक्रिय हैं। यह एक स्पष्ट संकेत है कि वातावरण में भारी नमी भर चुकी है, जो मानसून की बुनियाद बनती है।

साथ ही, ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR)’ में भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह संकेत करता है कि आसमान में बादल गहराने लगे हैं और ऊष्मा की खपत हो रही है। यानी वातावरण में बरसात के लिए आदर्श स्थितियां बन रही हैं।

इन राज्यों में झमाझम बारिश तय:

IMD ने देश के कई राज्यों के लिए विशेष अलर्ट जारी किया है, जिनमें अगले कुछ दिनों में बारिश और आंधी-तूफान की संभावना है:

 छत्तीसगढ़: 15 मई तक गरज के साथ बिजली, आंधी और मध्यम दर्जे की वर्षा

 मध्य प्रदेश: 13 से 16 मई के बीच तेज हवाओं के साथ बारिश

 पश्चिम बंगाल: 14 तथा 15 मई को ज्यादा बारिश की संभावना

 झारखंड: मई के 15 तथा 16 तारीख को बिजली चमक के साथ जोरदार वर्षा।

 केरल: 27 मई तक भारी वर्षा की आशंका

क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का मानसून "प्रो-ऐक्टिव" है, यानी तय समय से पहले और ज्यादा ताकत के साथ दस्तक दे रहा है। इसका असर पूरे देश के मौसम पर पड़ेगा। हालांकि यह सिर्फ राहत ही नहीं, खतरे की घंटी भी है। तेज हवाएं, वज्रपात और अचानक मौसम परिवर्तन जनजीवन पर गहरा असर डाल सकते हैं।

आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि जब मानसून इतनी जल्दी सक्रिय होता है, तो जून-जुलाई में भारी बारिश की संभावना बढ़ जाती है, जिससे बाढ़ और फसल क्षति का खतरा भी बना रहता है।

क्या करना चाहिए लोगों को:

गौरतलब है कि मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने, गैर-जरूरी यात्रा से बचने, और बिजली गिरने की संभावना वाले इलाकों में खुले में न जाने की सलाह दी है। किसान भाइयों के लिए भी यह समय बेहद अहम है क्योंकि समय से पहले वर्षा उनके बुआई और फसल चक्र पर असर डाल सकती है।

जानें क्या होता है मानसून?

आपको बता दें कि मानसून एक मौसमी पवन प्रणाली है जो हर साल गर्मियों में समुद्र से उठकर भारतीय उपमहाद्वीप की ओर आती है। यह दक्षिण-पश्चिम दिशा से चलती है और अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से भारी मात्रा में नमी लेकर आती है। जब ये नम हवाएं भारतीय भूभाग से टकराती हैं, तो बारिश शुरू हो जाती है। मानसून आमतौर पर जून की शुरुआत में केरल से प्रवेश करता है और धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाता है।

भारत की कृषि व्यवस्था मानसून पर काफी हद तक निर्भर है, क्योंकि देश के अधिकांश हिस्सों में खेती के लिए बारिश ही प्रमुख जल स्रोत होती है। इसलिए मानसून को भारत की "जीवनरेखा" कहा जाता है।

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