नई दिल्ली : आधार और UPI के बाद अब सरकार की तीसरी डिजिटल क्रांति लाने की तैयारी में है। मोदी सरकार ने एक बार फिर डिजिटल भारत की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। आधार ने जहां नागरिकों को पहचान दी, और UPI ने भुगतान की परिभाषा बदली अब सरकार आपके "पते" को भी डिजिटल पहचान देने जा रही है। इसका नाम "डिजिटल एड्रेस" होगा और इसकी पहचान 10 अंकों का गुप्त अल्फ़ान्यूमेरिक कोड; DIGIPIN होगा।
क्या है ये नया डिजिटल पता यानी DIGIPIN? :
आपको बता दें कि भारत सरकार अब देश के हर घर, दुकान, खेत, कार्यालय, गांव और कस्बे को एक युनिक डिजिटल एड्रेस कोड देने की तैयारी में है। यह कोड 10 कैरेक्टर का होगा यानी डिजिटल पते की नई पहचान, जो सैटेलाइट लोकेशन यानी जिओस्पेशियल डेटा पर आधारित होगी। जैसे आधार एक नागरिक की पहचान है, वैसे ही DIGIPIN किसी स्थान की पहचान बनेगा।
E-कॉमर्स, राशन, डिलीवरी, बैंक हर सेवा होगी एड्रेस आधारित स्मार्ट :
गौरतलब है कि अब Zomato, Amazon या राशन की दुकान तक कोई भी सेवा आपके पुराने पते के भरोसे नहीं चलेगी। DIGIPIN आपकी सटीक लोकेशन बतायेगी। गांव के पते, गली का नाम, लैंडमार्क का झंझट अब खत्म हो जाएगा। डिलीवरी ब्वॉय हो या सरकारी कर्मी सीधा DIGIPIN डालेंगें और उन्हें सटीक लोकेशन की जानकारी मिल जाएगी। हर पता अब भू-स्थानिक नक्शे (Geospatial Maps) से लिंक हो जाएगा।
अधूरे पते से हर साल 14 अरब डॉलर का नुकसान :
हाल ही में सरकारी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था इस रिपोर्ट के अनुसार हर साल गलत या अधूरे एड्रेस की वजह से देश को 10-14 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़) का नुकसान होता है। आपको बता दें कि ग्रामीण भारत में 60% पते अधूरे या भ्रमित करने वाले होते हैं।डिलीवरी फेल्योर, सरकारी नोटिस गुम, आधार/पैन लिंक में गड़बड़ी जैसे लाखों केस हर साल बढ़ते हैं।
डिजिटल एड्रेस एक्ट: संसद में आएगा नया कानून :
रिपोर्ट के अनुसार सरकार इस योजना के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक नया कानून लाने जा रही है। इस कानून से Digital Address DPI Authority बनेगी जो पूरे सिस्टम को लागू करेगी। इसमें आपका एड्रेस तभी शेयर होगा जब आप अनुमति देंगे। सरकार इस व्यवस्था को Privacy First कह रही है यानी कोई भी कंपनी, ऐप या एजेंसी आपकी सहमति के बिना आपका डिजिटल पता नहीं देख पाएगी।
पोस्ट ऑफिस करेगा मिशन की अगुवाई :
इस प्रोजेक्ट की अगुवाई डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स यानी भारतीय डाक विभाग कर रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) खुद इसपर नजर रख रहा है। दिसंबर 2023 में नेशनल जिओस्पेशियल पॉलिसी के तहत वर्किंग ग्रुप बनाया गया, जिसने एड्रेसिंग स्टैंडर्ड्स का खाका तैयार किया।
क्या है विशेषज्ञों की राय :
इस सम्बंध में डॉ. नीलिमा घोष, डेटा गवर्नेंस विशेषज्ञ कहती हैं कि यह डिजिटल इंडिया का तीसरा आधार बनने जा रहा है। डिजिटल एड्रेस न सिर्फ सेवाओं को सटीक बनाएगा, बल्कि डाटा गोपनीयता का भी सशक्त मॉडल पेश करेगा। वहीं इस सम्बंध में कर्नल आर. के. सिंह (सेवानिवृत्त), लॉजिस्टिक्स विशेषज्ञ बताते हैं कि सेना हो या आपदा राहत; DIGIPIN जैसी तकनीक से सटीक लोकेशन तक पहुंचना आसान होगा। भारत के सुरक्षा तंत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव संभव है।
फर्जी एड्रेस व पते का झंझट होगा खत्म :
आपको बता दें कि डिजिटल एड्रेस आने के बाद नाम और गली का सिस्टम बदल सकता है। पते के पीछे के भ्रम, फर्जी एड्रेस, फर्जी पहचान जैसे मामले खत्म होंगे। E-कॉमर्स, स्वास्थ्य सेवाएं, बैंकिंग और रीयल एस्टेट के लिए ये गेम-चेंजर होगा।
आधार और UPI के बाद अब सरकार डिजिटल एड्रेस यानी DIGIPIN के जरिए देश के हर पते को यूनिक पहचान देने जा रही है। इससे सरकारी सेवाएं तेजी से मिलेंगी, डेटा सुरक्षित रहेगा और फर्जी व अधूरे पते की समस्या खत्म होगी। यह बदलाव भारत को डिजिटल लोकेशन क्रांति की ओर ले जाएगा।