अंकिता भंडारी मर्डर; मै गरीब हु तो क्या खुद को 10 हजार में बेच दूं...एक्स्ट्रा सर्विस के इनकार ने ली जान!: भाजपा नेता के बेटे समेत तीनों आरोपियों की जेल में कटेगी बाकी जिन्दगी, माँ बोली "फांसी दो दरिंदों को"
अंकिता भंडारी मर्डर; मै गरीब हु तो क्या खुद को 10 हजार में बेच दूं...एक्स्ट्रा सर्विस के इनकार ने ली जान!

देहरादून : उत्तराखंड के बहुचर्चित और दिल दहला देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। दो साल आठ महीने की कानूनी जद्दोजहद, फॉरेंसिक रिपोर्ट, पोस्टमार्टम विश्लेषण और जनआक्रोश के बाद पूर्व मंत्री और भाजपा नेता के बेटे पुलकित आर्य सहित तीनों आरोपियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी है।

जानें क्या था पूरा मामला :

रिपोर्ट के अनुसार 19 साल की अंकिता भंडारी एक सीधी-सादी लड़की थी जिसने सिर्फ एक रिसॉर्ट में नौकरी जॉइन की थी, लेकिन उसका इनकार उसके साथ दरिंदगी का कारण बन गया। आरोपियों ने उस पर "एक्स्ट्रा सर्विस" यानी यौन शोषण का दबाव बनाया। जब उसने विरोध किया, तो 18 सितंबर 2022 की रात को उसे घुमाने के बहाने ऋषिकेश ले जाया गया और पर वह वापस रिसॉर्ट नहीं लौटी। छह दिन बाद उसका शव चीला नहर में मिला।

कोर्ट में हुआ खुलासा, नहर में गिरी नहीं धकेला गया :

गौरतलब है कि कोर्ट ने साफ कहा कि “यह हत्या थी, हादसा नहीं। यह आपराधिक मानव वध था।” पोस्टमार्टम रिपोर्ट में "सडेन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी" का सिद्धांत सामने आया, यानी अंकिता को अचानक झटके से पानी में फेंक दिया गया था। क्राइम-सीन को फिर से रिक्रिएट के दौरान कोई फिसलने के निशान नहीं पाए गए। यह साबित हुआ कि यह सुनियोजित हत्या थी, सिर्फ इसलिए क्योंकि अंकिता ने उनकी घिनौनी मांग नहीं मानी।

तीनों को मिला आजीवन कारावास :

जानकारी के अनुसार अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत तीनों को आजीवन कारावास की सजा दी। अभियोजन पक्ष ने 1991 के सुप्रीम कोर्ट केस (जहर लाल बनाम ओडिशा राज्य) को आधार बनाते हुए साबित किया कि हत्या सुनियोजित थी, दुर्घटना नहीं।

भीड़ ने फूंका दिया था रिसॉर्ट :

आपको बता दें कि अंकिता की हत्या के बाद जनता का गुस्सा बुरी तरह फूट पड़ा था। लोगों ने पुलकित आर्य के 'वनंतरा रिसॉर्ट' में आग लगा दी थी, भाजपा विधायक की गाड़ी तोड़ दी गई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने SIT का गठन किया और बुलडोजर चला कर पूरा रिसॉर्ट ढहा दिया।

भाजपा नें पिता और भाई को पार्टी से निकाला :

विदित है कि हत्यारोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रहे हैं। इस घटना के बाद उन्हें और उनके दूसरे बेटे अंकित आर्य को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उनसे राज्य मंत्री का दर्जा भी छीन लिया गया था।

पीड़ित परिवार की फांसी की मांग जाएगा हाइकोर्ट :

गौरतलब है कि फैसले के बाद अंकिता की मां सोनी देवी की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा — "उन्हें उम्रकैद नहीं, फांसी चाहिए थी... हम हाईकोर्ट जाएंगे। मेरी बेटी की आत्मा तब तक शांत नहीं होगी जब तक उन दरिंदों को फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाता।”

यह एक हत्या भर नहीं थी, यह कानून, राजनीति और पितृसत्ता के घातक गठजोड़ की एक बर्बर मिसाल थी। जहां लड़की के विरोध की कीमत उसकी जान थी । जहां राजनीतिक रसूख के आगे इंसाफ को दो साल आठ महीने तक इंतजार करना पड़ा। जहां नहर के पानी में एक पूरी पीढ़ी की उम्मीदें बहा दी गईं । अदालत ने तो फैसला सुना दिया, लेकिन असली न्याय तब होगा जब प्रशासन ऐसा तंत्र बनाया जाएगा जिसमें किसी दूसरी अंकिता भंडारी के साथ ऐसा नहीं होगा।

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