लखनऊ में नोएडा के किसानों का फूटा गुस्सा!: 10% प्लॉट नीति, हाइ पावर कमेटी की सिफारिशें व नए कानून को लागू करने...किसान नेताओं नें सौंपा ज्ञापन?
लखनऊ में नोएडा के किसानों का फूटा गुस्सा!

लखनऊ/नोएडा/ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलनों की लहर एक बार फिर तेज होती दिख रही है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों में वर्षों से लंबित 10% आबादी प्लॉट, आबादी पात्रता सीमा, वेंडिंग जोन आरक्षण और नए कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर किसानों का गुस्सा अब सड़क से सचिवालय तक पहुंच गया है। आज ‘किसान संघर्ष मोर्चा’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ स्थित लोक भवन में प्रमुख सचिव (औद्योगिक) आलोक कुमार (आईएएस) से मुलाकात की और 8 महीने से धूल खा रही हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लेकर विस्तृत ज्ञापन सौंपा। किसानों ने साफ कहा  "अब और इंतज़ार नहीं, या तो लागू करो, या आंदोलन के लिए तैयार रहो।"

8 महीने से लंबित हैं हाई पावर कमेटी की सिफारिशें!

आपको बता दें कि ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में सुखबीर खलीफा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान परिषद), डॉ. रूपेश वर्मा (जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा), जगबीर नंबरदार, उदल आर्य, सचिन अवाना, अजब सिंह भाटी, निशांत रावल, अजीत एडवोकेट, वनीष प्रधान आदि शामिल रहे। आपको बता दें कि किसानों का आरोप है कि हाई पावर कमेटी को गठित हुए छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन एक भी सिफारिश पर अमल नहीं हुआ। नोएडा में 3900 से अधिक आबादी मामलों का कोई निस्तारण नहीं हुआ और ग्रेटर नोएडा में 4200 प्लॉट आवंटन ऐसे ही लंबित पड़े हुए हैं। किसानों ने इसे प्राधिकरण की नीयत पर सवाल बताया।

आबादी पात्रता सीमा और वेंडिंग जोन 40% आरक्षण पर भी चुप्पी :

गौरतलब है कि किसान नेताओं का कहना है कि प्रति परिवार आबादी पात्रता सीमा 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1000 वर्गमीटर की जानी थी, लेकिन यह आज तक यह लागू नहीं हो सका। वहीं वेंडिंग जोन में भूमिहीनों के लिए तय 40% आरक्षण को भी सरकार ने सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रखा है। तीनों प्राधिकरणों — नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे — ने 10% आबादी प्लॉट नीति और नए कानून को पास कर शासन को भेजा हुआ है, लेकिन फाइलें सरकार की अलमारियों में कैद हैं। किसान नेताओं ने चेताया कि अगर जल्द ही फैसला नहीं आया, तो "नई क्रांति की शुरुआत नोएडा की जमीन से होगी।"

प्रमुख सचिव का जवाब -‘जिम्मेदारी मेरी है, कार्रवाई होगी’ :

जानकारी के अनुसार IAS आलोक कुमार ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि "हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू कराना मेरी प्राथमिकता है, जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे।" मगर किसानों का कहना है कि यह आश्वासन पहले भी कई बार मिल चुका है, लेकिन नीतियों का ज़मीनी क्रियान्वयन अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है।

किसानों का कहना "ये संघर्ष रुकने वाला नहीं" -

किसान सभा के जिला महासचिव जगबीर नंबरदार ने कहा  कि — "अब पीछे नहीं हटेंगे। जब तक 10% आबादी प्लॉट, नए कानून और हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू नहीं होतीं, किसान सड़कों पर रहेंगे। नोएडा में जो आंदोलन शुरू हुआ है, वह प्रदेशभर में फैल सकता है।"

क्या नोएडा-ग्रेटर नोएडा फिर बनेगा आंदोलन की जड़? :

आपको बता दें कि बीते वर्षों में नोएडा और ग्रेटर नोएडा कई किसान आंदोलनों का केंद्र रह चुका है। चाहे भूमि अधिग्रहण का मुद्दा रहा हो या पुनर्वास और मुआवज़े की लड़ाई, इन इलाकों के किसानों ने हमेशा संगठित होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी है।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार फिर चुप्पी साधे रहेगी? या किसानों की इस बार की हुंकार सत्ता के गलियारों में हलचल मचाएगी?

ज़मीन की लड़ाई अब सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं, सचिवालय की दीवारों तक गूंजने लगी है। किसानों ने प्रमुख सचिव के जरिए अंततः सरकार को ‘ज्ञापन’ दिया है, लेकिन अगर ठोस संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो ‘आंदोलन’ ही उनका अगला कदम हो सकता हैं इसमें कोई दौराय नहीं।

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