12 हजार करोड़ की धोखाधड़ी को लेकर ED की ताबड़तोड़ छापेमारी!: JP इंफ्राटेक, गौरसन्स, समेत 15 ठिकानों पर रेड...17 हजार होम बायर्स...जानें पूरी खबर
12 हजार करोड़ की धोखाधड़ी को लेकर ED की ताबड़तोड़ छापेमारी!

 नोएडा/नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली-NCR के कई बड़े बिल्डरों के खिलाफ 12 हजार करोड़ ₹ के घोटाले की जांच शुरू की है। JP इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स, गौरसंस, गुलशन होम्ज़, महागुन और सुरक्षा रियल्टी जैसी नामी कंपनियों के 15 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी हुई। इन कंपनियों पर हजारों होम बायर्स से पैसा लेकर फ्लैट न देने और पैसों की हेराफेरी करने का आरोप है। ED की यह कार्रवाई उन हजारों परिवारों के लिए राहत की खबर है, जो सालों से अपने घर का इंतजार कर रहे थे।

घोटाले की जद में कौन सी कम्पनियां? :

रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की जद में आई कंपनियों में सिर्फ जेपी इंफ्राटेक और जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड ही नहीं, बल्कि NCR की अन्य बड़ी बिल्डर कंपनियां जैसे गौरसंस, महागुन, गुलशन और सुरक्षा रियल्टी भी शामिल हैं। ईडी के मुताबिक, इन कंपनियों ने बायर्स और निवेशकों से लिए गए हजारों करोड़ के फंड्स को अन्य प्रोजेक्ट्स में डायवर्ट किया और मनी लॉन्ड्रिंग का खेल रचा।

सेक्टर 127 और 128 में ताबड़तोड़ सर्च, दस्तावेज जब्त :

आपको बता दें कि ED की टीम ने सर्वप्रथम जेपी इंफ्राटेक के दफ्तरों पर धावा बोला, ये दफ्तर नोएडा के सेक्टर 127 और 128 में स्थित है। छापेमारी के समय प्रोजेक्ट की फाइल, बैंक खातों की डिटेल्स, लोन दस्तावेज और सबवेंशन स्कीम के झूठे वादों से जुड़े रिकॉर्ड जब्त किए गए। सूत्रों की मानें तो दस्तावेजों में फर्ज़ीवाड़े और मिलीभगत के पक्के सबूत हाथ लगे हैं।

सबवेंशन स्कीम – EMI-फ्री फ्लैट या बड़ा घोटाला? :

गौरतलब है कि जेपी इंफ्राटेक समेत कई बिल्डरों ने ग्राहकों को सबवेंशन स्कीम के तहत "बिना EMI, बिना ब्याज" फ्लैट देने का वादा किया था। लेकिन न फ्लैट मिला, न EMI माफ हुई। अब हजारों परिवार कर्ज़ में डूबे, किराए पर रह रहे हैं, जबकि बिल्डर का कुछ पता नहीं चल रहा था।

17 हजार होमबायर्स की टूटती उम्मीदें, फिर जगी उम्मीद की किरण :

विदित है कि इन घोटालों का असर सीधा 17,000 से अधिक खरीदारों पर पड़ा है। कई प्रोजेक्ट्स जैसे कासा इसलेस, कोसमोस, क्रेससेंट, क्लासिक और केंसिंग्टन पार्क आज भी अधूरे पड़े हैं। एक खरीदार ने दर्द बयाँ करते हुए कहा कि "हमने घर का सपना देखा था, लेकिन वो सपना अब तक सिर्फ EMI में जल रहा है। अब ईडी ने उम्मीद दी है।"

नोएडा प्राधिकरण भी जांच के घेरे में :

गौरतलब है कि ईडी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी से भी फाइलें तलब की हैं। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट्स को गैरकानूनी तरीके से मंजूरी दी गई। स्वीकृत ले-आउट, लोन स्वीकृति और को-डेवलपर्स के नामों में भारी गड़बड़ी सामने आई है। ED नें 26 बिल्डर कंपनियों की सूची तैयार की है। 9 बिल्डरों की जानकारी पहले ही जुटाई जा चुकी है।

साइट के पास प्रदर्शन पर बैन :

गौरतलब है कि ED की कार्रवाई से ठीक पहले प्रोजेक्ट साइट के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन पर बैन लगा दिया गया था। कई होमबायर्स का आरोप है कि उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है, ताकि बिल्डर और अधिकारी अपनी गर्दन बचा सकें।

सवालों के घेरे में कई नेता और अधिकारी :

अब ये मामला सिर्फ रियल एस्टेट फ्रॉड तक सीमित नहीं रहा। सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक संरक्षण, अफसरशाही की चुप्पी और कॉरपोरेट की मिलीभगत ने इस घोटाले को जन्म दिया। आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल मचने की भी पूरी संभावना है।

जेपी इंफ्राटेक पर चली ये बड़ी कार्रवाई सिर्फ करोड़ों के घोटालों के जानकारी की शुरुआत मानी जा रही है। हजारों लोगों के जीवन भर की कमाई, टूटी उम्मीदों और रुके सपनों का अब शायद समाधान निकल सके।

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