जेवर, ग्रेटर नोएडा: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब और भी विशाल रूप लेने जा रहा है, एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के विस्तार के लिए 14 गांवों की लगभग 1889 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहित की जाएगी। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ी सामाजिक कीमत भी सामने आ रही है। इस प्रक्रिया में 9,036 परिवारों को अपने घर-ज़मीन से बेदखल होना पड़ेगा, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
विस्तार की ज़मीन, विस्थापन की सच्चाई :
आपको बता दें कि इस योजना में कुल 2053 हेक्टेयर ज़मीन की ज़रूरत है, जिसमें से 1888.98 हेक्टेयर ज़मीन रोही, पारोही, बंकापुर, किशोरपुर, सबौता, मुकीमपुर शिवारा, बनवारीबांस, रामनेर, ख्वाजपुर, थोरा, नीमका शहाजहांपुर जैसे 14 गांवों से ली जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन गांवों की आबादी का एक हिस्सा पहले ही एयरपोर्ट के पहले चरण में ज़मीन गंवा चुका है। अब बाकी गांवों की बारी है। इस योजना से 9,036 परिवारों पर असर पडेगा। जिसमें से 7977 पुरुष और 1385 महिलाएं सीधे तौर पर प्रभावित होंगीं। आपको बता दें कि 10,847 बच्चे, 16,343 पुरुष, 15,243 महिलाएं इन गांवों में निवास करते हैं
पांच रनवे वाला भारत का सबसे हाईटेक एयरपोर्ट बनेगा जेवर :
गौरतलब है कि नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण 5 चरणों में हो रहा है। पहले चरण का काम जारी है जिसमें एक रनवे और टर्मिनल बन रहा है। एयरपोर्ट के पहले चरण में 1 रनवे, 1334 हेक्टेयर में साथ ही दूसरे चरण में दूसरा रनवे और एविएशन इंडस्ट्री (800 एकड़ में) और तीसरे-चौथे चरण में 2 और रनवे, साथ ही क्रॉसिंग व सर्विस रनवे बनेंगे, आपको बता दें कि सभी रनवे के बीच 1.5 किमी की दूरी रहेगी, ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। इतना ही नहीं, 750 एकड़ में एयरो-इंजन निर्माण कंपनी स्थापित करने की योजना भी है, जिससे भारत को विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूती मिलेगी।
क्या मिलेगा प्रभावित किसानों को? :
विदित है कि पिछली अधिग्रहण प्रक्रियाओं में मुआवज़ा और पुनर्वास को लेकर कई विवाद हुए। ऐसे में संभावित विकल्प है कि मुआवज़े की राशि बढ़ाने की मांग हो सकती, साथ ही उन्हें पुनर्वास कॉलोनियों में मकान, परिवार के एक सदस्य को रोजगार, स्वास्थ्य, स्कूल, पानी, बिजली जैसी सुविधाएं दी जा सकती हैं। लेकिन क्या यह सब सिर्फ कागज़ों पर रहेगा, या धरातल पर भी उतरेगा ये देखना बाकी है।
कब, कहां, कैसे होगी लोक सुनवाई?:
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 4 से 11 जुलाई तक इन गांवों में लोक सुनवाई होगी। ज़मीन देने वाले किसानों की समस्याएं, आपत्तियाँ और सुझाव सुनने के लिए प्रशासन विशेष बैठकें करेगा। इस मौके पर एसडीएम अभय सिंह ने बताया कि : “हम विस्थापन को लेकर पारदर्शी और संतुलित नीति पर काम कर रहे हैं। किसानों की आपत्ति और राय को गंभीरता से लिया जाएगा।”
लेकिन सवाल भी खड़े हैं... :
आपको बता दें कि किसानों के मन मे इस विस्तार से काफी संशय भी उत्पन्न हुआ है जैसे कि विस्थापित परिवारों को कितना और कब मुआवज़ा मिलेगा? क्या पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं होंगी? जिनका जीविका का आधार केवल ज़मीन है, उनका क्या होगा?
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट 2030 तक देश के सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट्स में गिना जाएगा, लेकिन विकास की इस तेज रफ्तार के नीचे हज़ारों लोगों की ज़िंदगी की जमीन खिसकने वाली है। क्या सरकार मुआवज़ा और पुनर्वास के मोर्चे पर भी उतनी ही संवेदनशील होगी, जितनी तेज़ी से रनवे बना रही है? इसका जवाब आने वाले हफ्तों की लोक सुनवाई में मिलेगा।