लाइफस्टाइल डेस्क: आज के समय डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है जो पूरी मानवजाति के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है लेकिन इसे दवाओं, संतुलित आहार और नियमित जीवनशैली के ज़रिए काबू में रखा जा सकता है। आमतौर पर लोगों को टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज प्रभावित करती है लेकिन हाल ही में डायबिटीज का एक नया और सबसे खतरनाक प्रकार सामने आया है जिसको टाइप-5 डायबिटीज के नाम से जाना जा रहा है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने डायबिटीज के इस नए प्रकार को आधिकारिक मान्यता दी है। टाइप 5 डायबिटीज मुख्य रूप से किशोरों और युवाओं को प्रभावित करता है। यह रूप टाइप-1 और टाइप-2 से काफी भिन्न है। आइए जानते हैं कि टाइप-5 डायबिटीज क्या है और यह बाकी प्रकारों से कैसे अलग है।
टाइप-5 डायबिटीज
IDF के अनुसार टाइप-5 डायबिटीज एक गंभीर इंसुलिन की कमी वाली डायबिटीज (Severe Insulin-Deficient Diabetes – SIDD) है जो टाइप 2 डायबिटीज के बिल्कुल उलट होती है क्योंकि इसमें मोटापा या इंसुलिन रेजिस्टेंस नहीं पाया जाता। यह बीमारी मुख्य रूप से लंबे समय तक पोषण की कमी यानी कुपोषण के कारण होती है विशेष रूप से जीवन के शुरुआती सालों में।
IDF के अनुसार "टाइप 5 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में इंसुलिन का स्तर अत्यधिक कम होता है और उनका मेटाबॉलिक फंक्शन भी बेहद कमजोर हो सकता है।" यह बीमारी विशेष रूप से एशियाई और अफ्रीकी देशों में देखी जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि इसका पहला मामला वर्ष 1955 में जमैका में दर्ज किया गया था। पिछले 70 वर्षों से यह बीमारी दुनिया में मौजूद है लेकिन इसे या तो अनदेखा किया गया या गलत पहचान कर इसे टाइप-1 या टाइप-2 मान लिया गया।
टाइप-5 डायबिटीज के लक्षण
हमेशा थका-थका महसूस होना
शारीरिक विकास में रुकावट
बार-बार संक्रमण होना
घावों का देर से भरना
अत्यधिक प्यास लगना
त्वचा पर काले पैच दिखाई देना
बार-बार पेशाब आना
चीजें याद न रहना
अपच और भूख की कमी
बिना किसी कारण के वजन घटना या न बढ़ना
क्यों होती है टाइप 5 डायबिटीज?
IDF का कहना है कि टाइप 2 डायबिटीज से उलट, टाइप 5 डायबिटीज का मुख्य कारण दीर्घकालीन कुपोषण होता है खासकर जब यह बचपन या किशोर अवस्था के दौरान होता है। इसे "कुपोषण से जुड़ी डायबिटीज" भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब शरीर को लंबे समय तक जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते तो यह पैंक्रियास के सामान्य विकास को बाधित करता है जिससे इंसुलिन निर्माण की प्रक्रिया प्रभावित होती है और यही इस दुर्लभ प्रकार की डायबिटीज को जन्म देता है।टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज जहां ऑटोइम्यून या जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं होती हैं वहीं टाइप 5 डायबिटीज पूरी तरह से पोषण की कमी पर आधारित एक विकराल स्थिति है जिसका निदान अब तक अक्सर गलत तरीके से किया जाता रहा है।