गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रविवार की रात कानून को खुलेआम चुनौती दी गई। रविवार रात गाजियाबाद के नाहल गांव में बदमाशों ने नोएडा पुलिस टीम पर हमला कर दिया और अपने साथी, कुख्यात हिस्ट्रीशीटर कादिर उर्फ मंटा को छुड़ा ले गए। इस खूनी हमले में सिपाही सौरभ कुमार को सिर में गोली लगी और अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। 30 साल के इस बहादुर जवान की शहादत ने न सिर्फ पुलिस महकमे को झकझोर दिया है, बल्कि उनके गांव शामली में मातम पसरा हुआ है।
घात लगाकर बैठे थे हमलावर, पुलिस ने बचाई जान, सिपाही शहीद:
पुलिस के मुताबिक नोएडा के थाना फेज-3 क्षेत्र में एक कार से म्यूजिक सिस्टम की चोरी का केस दर्ज हुआ था, जिसमें हिस्ट्रीशीटर कादिर का नाम सामने आया। रविवार रात 12:30 बजे नोएडा पुलिस की एक टीम दरोगा सचिन कुमार के नेतृत्व में गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के नाहल गांव पहुंची। पुलिस ने कादिर को उसके घर से पकड़ भी लिया था, लेकिन जैसे ही टीम गांव से 300 मीटर दूर पहुंची, पहले से घात लगाकर बैठे बदमाशों ने चारों ओर से पथराव और फायरिंग शुरू कर दी। करीब 20 से 25 राउंड गोलियां चलीं। अफरातफरी में पुलिसवालों ने भागकर जान बचाई, लेकिन सिपाही सौरभ कुमार के सिर में गोली लग गई। उन्हें ऑटो में डालकर हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही बहादुर सिपाही ने अपना दम तोड़ दिया।
स्थानीय पुलिस को अवगत कराए बिना दी गई दबिश का जिम्मेदार कौन
गौरतलब है कि जांच में सामने आया है कि नोएडा पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस को दबिश की कोई सूचना नहीं दी थी। नाहल गांव मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां बाहरी दबिश पर स्थानीय विरोध की संभावना पहले से रहती है। यही चूक सिपाही की जान ले गई। सवाल ये उठता है कि क्या यह एक रणनीतिक भूल थी या फिर लापरवाही, हो सकता हैं कि तब तक बदमाश फरार भी हो सकता था।
हिस्ट्रीशीटर कादिर पर 24 से ज्यादा मुकदमे दर्ज:
जानकारी के अनुसार कुख्यात कादिर उर्फ मंटा पर हत्या, लूट, चोरी सहित 24 से ज्यादा केस दर्ज हैं। वो कई बार जेल जा चुका है और हाल ही में चोरी के केस में नामजद हुआ था। घटना के बाद सोमवार सुबह उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सौरभ को नहीं बचाया जा सका था।
शहीद सिपाही सौरभ, संघर्ष की एक मिसाल!
विदित है कि सौरभ कुमार शामली के बधेव गांव के रहने वाले थे। 2017 में वह पुलिस में भर्ती हुए थे और अपनी मेहनत के बल पर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) में शामिल हुए। उन्होंने सेंट फ्रांसिस स्कूल से 10वीं, सिल्वर बेल से 12वीं और सिल्वर मैनेजमेंट कॉलेज से बीकॉम किया था। उनकी शादी 2019 में हुई थी और वे नोएडा में पत्नी आयुषी के साथ रहते थे। रविवार रात उन्होंने पत्नी को कॉल कर कहा था—"आकर खाना खाता हूं" लेकिन अब वे कभी वापस नहीं आएंगे। उनकी मां कला देवी और पत्नी आयुषी का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में शोक का माहौल है, हर किसी की आंखें नम हैं।
DCP से लेकर PAC तक गांव में तैनात, तलाशी और पूछताछ जारी
आपको बता दें कि घटना के बाद DCP समेत आला अफसर मौके पर पहुंचे। गांव में PAC की तैनाती की गई, एक-एक घर की तलाशी ली जा रही है। ग्रामीणों से पूछताछ जारी है। पुलिस इस बात की तह तक जाना चाहती है कि कादिर को छुड़ाने की पूरी योजना कैसे बनी और कौन-कौन शामिल था।
गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने मिलकर की 75 लाख की मदद, दु:खद घड़ी में पूरा पुलिस परिवार एक साथ, सराहनीय कदम:
गौरतलब है कि गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से शहीद सौरभ के परिवार को 75 लाख 16 हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई है। इसमें सभी पुलिसकर्मियों का एक दिन का वेतन और पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का 1 लाख का निजी योगदान शामिल है। पुलिस विभाग ने शहीद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने की तैयारी की है।
यह घटना उत्तर प्रदेश की लॉ एंड आर्डर पर भी तमाम बड़े सवाल खड़ा कर रही है। जब पुलिस की टीम पर खुलेआम गोलियां चलती हैं, सिपाही की जान जाती है, और बदमाश भाग निकलते हैं तो आम नागरिक की सुरक्षा का भरोसा कैसे जिंदा रहेगा। अब वक्त आ गया है कि पुलिस को और मजबूत रणनीति, लोकल इंटेलिजेंस और हाई-लेवल कोऑर्डिनेशन से लैस किया जाए जिससे फिर ऐसी घटना न हो। इसमें जरूरी हैं कि सभ्य समाज भी पुलिस के साथ तालमेल बैठाकर आगे आए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लग सके, तभी असली मायनों में बढ़ते अपराध पर लगाम और अपराध मुक्त वातावरण का विकास हो सकेगा।