नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की सत्ता संभालने वाला अगला चेहरा लगभग तय हो चुका है। दिल्ली के पूर्व कप्तान मिथुन मन्हास भारतीय क्रिकेट प्रशासन की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठने वाले हैं। हैरानी की बात यह है कि मन्हास ने भारत के लिए एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला, लेकिन अब वो पूरे भारतीय क्रिकेट ढांचे के सबसे बड़े फैसले लेने वाले होंगे।
बिना इंटरनेशनल कैप, बनेंगे BCCI के बॉस!
आपको बता दें कि अब तक बोर्ड के शीर्ष पद पर ज्यादातर बड़े नाम बैठे हैं सौरव गांगुली से लेकर रोजर बिन्नी तक। मगर मन्हास का अध्यक्ष बनना एक मिसाल साबित होगा। 45 वर्षीय मन्हास पहले अनकैप्ड खिलाड़ी होंगे, जो BCCI अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे। बोर्ड की वार्षिक आम सभा 28 सितंबर को होगी, जिसमें उनके नाम का आधिकारिक ऐलान होना लगभग तय है। दिलचस्प ये भी है कि 2019 के बाद से BCCI चुनावों में ज्यादातर पद निर्विरोध ही भरे गए हैं, इसलिए मन्हास का अध्यक्ष बनना महज औपचारिकता माना जा रहा है।
कौन हैं मिथुन मन्हास?
गौरतलब है कि मिथुन मन्हास का जन्म जम्मू-कश्मीर में हुआ है। वे मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज, ऑफ स्पिनर और कभी-कभी विकेटकीपर का रोल निभा चुके हैं। वे 1997/98 सीजन में दिल्ली की ओर से डेब्यू किये थे। वे घरेलू क्रिकेट का बड़ा नाम, लेकिन द्रविड़, सचिन, गांगुली और लक्ष्मण जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में कभी इंटरनेशनल टीम में जगह नहीं मिली।
करियर की झलकियां :
आपको बता दें कि मिथुन मन्हास ने रणजी ट्रॉफी 2007/08 में दिल्ली को चैंपियन बनाने में अहम रोल निभाया था, पूरे सीजन में उन्होंने 921 रन (औसत 57.56) बनाये थे।
● फर्स्ट क्लास करियर: 157 मैच, 9714 रन, 27 शतक, 49 अर्धशतक, सर्वोच्च स्कोर 205*।
● लिस्ट ए क्रिकेट: 130 मैच, 4126 रन, औसत 45.84, 5 शतक।
● T20: 91 मैच, 1170 रन।
● IPL: दिल्ली डेयरडेविल्स, पुणे वॉरियर्स और चेन्नई सुपरकिंग्स का हिस्सा रहे।
मैदान से बोर्डरूम तक :
विदित है कि मन्हास का सफर सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रहा। वो जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) के साथ प्रशासनिक भूमिका निभा चुके हैं। वे BCCI की वार्षिक आम सभा में राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। यानी अब वो क्रिकेट और प्रशासन दोनों की समझ रखने वाले व्यक्ति के तौर पर देखे जा रहे हैं।
क्यों है ये फैसला खास?
आपको बता दें कि भारतीय क्रिकेट में BCCI को सबसे ताकतवर खेल संस्था माना जाता है। इसके अध्यक्ष बनने का मतलब है कि IPL से लेकर टीम इंडिया के बड़े फैसलों तक पर सीधा असर। साथ ही अरबों रुपए के राजस्व का प्रबंधन सीधे हाथ मे वहीं खिलाड़ियों की नीतियों, घरेलू ढांचे और अंतरराष्ट्रीय समझौतों की जिम्मेदारी भी। मन्हास का अध्यक्ष बनना यह संदेश देता है कि सिर्फ इंटरनेशनल स्टार होना ही जरूरी नहीं, घरेलू स्तर पर योगदान और प्रशासनिक अनुभव भी उतना ही मायने रखता है।
अब 28 सितंबर को यह साफ हो जाएगा कि क्या भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा सिंहासन एक ऐसे खिलाड़ी को मिलेगा जिसने कभी नीली जर्सी पहनकर देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया, लेकिन अपने बल्ले और दिमाग से घरेलू क्रिकेट में हमेशा चमक बिखेरी।