टेक्नोलॉजी: दुनिया भर की नौकरीपेशा आबादी के लिए यह खबर किसी चेतावनी से कम नहीं है। AI स्टार्टअप Anthropic के सह-संस्थापक और CEO डेरियो अमोदेई ने एक भयावह चेतावनी जारी की है करते हुए कहा कि "AI से अगले 5 साल में वाइट कॉलर की 50% नौकरियां खत्म हो जाएंगी और बेरोजगारी की दर 20% तक पहुंच सकती है!" इस सनसनीखेज बयान ने दुनियाभर के कॉर्पोरेट और सरकारी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। अमोदेई का दावा है कि ये सिर्फ अंदेशा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है जिसे सरकारें और कंपनियां छिपा रही हैं।
सबसे पहले फ्रेशर्स पर होगा संकट :
अमोदेई ने कहा कि इस "AI किलिंग" का सबसे भयानक प्रभाव एंट्री-लेवल वाइट कॉलर नौकरियों पर पड़ेगा यानी वो युवा जो कॉलेज से निकलकर पहली जॉब के सपने देख रहे हैं। Derio Amodei के अनुसार "AI अब 30 प्रतिशत कोडिंग खुद कर रहा है, लोगों की जरूरत खत्म हो रही है। आने वाले वक्त में एक इंसान अरबों डॉलर की कंपनी अकेले चला सकेगा।" माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और Amazon जैसी कंपनियों में न्यू ज्वाइनिंग की हायरिंग 50 प्रतिशत तक घट चुकी है, जो पहले से जॉइन है उनकी भी नौकरी का खतरा बना हुआ है। Microsoft ने हाल ही में 6,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया और यह सब AI की बढ़ती क्षमता का नतीजा है।
सरकारें और कंपनियां लोगों को बना रही हैं बेवकूफ? :
अमोदेई ने आरोप लगाया कि सरकारें और बड़ी कंपनियां इस खतरे को जानबूझकर हल्का दिखा रही हैं। उनके अनुसार आम लोग अब भी इस बदलाव की असलियत से अंजान हैं। AI का खतरा ग्लोबल बेरोजगारी विस्फोट की ओर बढ़ रहा है। लेकिन सरकारें चाहती हैं कि लोग शांत रहें, ताकि वे बदलाव की आड़ में श्रम बाजार को मनमाफिक बना सकें।
DeepMind से भी चेतावनी AI युग में खुद को ढालो :
गौरतलब है कि Anthropic के सीईओ के बाद, अब गूगल DeepMind के सीईओ डेमिस-हसाबिस ने भी AI के आने वाले समस्याओं के बारे में बताया। उनका कहना है कि जेनरेटिव AI आने वाले 5 वर्षों में पूरी कार्यशैली बदल देगा।उनके अनुसार जैसे इंटरनेट ने मिलेनियल्स को बदला और स्मार्टफोन ने Gen Z को, वैसे ही AI Gen Alpha की नियति तय करेगा। अगर आज का युवा खुद को अपग्रेड नहीं करता, तो वह एक खोया हुआ जनरेशन बन सकता है।
AI से किन नौकरियों पर है खतरा :
अमोदेई और हसाबिस के मुताबिक, ये क्षेत्र सबसे पहले तबाही का शिकार होंगे:
● टेक सेक्टर: कोडिंग, टेस्टिंग, UI/UX डिजाइन
● फाइनेंस: डेटा एनालिसिस, टैक्स फाइलिंग, रिपोर्टिंग
● लॉ: बेसिक डॉक्यूमेंट ड्राफ्टिंग, केस एनालिसिस
● कंसल्टिंग: स्ट्रेटेजी मॉडलिंग, रिपोर्ट जेनरेशन
● BPO/ITES: कस्टमर सपोर्ट, डेटा एंट्री
क्या AI वाकई इंसानों को कर सकता रिप्लेस :
विदित है कि AI अब सिर्फ टूल नहीं, कर्मचारी बन चुका है। ChatGPT के version 5 जैसे मॉडल, सेल्फ डेवलपमेंट-प्लेटफॉर्म्स, और सेल्फ-लर्निंग-बोट्स के चलते कंपनियां कर्मचारी भार को कम करके फायदा बढ़ा रही हैं। ये ट्रेंड मानव श्रम के खिलाफ सबसे बड़ा टेक युद्ध बनता जा रहा है।
तो अब क्या करें युवा? :
विशेषज्ञों का कहना है कि अब “डिग्री” नहीं बल्कि “स्किल” ही अस्तित्व की गारंटी है। अगर आप टेक, डेटा साइंस, AI या इनोवेशन-फोकस्ड फील्ड्स में नहीं हैं, तो अपना करियर रास्ता दोबारा सोचिए। AI से दोस्ती करें, दुश्मनी नहीं साथ ही नॉन-रिप्लेसएबल स्किल्स सीखें जैसे क्रिएटिविटी, इंटरप्रिटेशन, इनोवेशन। सिर्फ नौकरी न करते हुए बिजनेस मॉडल भी समझें।
भारत के लिए खतरे की घंटी :
गौरतलब है कि भारत जैसे देश, जहां करोड़ों युवाओं की नजरें नौकरी पर टिकी हैं, AI से आने वाली ये सुनामी बेरोजगारी की ऐतिहासिक दर ला सकती है। सरकारी और निजी क्षेत्र में अभी तक कोई ठोस नीति सामने नहीं आई है जो इस खतरे को सुलझा सके।
अगर डेरियो अमोदेई और डेमिस हसाबिस की चेतावनी सच होती है, तो आने वाला समय नौकरी नहीं, स्किल्स की जंग का होगा। या तो तुम AI के साथ चलना होगा या फिर इतिहास बनने को तैयार रहना पड़ेगा