नई दिल्ली: भारत एक बार फिर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने जा रहा है—और इस बार नाम है शुभांशु शुक्ला का, जो मई 2025 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे। वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय नागरिक होंगे, जो इस आधुनिकतम अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन तक रहेंगे और कई वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेंगे।
क्यूँ है ये मिशन खास
इस मिशन के जरिए शुभांशु भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहे हैं। आखिरी बार जब किसी भारतीय ने अंतरिक्ष में कदम रखा था, वह साल था 1984, जब राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन ‘सोयूज T-11’ से उड़ान भरी थी। अब 40 साल बाद, एक बार फिर तिरंगा शून्य गुरुत्वाकर्षण में लहराने वाला है।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हैं और उन्होंने इंजीनियरिंग व एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। वे कई वर्षों से अमेरिका की एक अग्रणी स्पेस रिसर्च कंपनी से जुड़े हैं और NASA के सहयोग से अंतरिक्ष मिशन की ट्रेनिंग ले चुके हैं।
कई देशों के अंतरिक्ष यात्रियों में अव्वल
उनका चयन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है, जहां कई देशों के वैज्ञानिकों और मिशन विशेषज्ञों के बीच प्रतियोगिता में वे अव्वल रहे। उन्हें स्पेस स्टेशन पर ‘मिशन स्पेशलिस्ट’ की भूमिका सौंपी गई है, जहां वे माइक्रो ग्रैविटी, जैव चिकित्सा और नई तकनीकों पर प्रयोग करेंगें।
मिशन की खास बातें
मिशन का नाम Axiom Mission 4 (Ax-4) है, जो अमेरिकी प्राइवेट कंपनी Axiom Space द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस मिशन में चार देशों – भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी – के अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। मिशन की कमान अमेरिका की अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के हाथों में होगी, जिन्होंने अब तक चार बार अंतरिक्ष की यात्रा की है।
मिशन अवधि: 14 दिन
स्थान: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)
उद्देश्य: बायोमेडिकल, फिजिक्स और माइक्रोग्रैविटी पर वैज्ञानिक अध्ययन
साझेदारी: NASA, एक प्राइवेट स्पेस कंपनी और ISRO के तकनीकी सहयोग से
लॉन्चपैड: अमेरिका का केनेडी स्पेस सेंटर
भारत के लिए महत्वपूर्ण है मिशन
यह मिशन पूरी तरह से वैज्ञानिक और शोध आधारित है, लेकिन इसकी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावनात्मक अहमियत भी कम नहीं। इस मिशन के बाद भारत वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में और अधिक मजबूती से अपनी जगह बनाएगा।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?
ISS यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया का सबसे बड़ा और आधुनिकतम अंतरिक्ष केंद्र है, जो पृथ्वी से करीब 408 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमता है।
इस पर 14 से ज्यादा देशों के वैज्ञानिक समय-समय पर रहते हैं और प्रयोग करते हैं। इसका आकार एक फुटबॉल स्टेडियम जितना है और इसे अंतरिक्ष में 1998 में स्थापित किया गया था।
यह पृथ्वी की परिक्रमा हर 90 मिनट में एक बार करता है और इसमें रहने वालों को दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिलते हैं।
राकेश शर्मा से शुभांशु तक: अंतरिक्ष की 40 साल बाद यात्रा
राकेश शर्मा का "सारे जहां से अच्छा" वाला क्षण आज भी भारतीयों के दिल में बसा है। लेकिन इस ऐतिहासिक विरासत को अब नया उत्तराधिकारी मिला है। शुभांशु की यह उड़ान न सिर्फ टेक्नोलॉजी में भारत की बढ़त का प्रमाण है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत अब ‘स्पेस सुपरपावर’ बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
क्या बोले शुभांशु?
एक इंटरव्यू में शुभांशु ने कहा कि “ये सिर्फ मेरा मिशन नहीं है, ये 140 करोड़ भारतीयों का सपना है। जब मैं अंतरिक्ष में तिरंगा लहराऊंगा, तो मेरे साथ पूरा भारत होगा"।