नई दिल्ली : भारत की सबसे गुप्त और ताक़तवर खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को अब नया चीफ मिल गया है। पंजाब कैडर के 1989 बैच के IPS अफसर पराग जैन को RAW का अगला प्रमुख नियुक्त किया गया है। वे 1 जुलाई 2025 से अपना कार्यभार संभालेंगे और उनका कार्यकाल 2 वर्षों का होगा। पराग जैन, जो वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के चीफ हैं, उन्होंने पाकिस्तान पर सटीक हवाई हमलों वाले ऑपरेशन सिंदूर में कंधे से कंधा मिलाकर रणनीतिक नेतृत्व निभाया था।
कौन हैं पराग जैन? कैसे पहुचे RAW तक :
आपको बता दें कि पराग जैन 1989, पंजाब कैडर से रहें हैं वे वर्तमान में चीफ, एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) में कार्यरत रहें हैं। इसके पहले वे RAW की पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख रहें हैं। वे कनाडा, श्रीलंका जैसे देशों में खुफिया पोस्टिंग पर रहें हैं। पंजाब में DIG, SSP और आतंक विरोधी अभियानों के संचालनकर्ता रहें हैं। वहीं निजी जीवन में उनकी पत्नी सीमा जैन (IAS), वर्तमान में केंद्र सरकार में सेक्रेटरी फाइनेंस और स्पेस विभाग में कार्यरत हैं। पराग जैन की छवि ईमानदार, निर्भीक, और जमीनी अफसर की रही है। पंजाब के पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा बताते हैं कि जैन लुधियाना में DIG रहते हुए घर से ही राशन व चायपत्ती तक लेकर जाते थे "न कोई सुविधा, न दिखावा।"
ऑपरेशन सिंदूर का रहें हैं मास्टरमाइंड :
गौरतलब है कि पराग जैन फिलहाल जिस ARC का नेतृत्व कर रहे हैं, वही संस्था ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी एयर स्पेस की निगरानी, टेक्निकल इंटेलिजेंस, और ह्यूमन नेटवर्क के समन्वय में मुख्य स्तंभ बनी। भारतीय वायुसेना को आतंकियों के सटीक ठिकानों की जानकारी ARC ने ही दी और जैन उसके मुखिया थे।
विदेशों में मिशन, खालिस्तानी मॉड्यूल्स पर पैनी नजर! :
विदित है कि पराग जैन का करियर सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत कूटनीतिक और खुफिया कार्यों से भरा रहा है वे कनाडा में भारतीय मिशन में वहाँ सक्रिय खालिस्तानी आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी, जिससे भारत को कई बार बड़ी साजिशों का पहले ही पता चल गया। वहीं वे श्रीलंका में पोस्टिंग के दौरान तमिल संगठनों और LITE जैसे समूहों से संबंधित गतिविधियों पर सफल नियंत्रण में उनकी भूमिका सराही गई।
RAW के मौजूदा चीफ रवि सिन्हा 30 जून को हो रहे रिटायर :
आपको बता दें कि रवि सिन्हा (छत्तीसगढ़ कैडर, 1988 बैच) को पिछले वर्ष RAW प्रमुख बनाया गया था। उन्हें "ऑपरेशन मैन" के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई और बाद में कई गुप्त अभियानों में विशेषज्ञता हासिल थी। अब उनकी जगह पराग जैन एक ऐसे समय पर RAW की कमान संभाल रहे हैं, जब सीमा पार आतंकवाद फिर से सिर उठा रहा है। वहीं खालिस्तानी आंदोलन वैश्विक स्तर पर सक्रिय हो रहा है साथ ही पाकिस्तान-चीन गठजोड़ नई सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा कर रहा है।
RAW का इतिहास: एक नज़र :
आपको बता दें कि RAW जिसे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग कहतें हैं इसकी स्थापना 1968, चीन युद्ध (1962) और पाकिस्तान युद्ध (1965) के बाद ज़रूरत महसूस हुई। इसके पहले प्रमुख: आर. एन. काव थे। जिन्हें "India's Master Spy" कहा जाता है। RAW का काम विदेशी खुफिया जानकारी एकत्र करनें के साथ आतंकवादी नेटवर्क की निगरानी, दुश्मन देशों की रणनीति पर नजर रखना इत्यादि हैं
RAW चीफ के रूप में पराग जैन की परीक्षा शुरू :
रॉ के मुखिया के रूप में पराग जैन को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
●भारत की सीमाओं पर शांति की चुनौती।
●आतंक के नए स्वरूप – साइबर, ड्रोन, और समुद्री हमले।
●अमेरिका-कनाडा-इज़राइल जैसे मित्र राष्ट्रों से खुफिया साझेदारी बढ़ाना।
●POK और अफगानिस्तान में आतंकी बेस पर नजर।
एक ऐसे समय में जब भारत को चारों ओर से खुफिया चुनौतियाँ घेर रही हैं, पराग जैन जैसे कर्मठ, पारदर्शी और अनुभवी अफसर का RAW चीफ बनना न सिर्फ रणनीतिक ज़रूरत है, बल्कि एक बड़ा संदेश भी है, अब भारत रक्षात्मक नहीं, निर्णायक खुफिया रणनीति के युग में है।