मुआवज़े पर फंसा न्यू नोएडा का सपना!: 80 गांव, 16 हजार किसान और 1000 करोड़ का रिजर्व, जानें न्यू नोएडा में अब तक क्यों अटका विकास?
मुआवज़े पर फंसा न्यू नोएडा का सपना!

नोएडा/बुलंदशहर/गाजियाबाद : नोएडा प्राधिकरण की बहुप्रचारित योजना “न्यू नोएडा” अब जमीन पर उतरने से पहले ही संघर्ष, संदेह और सौदेबाज़ी के घेरे में आ गई है। एक तरफ सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का अधिग्रहण बजट रिजर्व कर दिया है, दूसरी तरफ 80 गांवों के हजारों किसान अब भी अंधेरे में हैं कि उनकी ज़मीन की कीमत क्या तय होगी, और भविष्य किस ओर जाएगा। सरकार ने जनवरी 2021 में जिस DNGIR (दादरी-नोएडा-गाज़ियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन) की परिकल्पना की थी, उसके ज़रिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को औद्योगिक इंजन बनाने की तैयारी की जा रही है। अक्टूबर 2024 में शासन ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी, विकास की ज़िम्मेदारी नोएडा प्राधिकरण को दी गई और अब बारी है ज़मीन अधिग्रहण की। लेकिन यहीं आकर असली परेशानी शुरु हो गयी है।

कागज़ों में शहर, ज़मीनी हकीकत में घमासान :

आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने साफ कहा है कि जब तक मुआवज़ा दरें तय नहीं होतीं, ज़मीन अधिग्रहण नहीं होगा। बुलंदशहर के डीएम के साथ वार्ता लगातार जारी है, लेकिन अब तक मुआवज़े की दरें कागज़ों से बाहर नहीं निकल पाईं। इस देरी के चलते प्रभावित गांवों में अवैध निर्माण का खेल तेज़ हो गया है। लोग बेतहाशा अपनी जमीन को आबादी दिखाकर उसके दस्तावेज़ बदलवा रहे हैं। भू-माफिया भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं हैं।

16 हजार परिवारों की ज़मीन और सपनों की सौदेबाज़ी :

गौरतलब है कि प्राधिकरण के अनुसार न्यू नोएडा को चार फेज़ में बसाया जाना है; जिसें निम्नलिखित वर्षो में बसाये जानें का प्लान है।

2023-2027     - 3165 हेक्टेयर
2027-2032     - 3798 हेक्टेयर
2032-2037    - 5908 हेक्टेयर
2037-2041    - 8230 हेक्टेयर

मतलब साफ है न्यू नोएडा की कुल ज़मीन करीब 21,100 हेक्टेयर होगी, जिसमें सबसे पहले 15 गांवों के किसानों से 3165 हेक्टेयर ज़मीन ली जानी है। यह कोई मामूली अधिग्रहण नहीं है ,अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा शहरी विस्तार हो सकता है

कैसा होगा न्यू नोएडा? देखिए मास्टर प्लान का लैंड यूज़ ब्रेकअप :

 श्रेणी       -       हेक्टेयर 

रेजिडेंशियल    - 2810.54
कॉमर्शियल    - 849.97
पीएसपी/इंस्टीट्यूशनल    - 1739.93
फैसिलिटी/यूटिलिटी    - 195.97
इंडस्ट्री    - 8420.00
ग्रीन पार्क    - 1792.26
ग्रीन बेल्ट/बफर    - 1432.73
रिक्रिएशन    - 530.22
जल स्रोत (वाटर बॉडी)    - 122.77
ट्रांसपोर्टेशन    - 2963.61

यह मास्टर प्लान दर्शाता है कि न्यू नोएडा सिर्फ एक रेजिडेंशियल हब नहीं बल्कि एक मिक्स्ड-यूज़ इंडस्ट्रियल-स्मार्ट सिटी होगी, जहां शिक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, और उद्योग सब एक साथ विकसित होंगे।

मुआवज़े पर टकराव तय? :

आपको बता दें कि अब असली सवाल यह है कि किसानों को कितना मुआवज़ा मिलेगा? नोएडा प्राधिकरण की ओर से बनी समिति सर्किल रेट के अनुसार प्रस्ताव तैयार कर रही है, लेकिन किसान संगठनों की मांग है कि मुआवज़ा बाज़ार दर से तीन गुना होना चाहिए। संयुक्त बैठक में बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर के अधिकारी मिलकर दरें तय करेंगे। लेकिन सरकार और किसानों के बीच विश्वास की दरार को पाटना फिलहाल आसान नहीं लग रहा।

आपसी सहमति – या होगा आंदोलन? :

जानकारी के अनुसार प्राधिकरण का दावा है कि अधिग्रहण आपसी सहमति से होगा। मगर जिन गांवों में अब तक बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकला, वहां से भविष्य में विरोध और आंदोलन के संकेत मिलने लगे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर मुआवज़ा पारदर्शिता से तय नहीं हुआ या समय पर भुगतान नहीं हुआ, तो न्यू नोएडा का सपना सड़कों पर नारे और ट्रैक्टर मार्च में तब्दील हो सकता है।

न्यू नोएडा योजना भले ही विकास की बड़ी तस्वीर हो, लेकिन जब तक किसानों को पारदर्शी और उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, यह सपना अधूरा रहेगा। 1,000 करोड़ का बजट, 80 गांव और चार चरणों का मास्टर प्लान तभी सफल होगा जब जमीन सहमति से ली जाए, अवैध कब्जे रोके जाएं और किसानों को भरोसे में लिया जाए। विकास संवाद से होगा, जबरन नहीं।

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