बॉलीवुड: एक बार फिर धार्मिक विवादों में उलझ गया है। इस बार बवाल मचा है रणदीप हुड्डा और सनी देओल स्टारर फिल्म ‘जाट’ को लेकर, जिसमें एक विवादित चर्च सीन ने ईसाई समाज की धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में फिल्म के कलाकारों और मेकर्स पर FIR दर्ज हो चुकी है। सनी देओल और रणदीप हुड्डा पर सीधे आरोप लगे हैं, वहीं निर्माता-निर्देशक ने आनन-फानन में माफी मांगते हुए विवादित सीन हटाने का ऐलान भी कर दिया है।
विवाद का क्या है कारण?
फिल्म के एक सीन में रणदीप हुड्डा चर्च के अंदर दिखाई देते हैं, जहां वह क्रॉस के नीचे खड़े हैं और बैकग्राउंड में हिंसा का माहौल दिखाया गया है। इस सीन को लेकर आरोप है कि यह यीशु मसीह की सूली पर चढ़ने की घटना को असम्मानजनक तरीके से दर्शाता है। ईसाई समुदाय ने इसे ‘धार्मिक प्रतीकों का अपमान’ बताया और फिल्म पर प्रतिबंध की मांग शुरू कर दी।
कहां और कैसे दर्ज हुआ केस?
जालंधर के थाना सदर में यह मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता विकलव गोल्डी ने IPC की धारा 295A (धार्मिक भावना आहत करना) और 153A (धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाना) के तहत FIR दर्ज कराई है। उन्होंने सीधे सनी देओल, रणदीप हुड्डा और निर्देशक गोपीचंद मालिनेनी को आरोपी बनाया है।
सोशल मीडिया पर बवाल, उठी बैन की मांग
जैसे ही यह मुद्दा सोशल मीडिया पर आया, #BanJaatMovie ट्रेंड करने लगा। कई ईसाई संगठनों ने फिल्म पर तत्काल बैन लगाने की मांग की। जगह-जगह फिल्म के पोस्टर फाड़े गए और विरोध प्रदर्शन भी हुए।
मेकर्स ने मानी गलती, मांगी माफी
मामला गरमाता देख जाट के मेकर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी कर माफी मांगी और विवादित सीन को हटाने का फैसला किया। पोस्ट में कहा गया, “हमारी मंशा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने की नहीं थी। यदि किसी को ठेस पहुंची है, तो हम खेद प्रकट करते हैं और संबंधित सीन हटा दिया जाएगा।”
ईसाई समाज का आक्रोश क्यों है इतना बड़ा?
ईसाई समुदाय के लोग मानते हैं कि चर्च और क्रूस धार्मिक आस्था के केंद्र हैं। फिल्म में इन प्रतीकों का इस्तेमाल हिंसा और राजनीतिक संदर्भों में करना न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देता है। कुछ संगठनों ने इसे "ईसाइयों के खिलाफ मानसिक युद्ध" तक करार दिया है।
अब क्या होगा आगे?
मेकर्स की माफी और सीन हटाने की घोषणा के बावजूद मामला शांत होता नहीं दिख रहा। विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि जब तक फिल्म से आपत्तिजनक कंटेंट हटाकर दोबारा प्रमाणन नहीं होता, वे चैन से नहीं बैठेंगे।