राजस्थान में वृद्धावस्था पेंशन में घोटाला, ऐसे हुआ पर्दाफाश!: 99,677 जवान बुज़ुर्ग बनकर ले रहे थे पेंशन वही मौत के बाद भी खातों में आती रही रकम?
राजस्थान में वृद्धावस्था पेंशन में घोटाला, ऐसे हुआ पर्दाफाश!

 जयपुर : राजस्थान में वृद्धावस्था पेंशन योजना में ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। सरकार ने जब आधार से जोड़कर भौतिक सत्यापन शुरू किया, तो खुलासा हुआ कि 99,677 लोग ऐसे हैं जो जवान होते हुए भी खुद को बुज़ुर्ग बताकर हर महीने पेंशन उठा रहे थे! वहीं 1.75 लाख लोग तो ऐसे थे जिनकी मौत के बाद भी उनके खातों में पेंशन ट्रांसफर होती रही!

50 साल का ‘बुजुर्ग’, 35 साल का ‘वृद्ध’: कैसे चलता रहा खेल? :

आपको बता दें कि अलवर के 50 वर्षीय रामफूल और जयपुर के जमवारामगढ़ के 35 साल के हरजीलाल जैसे कई लोगों ने जानबूझकर अपनी उम्र के दस्तावेज बदलवाए और खुद को 60 साल से ऊपर दिखाकर पेंशन योजना में घुस गए। ये सिर्फ दो नाम हैं, राज्य में ऐसे हजारों फर्जी ‘वृद्ध’ सामने आए हैं।

1 अप्रैल 2024 से 31 मई 2025 के बीच की गई जांच में ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए :

 पेंशन फर्जीवाड़े के आंकड़े  -  संख्या

मृतकों के खातों में जाती रही पेंशन  -  1,75,076
जवान लोगों ने खुद को वृद्ध दिखाया  -  99,677
दूसरे राज्यों से पेंशन उठाने वाले  -  78,947
गलत जानकारी से पात्र बने  -  42,810
सरकारी परिवार वालों ने पेंशन ली  -  22,159
डुप्लीकेट पेंशनधारी  -  17,720
आयकरदाताओं ने पेंशन ली  - 13,326
जिनके बच्चे सरकारी नौकरी में  -  6,531
स्वेच्छा से पेंशन छोड़ी       -  6,240
पुनर्विवाह कर भी विधवा पेंशन ली  -  1,410
सरकारी नौकरी होते हुए भी योजना ली  -  1,061
सरकारी पेंशन + सामाजिक योजना दोनों ली      -  415

कितना नुकसान हुआ सरकार को? :

आपको बता दें कि जिन लोगों ने फर्जी तरीके से पेंशन ली, उन्होंने सरकार को कम से कम 1 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगाई है। लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि अब तक एक भी फूटी कौड़ी की वसूली नहीं हो सकी है।

मुख्य सचिव ने दिए वसूली के आदेश, लेकिन… :

गौरतलब है कि मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जब इस फर्जीवाड़े की रिपोर्ट देखी, तो वसूली के आदेश दिए। लेकिन सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने वसूली में असमर्थता जाहिर कर दी। वहीं मंत्री अविनाश गहलोत का कहना है कि वसूली की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन समय लगेगा।

‘अधिकारी भी भागीदार थे इस खेल में’ :

आपको बता दें कि भौतिक सत्यापन से पहले अधिकांश पीपीओ बिना जांच के जारी किए गए। कई ऐसे मामले सामने आए जहां सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त लोगों ने भी दोहरी पेंशन ली। यानी नीयत भी गलत थी और निगरानी भी ढीली।

राजस्थान की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना अब खुद जांच के घेरे में है। सरकार को चाहिए कि वह केवल पेंशन बंद न करे, बल्कि सख्त रिकवरी प्लान, अधिकारियों की जवाबदेही और फ्रॉड करने वालों पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे। वरना योजनाएं इसी तरह लुटती रहेंगी और जरूरतमंद असली बुज़ुर्गों को उनका हक़ नहीं मिलेगा।

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