टेक्नोलॉजी: गर्मियों का मौसम आते ही एसी की जरूरत हर घर में महसूस होती है खासकर उत्तर भारत जैसे इलाकों में जहां अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक पारा चढ़ा रहता है। हालांकि एसी की ठंडी हवा जितनी राहत देती है उतना ही बिजली बिल का बोझ बढ़ा देती है। अगर आप 1.5 टन का एयर कंडीशनर इस्तेमाल करते हैं तो रोजाना का खर्च करीब 100 रुपये तक बढ़ जाता है। यानी महीने में लगभग 3000 रुपये और 6 महीने की गर्मी में 18 हजार रुपये तक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
बिजली के बढ़ते दामों को देखते हुए अब बहुत से लोग सोलर पैनल की ओर रुख कर रहे हैं। यह न केवल बिजली बिल से राहत दिलाता है बल्कि लंबे समय में एक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बनकर उभरता है।
सोलर पैनल से चलाए एसी?
आज के जमाने में तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि सोलर पैनल से न केवल घर की लाइट्स और पंखे बल्कि भारी बिजली खपत करने वाले उपकरण जैसे एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन भी आराम से चलाए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए पैनल की क्षमता का सही चुनाव जरूरी होता है।
एसी चलाने के लिए चाहिए 12 यूनिट बिजली!
1.5 टन का एसी चलाने के लिए औसतन 1.5 यूनिट प्रति घंटा की खपत होती है। यदि आप पूरे दिन में 6 से 8 घंटे एसी चलाते हैं तो आपको 9 से 12 यूनिट बिजली की जरूरत पड़ेगी। इस लोड को संभालने के लिए आपको कम से कम 5 किलोवाट के सोलर पैनल की जरूरत होगी। आमतौर पर 1 किलोवाट सिस्टम में 2 पैनल लगते हैं, यानी कुल 10 पैनल लगेंगे। इस पूरे सिस्टम की लागत करीब 4.5 से 5 लाख रुपये तक आ सकती है जिसमें पैनल, सोलर इनवर्टर और बैटरियां शामिल होती हैं।
क्या बिजली का बिल हो सकता है जीरो?
अगर आप चाहते हैं कि एसी समेत पूरे घर का लोड बिना बिजली बिल के चले तो ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए सही रहेगा। इसमें बैटरी सिस्टम के जरिए दिन में सूरज की रोशनी से चार्ज होकर रात में भी बिजली मिलती रहती है। हालांकि बैटरी से एसी ज्यादा से ज्यादा 2-3 घंटे ही चल पाएगा है। ऐसे में हाइब्रिड सोलर सिस्टम एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
क्या है हाइब्रिड सोलर सिस्टम और क्यों है ये दूसरे ऑप्शन से बेहतर?
हाइब्रिड सिस्टम में दिन के समय अगर सोलर से ज्यादा बिजली बनती है तो वह ग्रिड को भेजी जा सकती है। बाद में जब सूरज नहीं होता तब वही यूनिट इस्तेमाल की जा सकती है। यह सिस्टम न केवल बिजली बिल को लगभग खत्म कर देता है बल्कि पावर कट जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है।अगर आप औसत घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं तो 5 किलोवाट का सिस्टम काफी है। लेकिन अगर आपके घर में ज्यादा बिजली उपकरण हैं तो आपको अधिक क्षमता वाले सिस्टम की जरूरत होगी।