मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड, 8 दिन पहले पहुंचा केरल तट पर!: 28 राज्यों में रेड-ऑरेंज अलर्ट...यूपी में 4 जून के आसपास बारिश की दस्तक?
मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड, 8 दिन पहले पहुंचा केरल तट पर!

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम : देश में मौसम ने अचानक करवट ले ली है। इस बार मानसून अपने तय समय से पूरे 8 दिन पहले यानी 24 मई को केरल पहुंच गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बीते 16 वर्षों में मानसून की सबसे जल्दी एंट्री हुई है। इससे पहले 2009 में यह 23 मई को आया था। सामान्यतः मानसून हर साल 1 जून को केरल में दस्तक देता है।

समुद्र में उठा दबाव, अरब सागर में नमी और मौसम में उलटफेर की बड़ी वजह :

विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून के इतनी जल्दी आने की सबसे बड़ी वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनी अतिरिक्त नमी और समुद्री तापमान का बढ़ना है। पूर्व-मध्य अरब सागर में बना दबाव और पश्चिमी हवाओं की रफ्तार ने मानसूनी सिस्टम को अचानक सक्रिय कर दिया। IMD के अनुसार यह इस बार एक हफ्ते के भीतर दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत को कवर कर सकता है, जबकि 4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत (यानी MP और UP) तक इसकी पहुंच संभव है।

देश के 28 राज्यों में बारिश-आंधी का रेड अलर्ट, दिल्ली-NCR में ऑरेंज अलर्ट -

गौरतलब है कि जहां एक ओर मानसून की जल्दी आना राहत की खबर है, वहीं इसके साथ मौसम में भारी उथल-पुथल भी देखने को मिल रही है। दिल्ली-NCR में 70 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं केरल, कर्नाटक, गोवा और लक्षद्वीप में IMD ने 27 मई तक समुद्र में मछली पकड़ने पर रोक लगा दी है।साथ ही कोंकण और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के साथ तेज बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। वहीं तमिलनाडु, तेलंगाना और आंतरिक कर्नाटक में भी गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।

क्या जल्दी आया मानसून जल्दी जाएगा?

आपको बता दें कि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून का जल्दी आना इस बात की गारंटी नहीं देता कि यह जल्दी लौट भी जाएगा। यह कई वैश्विक और समुद्री कारकों पर निर्भर करता है। यदि सिस्टम स्थिर रहा, तो यह सामान्य या उससे बेहतर वर्षा दे सकता है। लेकिन यदि यह कमजोर पड़ गया, तो इसका असर देश के कई हिस्सों में सूखे की शक्ल में भी दिख सकता है।

इस बार अल नीनो नहीं, ला नीना के संकेत: अच्छी बारिश के आसार :

गौरतलब है कि IMD ने अप्रैल में बताया था कि इस बार अल नीनो का प्रभाव नहीं होगा। इससे संकेत मिलते हैं कि देश में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। विदित है कि अल-नीनो में समुद्र का तापमान में 3 से 4 डिग्री-सेंटीग्रेड की वृद्धि हो जाती है, जिससे बारिश पर प्रभाव पड़ता है। वहीं ला-नीना में समुद्र का तापमान गिर जाता है, जिससे बादल बनने और अच्छी बारिश की संभावना बढ़ जाती है।

मानसून इतिहास के दिलचस्प रिकॉर्ड्स:

जानकारी के लिए बता दें कि 1918 में सबसे जल्दी 11 मई को मानसून केरल पहुंचा था। वहीं 1972 में सबसे देरी से 18 जून को पहुंचा। लेकिन 2025 का मानसून अब तक का सबसे सक्रिय और असामान्य रूप से प्रारंभ है जिसने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया ।

आने वाले दिन कैसे रहेंगे? -

●29 मई तक: केरल, कर्नाटक में भारी से अति भारी वर्षा।

●4 जून तक: मानसून मध्य भारत में दस्तक देगा।

●15 जुलाई तक: देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून का कब्जा।

●17 सितंबर से: मानसून की वापसी शुरू होने की संभावना।

क्या यह जलवायु परिवर्तन का असर?  - 

जलवायु विशेषज्ञों की मानें तो यह बदलाव क्लाइमेट चेंज का बड़ा संकेत है। पिछले कुछ वर्षों से मौसम की गतिविधियां अनियमित हो गई हैं, कभी भीषण गर्मी, तो कभी अचानक बर्फबारी और अब मानसून की यह जल्दी आना जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है

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